International Women Day: महिलाएं जरूरी है ये मेडिकल जांच
अंतर्राष्ट्रीय स्त्री दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य स्त्रियों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क करना और समाज में मर्दों के बराबरी स्त्रियों को दर्जा प्राप्त करवाना है। ताकि स्त्रियों के साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए। इस स्त्री दिवस पर हम बताएंगे कि स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण मेडिकल जांच में क्या-क्या होता है।
आमतौर पर महिलाएं रेगुलर मेडिकल रूटीन चेकअप कराने से कतराती हैं। यदि वे ऐसा करें, तो निश्चय ही शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी। साथ ही जीवन में अपने सपनों को हासिल कर पायेंगी।
पेल्विक एरिया का अल्ट्रासाउंड
हार्मोन असंतुलन के कारण महिलाएं पीरियड्स में अनियमितता, हेवी ब्लीडिंग, वाइट डिस्चार्ज या ल्यूकोरिया होने जैसी समस्याएं कम उम्र में पीरियड्स के साथ प्रारम्भ हो जाती है। इनसे एब्नार्मल यूटराइन ब्लीडिंग, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, यूटरस में सूजन जैसी बीमारियां होने का अंदेशा रहता है। अनदेखी करने पर इंफर्टिलिटी भी हो सकती है। इनका पता लगाने के लिए स्त्री के एब्डोमेन या पेल्विक एरिया का अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
हीमोग्लोबिन एचबी टेस्ट
शरीर में सूजन, थकान महसूस करना, सांस फूलना, आंखों के आग अंधेरा छाना जैसी समस्याएं खून में हीमोग्लोबिन लेवल की कमी (10 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम ) से होती हैं। इसके लिए ब्लड टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण है।
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग
20 से 22 वर्ष की उम्र की स्त्रियों को हर महीने पीरियड्स के बाद ब्रेस्ट सेल्फ-एग्जामिनेशन जरूर करना चाहिए। ब्रेस्ट में किसी तरह के परिवर्तन या कोई गांठ महसूस हो या फैमिली हिस्ट्री हो, तो स्त्रियों को वर्ष में एक बार क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिन कराना चाहिए। इसमें मेमोग्राम, ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड या एमआरआइ स्कैन किया जाता है। प्री-मेनोपॉज स्टेज पर पहुंची 38-40 साल की उम्र की स्त्रियों को वर्ष में एक बार ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए, 40-45 साल की उम्र के बाद 2 वर्ष में एक बार मेमोग्राम कराना चाहिए और 55 वर्ष के बाद हर दो वर्ष में जांच करायी जानी चाहिए।
पैप स्मीयर स्क्रीनिंग
सुरक्षा के लिहाज से सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए 21 साल की उम्र में स्त्रियों को साल में एक बार पैप स्मीयर स्क्रीनिंग या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। जिन स्त्रियों को पहले सर्वाइकल डिसप्लेसिया विकार हो चुका है, उन्हें विवाह के बाद या 25 साल की उम्र में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। 30 साल के बाद हर 3 वर्ष के अंतराल में और 40 साल की उम्र के बाद 5 वर्ष के अंतराल में 65 वर्ष तक टेस्ट करवानी चाहिए।
बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट
मेनोपॉज के कारण स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत तेजी से कम होने लगता है, जिससे उनमें हड्डियों के क्षरण या ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए 50 वर्ष के बाद उन्हें हर दो वर्ष मे नियमित रूप से बीएमडी टेस्ट यानी डेक्सा स्कैन (ड्योल-एनर्जी एक्स-रे एब्सोप्टिओमीटरी) करवाना चाहिए।
थॉयराइड टीएसएच टेस्ट
महिलाएं थॉयराइड ग्लैंड में हॉर्मोन असंतुलन की वजह से अक्सर सक्रिय थॉयराइड या हाइपो थॉयराइड की परेशानी से जूझती हैं। इसके पीछे आनुवंशिक या मेनोपॉज कारण होते हैं। स्त्रियों को थॉयराइड के स्तर की जांच के लिए हर तीन वर्ष में टीएसएच ब्लड टेस्ट कराना चाहिए।
लिपिड प्रोफाइल
हार्ट डिजीज से बचने के लिए 45 वर्ष की उम्र की स्त्रियों को अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जरूर चेक कराना चाहिए और हर पांच वर्ष बाद रिपीट करना चाहिए।
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग
ब्लड प्रेशर लेवल 80/130 मिलीमीटर(एमएमएचजी) से अधिक होने पर कोरोनरी हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक का खतरा रहता है। 18 वर्ष से अधिक उम्र की स्त्रियों को हर 2 वर्ष में एक बार बल्ड प्रेशर चेक कराना चाहिए।
डायबिटीज स्क्रीनिंग
ब्लड शूगर लेवल चेकअप के लिए वर्ष में एक बार एचबी ए1सी ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। वे महिलाएं जिनका ब्लड प्रेशर130/80 मिमी एचजी या अधिक हो, बीएमआइ इंडेक्स 25 से अधिक हो, डायबिटीज या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री रही हो या फिर प्रेगनेंट हों- उन्हें डायबिटीज टेस्ट नियमित रूप से कराना चाहिए।
लिवर फंक्शन टेस्ट
महिलाओं में बीएमआइ इंडेक्स अधिक होने का असर लिवर पर भी पड़ता है और यह लिवर सिरोसिस का कारण भी बन सकता है। लिवर के फंक्शन की जांच के लिए स्त्रियों को वर्ष में एक बार एसजीओटी या एसजीपीटी या एल्कालाइन फॉस्फोटेस टेस्ट करवाना चाहिए।
आइज चेकअप
50 वर्ष की उम्र तक की स्त्रियों को 1-2 वर्ष में एक बार आइज-चेकअप कराना चाहिए, ताकि ग्लूकोमा डिजीज या नजर कमजोर होने का पता लग सके।