स्वास्थ्य

कोरोना ! इन कारणों से बच्चों की आंखें हो रही हैं कमजोर

कोरोना काल में कई महीने से घर के अंदर रहने के कारण बच्चों को नजर कमजोर हो रही है. उनको दूर की चीजें देखने में परेशानी महसूस हो रही है. नेत्र बीमारी जानकारों के मुताबिक, कोविड-19 काल में बच्चे घरों में मोबाइल-कम्प्यूटर स्क्रीन पर घंटों काम कर रहे हैं. इससे उन्हें निकट दृष्टि बीमारी (मायोपिया) हो सकता है, जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं. दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के नेत्र बीमारी जानकार डाक्टर राहुल शर्मा के अनुसार कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच अभी घर से ही पढ़ाई हो रही है. कई घंटों तक चलने वाली औनलाइन क्लास के दौरान बरती गईं छोटी-छोटी ढिलाई आंखों में खुजली, लालिमा, रुखापन और सिरदर्द को बढ़ा रही हैं. लम्बे समय तक ऐसी स्थिति रही तो इससे मायोपिया हो सकता है. बच्चों में मोबाइल और टीवी के बढ़ते इस्तेमाल, आउटडोर खेलों से दूरी और लगातार पढ़ते रहने से यह रोग तेजी से फैल रही है. बच्चों को एक घंटे से अधिक मोबाइल या टीवी न इस्तेमाल करने दें.

धुंधलापन और रूखापन की परेशानी  
स्क्रीन पर आंखों की पलकें नहीं झपकती हैं. जिसकी वजह से बच्चों की आंख में चुभन, दर्द, जलन और सूखने की दिक्कतें आ रही हैं. काफी देर बाद स्क्रीन से आंख हटाने पर दूर की चीजें धुंधली दिखने के साथ आंखों में तनाव और थकान लगती है. सिरदर्द, अधिक पलक झपकाना, आंख रगड़ना और बच्चों में थकान महसूस करना, देखने में कठिनाई के संकेत हो सकते हैं. यदि मायोपिया का उपचार नहीं किया जाता है तो यह भविष्य में मायोपिक मैक्युलर डीजनरेशन, रेटिनल डिटैचमेंट, कैटेरेक्ट्स और ग्लुकोमा जैसी गंभीर रोंगों की प्रवृत्ति का कारण बन सकती है. पढ़ाई के बीच एक घंटे के अंतराल पर आंखों को आराम देना चाहिए. प्रतिदिन खिड़की से दूर की चीजें दिखाएं.

दिल्ली और आसपास के 13.1 प्रतिशत बच्चे मायोपिया के शिकार
एम्स में कुछ वर्ष पहले हुए शोध के मुताबिक, दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में करीब 13.1 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से पीड़ित हैं. ऐसे में डॉक्टरों का बोलना है कि कोविड-19 काल में अभिभावकों को बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

ऐसे करें बचाव
20/20/20 नियम का पालन करें
गंगाराम हॉस्पिटल के नेत्र बीमारी जानकार चिकित्सक ग्रोवर अभिभावकों को 20/20/20 रूल को फॉलो करने की राय देते हैं. इसके अनुसार हर 20 मिनट में बच्चों को 20 फीट की दूरी पर कम से कम 20 सेकंड के लिए कुछ देखना चाहिए. इससे आपकी आंखों को आराम मिलता है और वे अपने नेचुरल पोज में आ जाती हैं.
मोबाइल की स्थान कंप्यूटर या लैपटॉप इस्तेमाल करें. स्क्रीन की तेज रोशनी से बचाव करने वाले एंटीग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें. योग को जीवन शैली का हिस्सा बनाएं. बच्चों को औनलाइन पढ़ाई के समय खुले कमरे या प्राकृतिक रोशनी में बैठाना चाहिए. क्योंकि मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन की लाइट आंखों पर पड़ती है, जो हानिकारक है.

ये व्यायाम भी करें 
हाथ योग
अपने दोनों हाथों को तब तक रगड़ें, जब तक की वो गर्म न हो जाएं. अब अपने हाथों को अपनी आंखों पर रख लें. इससे आंखों के इर्द-गिर्द की नसों को आराम मिलेगा और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा.

आंखों की पुतलियों को क्लॉकवाइस और एंटी-क्लॉकवाइस घुमाएं. ऐसा अपनी आंखें बंद कर के करें. इसे दिन में दो बार करें. हालांकि, इसे आप दिन में दो से अधिक बार भी कर सकते हैं.

क्या है मायोपिया या निकट दृष्टि रोग
मायोपिया या निकट दृष्टि बीमारी में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है. इससे दूर की वस्तुएं धुंधली और अस्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन पास की वस्तुएं देखने में कोई कठिनाई नहीं होती है.

कोरोना काल में बच्चों और वयस्कों को घर पर घंटों औनलाइन काम करना पड़ रहा है. इससे उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है. अस्पतालों में आंखों में जलन, ड्राइनेस और धुंधलापन के काफी मुद्दे आ रहे हैं. लोग एहतियात रखेंगे तो वे इन परेशानियों को नियंत्रित कर सकते हैं.
 

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