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डेंगू फीवर में बिना डॉक्टर की सलाह के क्यों नहीं लेनी चाहिए एंटीबायोटिक दवाएं

राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में इन दिनों डेंगू का कहर देखने को मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग डेंगू फीवर की चपेट में आ रहे हैं. बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी भरने से मच्छर पैदा हो जाते हैं, जो डेंगू फीवर की वजह बन जाते हैं. डेंगू एक वायरल बुखार है, जो कई मामलों में गंभीर हो जाता है और आदमी भी मृत्यु हो जाती है. इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डेंगू फैलाने वाले मच्छरों से बचाव करना बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे मच्छरों को पनपने से रोकना डेंगू से बचाव का सबसे अच्छा विकल्प है. डेंगू की चपेट में आने पर लोगों का प्लेटलेट काउंट गिरने लगता है और तेज बुखार आता है. ऐसे में लोगों को सोच समझकर दवा लेनी चाहिए और स्वयं उपचार से बचना चाहिए. गलत दवा लेने से डेंगू के रोगियों की कंडीशन सीरियस हो सकती है. आज चिकित्सक से डेंगू के ट्रीटमेंट से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जान लेते हैं

ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनेट मेडिसिन डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डाक्टर दिनेश कुमार त्यागी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में डेंगू के रोगी सामने आ रहे हैं, उनमें से कई लोगों को आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ रही है. इसकी प्रमुख वजह लोगों द्वारा घर पर डेंगू का स्वयं उपचार करना है. सभी को यह बात समझनी चाहिए कि डेंगू एक गंभीर और जानलेवा रोग है. डेंगू के मरीजों का उपचार घर पर नहीं किया जा सकता है. कुछ रोगियों में इसके गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें तेज बुखार, शरीर में दर्द, इंटरनल ब्लीडिंग और सांस फूलना शामिल है. ऐसे मरीजों को तुरंत चिकित्सक की देखरेख में ठीक उपचार कराने की जरूरत होती है. डेंगू के लक्षण दिखने पर ब्लड टेस्ट कराएं और आवश्यकता के मुताबिक उपचार कराएं.

डेंगू के रोगी भूलकर भी न लें ये दवाएं

डॉ. दिनेश कुमार त्यागी के मुताबिक डेंगू के लक्षण दिखने पर पेनकिलर, एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाएं लेने से बचना चाहिए. चिकित्सक की राय के बिना बुखार आने पर ये दवाएं लेना घातक हो सकता है. डेंगू होने पर ये दवाएं लेने से प्लेटलेट काउंट कम हो सकता है और कंडीशन गंभीर हो सकती है. डेंगू होने पर उसकी जटिलताओं को रोकने के लिए सभी को दर्द निवारक दवाओं और अन्य ओवर-द-काउंटर मिलने वाली दवाओं के जरिए स्वयं से उपचार करने से बचना चाहिए. पेनकिलर्स लेने से इंटरनल ब्लीडिंग की कंडीशन पैदा हो सकती है. इससे सभी को बचना चाहिए.

डेंगू में केवल यह दवा लेना सुरक्षित

डॉ. त्यागी कहते हैं कि डेंगू होने पर हल्के लक्षणों को पैरासिटामोल के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है. पैरासिटामोल डेंगू के लिए सबसे सुरक्षित दवा मानी जा सकती है, जो लोग आवश्यकता पड़ने पर ले सकते हैं. इसके अतिरिक्त ठंडे पानी के स्पॉन्जिंग से भी डेंगू बुखार को नियंत्रित किया जा सकता है. स्पॉन्जिंग का मतलब होता है कि ठंडे पानी में रूमाल या कोई कपड़ा भिगोकर शरीर को पोंछना. हालांकि इन सबके बाद भी डेंगू के लक्षण बने रहते हैं या कंडीशन बिगड़ने लगती है, तो तुरंत चिकित्सक से राय लेना महत्वपूर्ण हो जाता है. इसमें ढिलाई एकदम नहीं करनी चाहिए.

इस तरह का खाना फायदेमंद

एक्सपर्ट की मानें तो डेंगू होने पर लोगों को भरपूर पानी पीना चाहिए, फल और ताजा पका हुआ भोजन खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहता है. डेंगू की चपेट में आने पर दूषित भोजन और उससे होने वाली रोंगों के किसी भी खतरे को रोकने के लिए बासी या खुले भोजन से परहेज करना बहुत जरूरी है. इसके अतिरिक्त डेंगू की रोकथाम के लिए मुनासिब कपड़े पहनें, ताकि मच्छरों को काटने से रोका जा सके. विशेष रूप से बच्चे और बुजुर्ग पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. अपने आसपास पानी न जमा होने दें. नियमित रूप से घर में कंटेनरों को खाली और साफ करें और बाथरूम के अंदर पानी की बाल्टियां रखने से बचें. मच्छर निरोधक क्रीम और मच्छरदानी का प्रयोग करें. डेंगू होने पर यदि जल्द पता लगाकर उपचार कराया जाए, तो शीघ्र रिकवर हो सकते हैं.

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