स्वास्थ्य
International Women Day: महिलाएं खुद को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान दें इन बातों का…
अंतरराष्ट्रीय स्त्री दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य स्त्रियों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क करना और समाज में मर्दों के बराबरी स्त्रियों को दर्जा प्राप्त करवाना है। ताकि स्त्रियों के साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए। इस स्त्री दिवस पर हम बताएंगे कि आप स्वयं का कैसे ख्याल रख सकती हैं।
महिलाएं या तो परिवार और बच्चों को अहमियत देती हैं या करियर को। सबसे पहले उन्हें अपनी प्राथमिकताएं स्वयं तय करनी होगी, जिसमें सबसे ऊपर स्वयं को रखना होगा, तभी वह अपने परिवार की देखभाल भी कर पायेंगी और करियर में नई ऊंचाइयां भी छू पायेंगी।
- रोज सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीएं।
- सुबह का नाश्ता जरूर करें। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने और वजन को नियंत्रित करने में सहायता करता है।
- चाय और कॉफी का कम-से-कम सेवन करें, क्योंकि इनमें टैनिन होता है, जो आयरन के अवशोषण को रोकता है।
नियमित समय पर भोजन करें। - अपने भोजन में हरी सब्जियां, साबुत अनाज और फलों को अवश्य शामिल करें।
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहें। नियमित रूप से कम-से-कम आधा घंटा टहलें या एक्सरसाइज करें।
- दिन में तीन बार मेगा मील खाने की स्थान छह बार मिनी मील खाएं। फास्ट फूड की बजाय घर का बना खाना खाएं।
- कंप्यूटर पर लगातार काम न करें, बीच में थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लेती रहें। ऑफिस का काम घर पर लेकर न आएं।
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं साथ ही अपने लिए भी समय निकालें।
- स्वस्थ रहने का संकल्प क्यों जरूरी
बता दें पहले हार्ट अटैक से मरने वाले मर्दों और स्त्रियों का अनुपात 10:2 था, वहीं अब यह अनुपात बढ़कर 10:7 हो गया है।
बचपन में अवसाद की परेशानी लड़कियों और लड़कों में समान अनुपात में होती है, लेकिन किशोरावस्था में यह अनुपात 2:1 हो जाता है। - हमारे राष्ट्र में हर तीन में से एक स्त्री एनीमिया की शिकार है। गर्भवती स्त्रियों में यह अधिक गंभीर है, करीब 57.8 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
- ब्रेस्ट कैंसर स्त्रियों में मर्दों के मुकाबले 100 गुना अधिक होता है।
- पिछले एक दशक में स्त्रियों में दिल की रोंगों के मुद्दे पांच गुना तक बढ़ गये हैं।
- ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित 50 फीसदी स्त्रियों में विटामिन डी की कमी पायी जाती है।
- प्रसव के बाद लगभग 80 फीसदी महिलाएं अवसादग्रस्त अनुभव करती हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, हिंदुस्तान में 50 वर्ष से अधिक उम्र की स्त्रियों में से हर दूसरी ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है।