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समुद्री लुटेरों की आंख पर काली पट्टी का क्या है रहस्य जानिए

एक आंख पर काली पट्टी, मुंह में सिगार, बढ़ी हुई दाढ़ी अमूमन इस तरह के वेश में हम समुद्री बदमाशों को सिल्वर स्क्रीन पर देखते हैं लेकिन क्या वास्तव में बदमाश एक आंख को काली पट्टी से ढकते थे कुछ लोग कहते हैं कि यह हकीकत के करीब है तो कुछ लोग फसाना मानते हैं कुछ इतिहासकार कहते हैं कि सुविधा के हिसाब के समुद्री बदमाशों के इस रूप की कल्पना कर पुस्तकों और फिल्मी स्क्रीन पर उतारा गया ऐतिहासिक तौर पर इसके साक्ष्य नहीं हैं कि समुद्री बदमाश एक आंख पर काली पट्टी बांधा करते थे यदि इसे हकीकत या फसाना मान भी लें तो इसके पीछे की वजह क्या थी

काली पट्टी का रहस्य

कुछ शोधकर्ता बताते हैं कि समुद्री बदमाश भी जहाजों का इस्तेमाल किया करते थे वो कभी डेक पर रहते थे तो कभी डेक के नीचे जाया करते थे ऐसे में क्या होता था कि उजाले से अंधेरे में अंधेरे से उजाले की तरफ जाने से देखने में कठिनाई होती थी उस कठिनाई से बचने के लिए एक आंख पर काली पट्टी बांधा करते थे कि ताकि एक आंख के जरिए वो दोनों तरह की स्थितियों का सामना कर सकें 2007 में पाइरेट स्पेशल में कारी नाम की समंदरी बदमाश को आंख के चिकित्सक के पास ले जाया गया और उसकी दोनों आंखों का टेस्ट किया गया टेस्ट के बाद पता चला कि जिस आंख पर काली पट्टी थी उसके जरिए वो रात में सरलता से देख सकती थी वहीं जो आंख खुली हुई थी उसके जरिए रात में देखने में कठिनाई परेशानी आई इसके अतिरिक्त यह भी बोला जाता है कि एक आंख के जरिए वो दूर स्थित अपने टारगेट पर ध्यान केंद्रित करके थे

हकीकत से अधिक फसाना

डॉ रेबेका साइमन जो कि इतिहासकार हैं उनके अनुसार कम से कम इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि समुद्री बदमाश एक आंख पर काली पट्टी बांधा करते थे दरअसल यह कल्पना है खासतौर से बदमाशों के बारे में यह धारणा रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के उपन्यास ट्रेजर आइलैंड की वजह से बनी इसके बाद स्टीवेंसन की कल्पना को जॉन सिल्वर ने आगे बढ़ायासमुद्री बदमाश रहे एडवर्ड टेक जिन्हें ब्लैकबेयर्ड के नाम से भी जाना जाता था उनके जरिए स्टीवेंसन को प्रेरणा मिली और उन्होंने अपनी कल्पना का सहारा लेकर समुद्री डाकुओं के बारे में खाका बनाया साइमन के अनुसार ब्लैक बेयर्ड ने अपनी अंतिम डकैती से पहले किसी को नहीं मारा था लेकिन स्टीवेंसन यह मान बैठे कि डाकू आंखों पर काली पट्टी बांधे नजर आते हैं

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