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भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक पहुंचे नई दिल्ली, जहा एस जयशंकर ने हवाई अड्डे पर …

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक 5 नवंबर को नयी दिल्ली पहुंचे, जहां विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब भूटान चीन के साथ जरूरी सीमा वार्ता में लगा हुआ है और इस घटनाक्रम से नयी दिल्ली के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आई पिछले महीने, भूटान और चीन ने बीजिंग में 25वें दौर की द्विपक्षीय सीमा वार्ता आयोजित की थी भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी वार्ता के लिए बीजिंग में थे दो घोषणाएँ कीं जिन्होंने हिंदुस्तान को चौंका दिया भूटान ईमानदारी से सीमा टकराव का त्वरित निवारण चाहता है, और जल्द से जल्द चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहता है कई जानकारों का बोलना है कि हिंदुस्तान इस मुद्दे में अनजान बना हुआ है

दोरजी की बीजिंग यात्रा से पहले  किसी भूटानी विदेश मंत्री की पहली यात्रा विवादित सीमा को सुलझाने के राष्ट्रों के कोशिश निरर्थक साबित हुए थे साथ ही यह 25वें दौर की वार्ता सात वर्ष के अंतराल के बाद हुई जरूरी रूप से, यह लंबा अंतराल 2017 की गर्मियों में डोकलाम गतिरोध के बाद आया था, जब भारतीय और चीनी सैनिकों ने स्वयं को सुदूर लेकिन संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में उलझा हुआ पाया, जहां भूटान, हिंदुस्तान (सिक्किम) और चीन (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) एक दूसरे से मिलते हैं त्रि-जंक्शन जाहिर तौर पर, यह सीमा संघर्ष की गंभीरता थी जिसके कारण थिम्पू और बीजिंग के बीच वार्ता स्थगित हो गई Covid-19 महामारी के बीच वार्ता को आगे रद्द कर दिया गया

चीन का कैलकुलेशन

चीन के अधिकतर जानकारों ने 73 दिनों के डोकलाम गतिरोध पर बीजिंग की प्रतिक्रिया को दंग और चिंतित कहा था 2020 का गलवान संघर्ष जाहिर तौर पर डोंगलांग संकट का बदला लेने के लिए था, और असली नियंत्रण रेखा के साथ संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में चीनी सेना को स्थायी रूप से हानि पहुंचाने के लिए भी था साथ ही, चीन भूटान के साथ अपनी सीमा वार्ता की विफलता के लिए नयी दिल्ली को उत्तरदायी ठहराता है यहां यह जानना प्रासंगिक है कि चीन जिन 14 पड़ोसी राष्ट्रों के साथ भूमि सीमा साझा करता है, उनमें से सिर्फ़ भूटान और हिंदुस्तान के बीच विवादित सीमा बनी हुई है जैसा कि हाल ही में एक चीनी विद्वान ने दावा किया था हिंदुस्तानसिर्फ़ सीमा समस्याओं को हल करने की दिशा में किसी भी प्रगति में बाधा डाल रहा है, बल्कि नयी दिल्ली भूटान और चीन के बीच राजनयिक संबंधों को भी रोक रहा है

भूटान का लाभ

चीन के साथ संबंधों को तेजी से सामान्य बनाकर भूटान कई राजनयिक, आर्थिक और सियासी लाभों पर विचार कर रहा है, जिनमें से सबसे बड़ा फायदा P5 राष्ट्र के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने में सक्षम होना है हिमालयन साम्राज्य एक अद्वितीय संयुक्त देश सदस्य-देश है, जिसके सिर्फ़ 54 राष्ट्रों के साथ राजनयिक संबंध हैं, जो ज्यादातर छोटे, क्षेत्रीय राष्ट्र हैं उल्लेखनीय है कि भूटान के संयुक्त देश सुरक्षा परिषद के सभी पांच स्थायी सदस्यों के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं

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