अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी रिपोर्ट में भारत में कोविड-19 महामारी के बाद बेरोजगारी दर में आई कमी
Unemployment In India After Covid Azim Premji University Report: विश्व में भूखमरी, जलवायु संकट और फूड सप्लाई के अतिरिक्त बेरोजगारी एक बड़ा संकट है। हिंदुस्तान समेत पूरे विश्व के जी-20 देशो में यह परेशानी अब आम बन गई है। पहले एक धारणा थी कि विकसित राष्ट्रों की तुलना में विकासशील और गरीब राष्ट्रों में यह परेशानी अधिक है, लेकिन पिछले कुछ समय में अब यह विकसित राष्ट्रों में भी देखने को मिल रही है।
उधार लेकर खर्च कर रहे भारतीय
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट की मानें तो हिंदुस्तान में Covid-19 महामारी के बाद से बेरोजगारी रेट में कमी आई है, लेकिन पढ़े-लिखे स्नातक युवा अभी भी 15 प्रतिशत से अधिक बेरोजगार है। इन सबके बीच रोजगार का हानि भी अधिक हुआ है एक रिपोर्ट की मानें तो कुल वर्क फोर्स में स्त्रियों की संख्या में कमी आई है। हिंदुस्तान में लोग पैसा सेविंग करने की बजाय उधार लेकर खर्च कर रहे हैं। आम हिंदुस्तानियों को रोजमर्रा के जीवनयापन के लिए काम करना पड़ता है। क्योंकि उनके पास पारिवारिक संपत्ति का अभाव होता है।
बेरोजगारी उच्च स्तर पर बनी हुई है
भारतीयों में उधार लेकर पैसा खर्च करने की प्रवृति बढ़ रही है। इसका प्रमुख कारण उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों का अभाव है। यहां उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों से तात्पर्य एक ऐसी जॉब जो अच्छे वेतन की पेशकश करती हो। स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया 2023 की रिपोर्ट की मानें तो 1980 के दशक में अनुसूचित जाति से जुड़े लोग कचरा निष्पादन के कामों में पांच गुना तथा चमड़े से जुड़े कार्यों में 4 गुना से अधिक थे। लेकिन हाल के सालों में इसमें कमी देखने को मिली है। इसका प्रमुख कारण शिक्षा का बढ़ता प्रचार-प्रसार। रिपोर्ट के मुताबिक नियमित वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या में 2019 के बाद से घटने लगी है। बेरोजगारी बेशक कम हुई है लेकिन यह अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है।
स्व-रोजगार बना बड़ा फैक्टर
कोविड-19 महामारी के बाद शैक्षणिक स्तर पर बेरोजगारी की रेट में कमी आई है। लेकिन स्नातकों के मुद्दे में 15 प्रतिशत और उच्च स्नातकों के मुद्दे में 42 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक बुजूर्ग मजदूरों और कम शिक्षित मजदूरों में यह 2 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। रिपोर्ट में स्त्रियों को लेकर भी रोचक जानकारी सामने आई है। 2004 के बाद से स्त्री रोजगार की रेट में बढ़ोत्तरी हुआ है इसका सबसे बड़ा कारण स्व-रोजगार है। महिलाएं गवर्नमेंट द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का फायदा उठाकर बड़े स्तर पर स्वरोजगार पैदा करने में सक्षम हुई है। इस रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह है कि कम वेतन वाले व्यवसायों में स्त्रियों और अनुसूचित जातियों का अगुवाई आशा से अधिक है।
चुनावी एजेंडे में शामिल हो रोजगार
रोजगार के मोर्चे पर यह स्थिति हिंदुस्तान के लिए दुखद है। हमें राष्ट्र की उपलब्धियों और क्षमताओं को स्वीकार करते हुए इस स्थिति को स्वीकार करना चाहिए। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र है। यहां औसत उम्र 28 साल है। हिंदुस्तान में युवा मर्दों एवं स्त्रियों को वेतन वाले रोजगार की जरूरत है। इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टियों के एजेंडे में युवा सर्वोपरि होना चाहिए। सियासी दलों को बताना चाहिए कि रोजगार के मोर्चे पर वे भारतीय युवाओं के लिए क्या कोशिश कर सकते हैं?