स्वास्थ्य

सर्दियों में होने वाली तमाम समस्‍याओं का रामबाण उपाय है कच्‍ची हल्‍दी

बरसात का मौसम अब समाप्त होने को है. सर्दियां प्रारम्भ होते ही बाजार में कच्ची हल्दी मिलने लगेगी. कच्ची हल्दी जिसे आप पत्तियों के साथ देखते हैं सूखी हल्दी या हल्दी पाउडर से कैसे अलग और स्वास्थ्य के लिए कितनी लाभ वाला है आइए ये जानते हैं…

कच्ची हल्दी में औषधीय गुण अधिक

कच्ची हल्दी को काटने पर अलग तरह की खुशबू आती है. आयुर्वेद में हल्दी को कर्पूरहरिद्रा और आम्रगन्धिहरिद्रा भी बोला गया है. कर्पूरहरिद्रा यानी हल्दी में कपूर जैसी महक आती है और आम्रगन्धिहरिद्रा यानी हल्दी में आम जैसी सुगंध भी आती है.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के द्रव्यगुण विभाग के प्रोफेसर डाक्टर भुवाल राम बताते हैं कि सूखी हल्दी के पाउडर के मुकाबले कच्ची हल्दी में औषधीय गुण अधिक होते हैं.

हालांकि हल्दी कच्ची हो या सूखी दोनों में मिनरल्स और एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं. इसमें मैंग्नीज, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, सोडियम, जिंक, आयरन, कॉपर, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन B3, B6, कोलीन, फोलेट, विटामिन C, विटामिन A पाया जाता है. लेकिन सबसे खास इंग्रेडिएंट है ‘करक्यूमिन’.

सूखी खांसी में कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करना चाहिए. कच्ची हल्दी को ग्राइंड कर लें और उसमें एक चम्मच घी मिलाकर लें तो सर्दी-खांसी दूर हो जाती है.

करक्यूमिन से हल्दी का रंग पीला

करक्यूमिन एक पॉलिफेनोल कंपाउंड है जिसकी वजह से ही हल्दी को पीला रंग मिलता है.

इसमें एंटी इंफ्लैमेटरी गुण होते हैं. यानी शरीर में जलन, सूजन, दर्द, इंफेक्शन जैसी समस्याओं में राहत देने का काम करता है. वैसे कच्ची हल्दी में करक्यूमिन अधिक होता है इसलिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

डॉ. भुवाल बताते हैं कि करक्यूमिन को एंटी कैंसर प्रॉपर्टी के लिए जाना जाता है. कैंसर की दवा के रूप में भी इस पर रिसर्च की जा रही है.

घी के साथ मिलाकर खाएं, इम्यूनिटी बढ़ेगी

कच्ची हल्दी बहुत कम मिलती है इसलिए इसका इस्तेमाल कम है. लेकिन जब भी सीजन में कच्ची हल्दी मिले तो स्वास्थ्य फायदा के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कच्ची हल्दी को उबाल कर एक चम्मच घी के साथ सुबह पिएं. इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है.

दूध के साथ कच्ची हल्दी उबालकर पिएं

कच्ची हल्दी के साथ उबले दूध को ‘गोल्डन मिल्क’ बोला जाता है. कच्ची हल्दी को पीसकर दूध में मिला दें और इसे एक उबाल आने तक गर्म करें.

ऐसा दूध पीने से शरीर कई रोंगों और खासकर सीजनल फ्लू, खांसी से दूर रहता है. बच्चों को तो कच्ची हल्दी मिलाकर दूध जरूर पिलाना चाहिए.

खासकर उन बच्चों को जिनको सांस से जुड़ी परेशानियां हैं. बच्चों को देने के लिए हरिद्रा खंड तैयार किया जाता है यानी हल्दी, गुड़, खांड से बनी औषधि.

डॉ. भुवाल बताते हैं कि हल्दी कंद है. इसलिए इसे उबाल कर ही खाना चाहिए. कई बार लोग गर्म दूध में कच्ची हल्दी या हल्दी का पाउडर मिलाकर पीते हैं. लेकिन ऐसा करने से शरीर को सभी न्यूट्रिशन नहीं मिल पाते.

फूड पॉइजनिंग से बचाती है कच्ची हल्दी

कच्ची हल्दी खाने से डाइजेशन बेहतर होता है. पेट में मरोड़, ऐंठन होने पर भी कच्ची हल्दी खाएं. कच्ची हल्दी को आयुर्वेद में वेदनास्थापन या वेदना नाड़ी शून्य भी बोला गया है.

पेट में अल्सर होने की स्थिति में भी कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करना चाहिए. ब्रिटिश मेडिल जर्नल (BMC) में छपी रिपोर्ट ‘कंप्लीमेंट्री एंड एल्टरनेटिव मेडिसिन’ के अनुसार, लिवर ठीक ढंग से काम करे इसके लिए कच्ची हल्दी बहुत उपयोगी है. यह लिवर एंजाइम्स को बढ़ाता है. ‘द आर्काइव्स ऑफ न्यूट्रिशन’ में कहा गया है कि हल्दी फैटी लिवर में भी काम करती है.

आयुर्वेद के सबसे प्राचीन ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ के अनुसार, हल्दी का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग नहीं होती.

हल्दी का एक नाम क्रिमिघ्ना भी है यानी कृमि समाप्त करने वाला. दूध के साथ हल्दी लेने पर यह कृमि को समाप्त करता है.

कच्ची हल्दी धूप से स्किन को बचाए

कच्ची हल्दी नेचुरल सनस्क्रीन लोशन है. स्किन का नेचुरल कलर बनाए रखने के गुण के कारण ही हल्दी को वरवर्णिनी (सुंदर चमकती त्वचा के लिए), कान्चनी और योषितप्रिया बोला गया है. योषितप्रिया का मतलब है उबटन लगाने और स्री रोगों में फायदा पहुंचाने वाला.

धन्वन्तरीय निघण्टु के अनुसार, कच्ची हल्दी गर्म होती है. यह कफ, वात, रक्त विकार और त्वचा विकार का नाश करती है.

डॉ. भुवाल बताते हैं कि राष्ट्र के दक्षिण के राज्यों में हल्दी के इन गुणों के कारण ही लेप के रूप में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.

चेहरे पर कच्ची हल्दी का लेप अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने के लिए किया जाता है. कई शोधों में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल करने से स्किन कैंसर का खतरा कम हो जाता है.

डायबिटीज बीमारी में कच्ची हल्दी दी जाती है

हल्दी का इस्तेमाल किडनी की रोंगों में किया जाता है. डायबिटीक रोगियों में यह ब्लड शुगर लेवल को कम करती है. कच्ची हल्दी को ब्लड प्यूरीफाइर भी बोला गया है.

डॉ. भुवाल राम बताते हैं कि प्रसव के बाद मां को कच्ची हल्दी मिला दूध देना चाहिए. क्योंकि यह मां के दूध को प्यूरिफाई करता है और यूट्रस को क्लीन करने का भी काम करता है. ब्रेस्टफीडिंग में बच्चे को अच्छा दूध मिलता है.

कच्ची हल्दी है नेचुरल पेनकिलर

हाथ-पैर या शरीर में कहीं चोट लग जाए या मोच आ जाए तो हल्दी-चूना का लेप चढ़ाया जाता है. यह सबसे बढ़िया नेचुरल पेनकिलर है. क्या आपने कभी गौर किया है कि हल्दी के साथ चूना मिलाने पर इसका रंग लाल क्यों हो जाता है. इसका कारण यह है कि हल्दी चूने के संपर्क में आते ही कोई भी दो फेनोलिक प्रोटोन को न्यूट्रलाइज कर देता है.

यह तब पीले रंग के ओरिजिनल बेंजेनोएड स्ट्रक्चर को लाल रंगे के क्विनोनोएड स्ट्रक्चर में बदल देता है. रेड कलर का वेवलेंथ पीले रंगे से अधिक होता है. यही कारण है कि चूने के साथ मिलते ही हल्दी पीले से लाल रंग में बदल जाती है.

क्या हल्दी का पानी पीना चाहिए

क्या कच्ची हल्दी को रातभर पानी में डुबो कर रखने और सुबह में उसे छान कर पिया जा सकता है? इस प्रश्न पर डाक्टर भुवाल राम ने कहा कि हल्दी का पानी नहीं पीना चाहिए. इसका कोई लाभ नहीं होता. इसे उबाल कर ही पीना चाहिए.
चलते-चलते

कच्ची हल्दी का अचार लाजवाब होता है

कच्ची हल्दी का अचार खाने में टेस्टी तो होती ही है इसमें औषधीय गुण भी होते हैं.

कैसे बनाएं कच्ची हल्दी का अचार

  • हल्दी को पानी से धोकर साफ कर लें
  • थोड़ी देर के लिए धूप में सूखने दीजिए
  • छिली हल्दी को बारीक काट लीजिए
  • सरसों का ऑयल कढ़ाई में डालकर गर्म करें
  • इसमें हींग, मेथी और सारे मसाले के साथ हल्दी डालें
  • हल्दी के मिक्सचर को नींबू का रस मिलाएं
  • इसे अच्छी तरह मिला दें
  • हल्दी के अचार को कंटेनर में रखें
  • दो दिनों तक धूप में रखें
  • हल्दी का अचार खाने के लिए तैयार है

 

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