क्या नींबू का रस और शहद मिलाकर गले की खराश से मिलती है राहत…
मौसम बदलते ही अक्सर सर्दी, खांसी और गले में खराश जैसी मौसमी समस्याओं का अनुभव करते हैं। जबकि एक गोली खाने या कफ सिरप पीने को अहमियत दी जाती है, कई लोग घरेलू हर्बल उपचारों का भी सहारा लेते हैं जिनके बारे में बोला जाता है कि इससे तुरंत राहत मिलती है। आइए जानते हैं क्या नींबू का रस और शहद मिलाकर गले की खराश से राहत मिलती है? जानें एक्सपर्ट की राय।
आहार जानकार सिमरत भुई ने कहा, जब गले में खराश होने पर नींबू को शहद के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है, तो दोनों की एंटीऑक्सीडेंट प्रकृति बिल्कुल राहत देती है। भुई ने कहा, “शहद में एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं और सांस रोगों में कई चिकित्सीय भूमिकाएं होती हैं।”
जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट के डाक्टर श्रीकांत एचएस (सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी) ने बोला कि नींबू की खट्टा प्रकृति कफ को तोड़ने और संक्रमण से लड़ने में सहायता कर सकती है।
वहीं एक्सपर्ट सिमरत भुई ने बोला कि इसमें थोड़ी सी काली मिर्च भी मिला सकते हैं। भुई ने कहा, “इससे दर्द, सूजन और खराश से तुरंत राहत मिलेगी।”
डॉ। श्रीकांत ने बोला कि इस मिश्रण का नमीयुक्त असर गले में सूखापन और जलन को कम करने में सहायता करता है, जिससे स्वास्थ्य में राहत मिलती है। “शहद से जुड़े बोटुलिज़्म के खतरे के कारण, शिशुओं और बच्चों को छोड़कर, नींबू और शहद का तरीका आम तौर पर सभी उम्र समूहों के लिए सुरक्षित है। बच्चों के लिए नींबू के रस को पानी में घोलकर और थोड़ी मात्रा में शहद मिलाकर मिश्रण को और अधिक टेस्टी बनाया जा सकता है।”
सीके बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्ली के ईएनटी विभाग की प्रमुख सलाहकार डाक्टर दीप्ति सिन्हा ने बोला कि ताजा अदरक के रस में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से बच्चों सहित हर उम्र वर्ग के लिए गले की खराश का अधिक ताकतवर घरेलू उपचार हो जाता है। “शहद के जीवाणुरोधी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की खराश को शांत करते हैं, और नींबू की विटामिन सी कंसंट्रेशन प्रतिरक्षा को बढ़ाती है और बलगम के समाप्त करने की सुविधा प्रदान करता है। अदरक के जरूरी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इलाज की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं। ”
कैसे बनाएं?
200 मिलीलीटर पानी में ताजा अदरक का एक छोटा टुकड़ा, एक चम्मच शहद और ताजा नींबू के रस की कुछ बूंदें उबालकर एक स्वस्थ मिश्रण बनाया जा सकता है। डाक्टर सिन्हा ने कहा, “ओसीटी (ओवर-द-काउंटर) सूप पैकेट के बजाय ताजी सामग्री का इस्तेमाल एक्टिव पदार्थों की उच्च कंसंट्रेशन की गारंटी देता है, जो उपचार के संभावित लाभों को बढ़ा सकता है।”
क्या ध्यान रखें?
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, यह ध्यान रखना जरूरी है कि शिशु बोटुलिज़्म के जोखिम के कारण एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं दिया जाना चाहिए। जिन लोगों को इनमें से किसी भी घटक से एलर्जी है, उन्हें भी सावधानी बरतनी चाहिए। डाक्टर सिन्हा ने कहा, “इस प्राकृतिक उपचार से राहत मिल सकती है, लेकिन यदि लक्षण गंभीर या लंबे समय तक बने रहें तो हमेशा चिकित्सक से मिलने की राय दी जाती है।”
बता दें कि,साइट्रस एलर्जी वाले व्यक्तियों को सावधानी बरतनी चाहिए। इसके स्थान वैकल्पिक तरीका अधिक उपयुक्त हो सकते हैं। डाक्टर श्रीकांत ने कहा, “अगर गले में खराश बनी रहती है या बिगड़ जाती है, खासकर बच्चों में, तो चिकित्सकीय राय लेना सर्वोपरि है। ये प्राकृतिक इलाज सहायक तरीकों के रूप में काम करते हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा मार्गदर्शन का जगह नहीं लेना चाहिए।”