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जनरल अस्पताल बिल्डिंग निर्माण का बजट 47 करोड़ रुपए से बढ़ाकर कर दिया गया 113 करोड़ : सैलजा

चंडीगढ़. पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने बोला कि घोटालों की बीजेपी गवर्नमेंट में एक और ताजा भ्रष्टाचार सामने आया है. यह मुद्दा पंचकूला सेक्टर-6 में 11 मंजिला जनरल हॉस्पिटल की बिल्डिंग बनाने के दौरान खामियां छोड़ने का है. इस बिल्डिंग निर्माण का बजट 47 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 113 करोड़ कर दिया गया, लेकिन बिल्डिंग में उस तरह के व्यवस्था ही नहीं किए गए, जो हॉस्पिटल में होने चाहिए. अब गवर्नमेंट को बिल्डिंग का स्पेशल ऑडिट कराने के बाद ही ठेकेदार को भुगतान किया जाना चाहिए.
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने बोला कि वर्ष 2014 के बाद से प्रदेश में समय-समय पर नए-नए घोटाले सामने आ रहे हैं. हर बार घोटाले को अंजाम देने का तरीका भी बदल लिया जाता है. कोई विभाग ऐसा नहीं बचा है, जिसमें सत्ता के आशीर्वाद के कारण कोई बड़ा खेल न खेला गया है. एक भी घोटालेबाज को आज तक सजा नहीं हुई, जिससे साफ है कि घोटाले के बाद नीचे से ऊपर तक हिस्से बंटते रहे हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहाकि बिल्डिंग का हैंडओवर लेने से पहले डॉक्टरों की टीम ने दौरा किया तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई. डॉक्टरों के कमरों, कॉन्फ्रेंस हॉल, रोगियों के वार्ड के अंदर सीवरेज की पाइप ओपन ही डाल दी है. कुछ फ्लोर पर एसी डक्ट भी ओपन ही इंस्टॉल की गई है. जब टीम ने पीडब्ल्यूडी अफसरों के सामने इन्हें कवर करने की बात कही तो उन्हें कहा गया कि बिल्डिंग में फॉल सीलिंग का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में 11 मंजिला बिल्डिंग में जब भी सीवरेज का पाइप लीक होगा या एसी डक्ट कहीं से टपकेगी तो कमरों में बैठना भी दूभर हो जाएगा.
कुमारी सैलजा ने कहाकि कमीशनखोरी के लिए हॉस्पिटल की बिल्डिंग की लागत को 47 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 82 करोड़ किया गया. फिर इसे 93 करोड़ और बाद में 113 करोड़ कर दिया गया. इससे साफ है कि बिल्डिंग में हॉस्पिटल के अनुसार सुविधाएं मौजूद कराने से अधिक ध्यान बजट के बढ़ाने की तरफ ही रहा. अन्यथा, थर्ड फ्लोर पर बनाए जा रहे 06 ऑपरेशन थियेटर में से केवल 01 को ही मॉड्यूलर न बनाया जाता. समय की आवश्यकता के अनुसार सभी 06 ओटी को मॉड्यूलर बनाया जा सकता था.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बोला कि प्रस्तावित ओपीडी, लैब या सैंपल कलेक्शन सेंटर्स पर हाथ धोने तक की सुविधा नहीं दी गई है. जबकि, डॉक्टर्स से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ या ब्लड सैंपल लेने वाले एलटी, यहां तक की रोगियों को हाथ धोने की आवश्यकता पड़ जाती है. हॉस्पिटल में हैंड वॉश का व्यवस्था न करना दर्शाता है कि जानबूझकर निर्माण के दौरान इन सब कमियों को छोड़ा गया है, ताकि फिर से बजट बढ़ा कर सरकारी धन की बंदरबांट की जा सके.

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