AIIMS ने अर्थराइटिस मरीजों के लिए उठाया बड़ा कदम, रोजगार के लिए लेबर मिनिस्ट्री के साथ समझौता
Job For Patients With Disabilities: रूमेटिक डिजीज गठिया और जोड़ों, टेंडन, लिगामेंट, हड्डियों और मांसपेशियों को प्रभावित करने वाले स्थिति को परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. रुमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर विकलांगता के 10 मुख्य कारणों में से एक है. क्योंकि कई बार मुनासिब उपचार के बाद भी गठिया के रोगियों को फिजिकल डिसेबिलिटी का सामना करना पड़ता है. जो कहीं ना कहीं रोगी को मानसिक रूप से भी कमजोर करता है.
ऐसे में गठिया के स्थिति के कारण शारीरिक विकलांगता से जूझ रहे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के रोजगार महानिदेशालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया हैं. ताकि गठिया से प्रभावित लोगों के जीवन को सार्थक बनाया जा सके, और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किए जाए जिससे वह अपने परिवार पर बोझ मात्र बनकर ना रह जाएं.
मरीज के बेहतर जीवन के लिए उठाया गया कदम
एम्स डॉ उमा कुमार ने इस जरूरी कदम के बार में बात करते हुए बोला कि यह समझौता ज्ञापन हमारे व्यापक रोजगार और सामाजिक समावेशन रणनीतियों में रुमेटोलॉजिकल विकलांगता वाले रोगियों की जरूरतों के लिए एक प्रभावकारी कदम है. यह केवल चिकित्सा इलाज के बारे में नहीं है, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि वह समाज में एक सम्मानजनक जीवन बिता सकें.
इलाज के खर्च के कारण नहीं मिलता परिवार का साथ
एम्स डॉ ने गठिया रोगियों के संघर्ष पर आगे बात करते हुए बोला कि इस रोग जीवनभर उपचार की जरूरत होती है, जिससे रोगी परिवार पर आर्थिक बोझ बनकर रह जाता है. ऐसे में कई बार परिवार एक समय के बाद रोगी के साथ तक छोड़ देते हैं.
ध्यान देने वाली बात
गठिया बीमारी मर्दों की तुलना में स्त्रियों में अधिक कॉमन डिजीज है. कई सारी स्टडी में यह पाया गया है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनके दूसरों की तुलना में इस बीमार से ग्रस्त होने की आसार अधिक होती है.