अंतर्राष्ट्रीय

जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाले एक भारतीय-अमेरिकी दलित कार्यकर्ता की हुयी मृत्यु

वाशिंगटन: कैलिफोर्निया असेंबली में पिछले दिनों जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक के विरोधी एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी दलित कार्यकर्ता की मृत्यु हो गई. क्यूपर्टिनो में सिटी काउंसिल की बहस के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ गया. मिलिंद मकवाना 18 जुलाई को हुई इस बैठक में एसबी403 के विरुद्ध अपनी बात रख रहे थे और उसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा.

क्या हुआ था?

एसबी403 कैलिफोर्निया राज्य में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक है जिसे राज्य की सीनेट ने मई में स्वीकृति दी थी. कैलिफोर्निया पहला अमेरिकी राज्य है जिसने भेदभाव-विरोधी कानूनों में जाति को संरक्षित श्रेणी के रूप में जोड़ा है. क्यूपर्टिनो के कार्यकर्ता मिलिंद मकवाना ने दिनभर विभिन्न बैठकों और सिटी काउंसिल की बहस में भाग लिया. उन्होंने विधेयक के विरुद्ध अपनी बात रखी की और बोला कि यह विधेयक दलित विरोधी है. बहस के कुछ ही देर बाद वह बेहोश हो गए.

मिलिंद की पत्नी ने क्या कहा?

हिंदू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस) द्वारा जारी एक बयान में मिलिंद की पत्नी पूर्वी मकवाना ने कहा, ”मिलिंद की साफ धारणा थी कि दलित और बहुजन भी हिंदू हैं. वह वंचित समुदायों के लिए इन्साफ के प्रति जुनूनी थे और साथ ही, सभी समुदायों के बीच आपसी विश्वास और सद्भाव चाहते थे.

पूर्वी ने कहा, ”अपने पूरे जीवन में वह धर्म के लिए खड़े रहे. मैं, समुदाय से आग्रह करती हूं वह न्याय, सामंजस्य और धर्म के मिलिंद के सपने को समर्थन दें और आगे बढ़ाएं.” मिलिंद, सेवा इंटरनेशनल यूएसए के एक्टिव कार्यकर्ता थे. एक सेवा स्वयंसेवक के रूप में, मिलिंद ने साल 2015 में तमिलनाडु में भारी बाढ़ आने पर राहत कार्यों में हिस्सा लिया था. वह ‘आंबेडकर-फुले नेटवर्क ऑफ अमेरिकन दलित्स एंड बहुजन्स’ (एपीएनएडीबी) के भी सदस्य थे.

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