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आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की हुई ब्रेन सर्जरी

Sadhguru Jaggi Vasudev: सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक आध्यात्मिक गुरु हैं इन्हें आध्यात्मिक जगत में एक प्रमुख गुरु के रूप में पहचाना जाता है, जिन्होंने लाखों लोगों का मार्गदर्शन किया है सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म मैसूर में 3 सितंबर 1957 की रात 11 बजकर 54 मिनट पर एक संपन्न परिवार में हुआ था वे धार्मिक जगत के गूढ़ रहस्यों की तलाश में रहते हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव बचपन से ही अत्यंत साहसी हैं वे पहले बिजनेसमैन थे सद्गुरु जग्गी वासुदेव का एक बार प्यार छूटा तो वे मैसूर के पास चामुंडा पहाड़ी पर चले गए उस स्थान से पूरा मैसूर शहर दिखता था, तब उनकी उम्र 25 वर्ष की थी

जगदीश वासुदेव से बन गए आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव चामुंडा पहाड़ी के एक चट्टान पर बैठकर कहीं खो गए तब उनको ऐसा लगा कि जीवन निराकार है उनका मैं मर गया वे जाग्रत थे, लेकिन अपनी चेतना खो चुके थे वे कुछ समझ नहीं पा रहे थे उनके भीतर कुछ बदलने लगा उस वक़्त तक वह एक युवा थे, एक बिजनेसमैन, जो दिल बहलाने के लिए बाइक उठाकर चल पड़े थे उस वक़्त तक वह जगदीश वासुदेव थे, सद्गुरु नहीं उस समय उनके हिसाब से मैं का मतलब था, मेरा शरीर और मेरा दिमाग़ इसके अतिरिक्त सब कुछ बाहरी था लेकिन, उस चट्टान पर बैठने और अपने में खो जाने के बाद उनके लिए मैं और मेरा पर टिके रहना कठिन हो गया उनकी आंखें खुली थीं, वह सब कुछ देख रहे थे, लेकिन तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या मेरा है और क्या मेरा नहीं उन्हें लगा कि वहां की हवा, ज़मीन, जिस पर वह बैठे हैं वो चट्टान-हर चीज़ तो मैं बन चुकी थी

 

बिजनेस छोड़कर पकड़ लिया अध्यात्म का रास्ता

जग्गी वासुदेव के अंदर और बाहर का भेद मिट चुका था इसी चट्टान पर बैठे-बैठे उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हो गई इसके बाद वे आनंदित हो गए वापास जब नीचे आए तो वे पूरी तरह से बदल चुके थे पहले से कहीं अधिक खुश थे जग्गी वासुदेव एक एकदम नये आयाम में पहुंच गए थे, जिसके बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं था उन्हें एक एकदम अलग तरह का अहसास हो रहा था उन्होंने इतना आनंदित, उत्साहित हो रहे थे कि वे कभी कल्पना भी नहीं की थी सब कुछ इतना सुंदर था कि सद्गुरु उसे अब खोना नहीं चाहते थे वह उस चिंतन चट्टान से उठने के बाद पूरी तरह बदल चुके थे इसी के बाद उन्होंने बिजनेस छोड़ा और अध्यात्म का रास्ता पकड़ लिया

 

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