स्वास्थ्य

अत्यधिक नमक और चीनी के सेवन से बच्चों में किडनी रोग का बढ़ रहा है खतरा : डॉक्टर

हाल के सालों में, चिकित्सा पेशेवरों ने बच्चों में किडनी बीमारी के बढ़ते प्रसार पर चिंता व्यक्त की है. इस चिंताजनक प्रवृत्ति में सहयोग देने वाले विभिन्न कारकों में से, एक जरूरी क्रिमिनल सामने आता है: अस्वास्थ्यकर आहार संबंधी आदतें, विशेष रूप से नमक और चीनी की अधिकता वाली आदतें.

 

चिकित्सा जानकार की चेतावनी

प्रमुख डॉक्टरों और स्वास्थ्य जानकारों के अनुसार, अत्यधिक नमक और चीनी के सेवन से बच्चों में किडनी बीमारी का खतरा काफी बढ़ रहा है. प्रसिद्ध बाल बीमारी जानकार डाक्टर स्मिथ ने चेतावनी दी है कि बच्चों के आहार में इन पदार्थों का बढ़ता सेवन चिंताजनक है और इस पर तुरन्त ध्यान देने की जरूरत है.

प्रभाव को समझना

1. नमक की भूमिका:
अत्यधिक नमक का सेवन रक्तचाप बढ़ा सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप हो सकता है, जो किडनी बीमारी के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है. नमकीन स्नैक्स और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने वाले बच्चे विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं.

2. चीनी के खतरे:
अधिक चीनी का सेवन न सिर्फ़ मोटापे और मधुमेह को बढ़ावा देता है बल्कि समय के साथ किडनी को भी हानि पहुंचाता है. चीनी युक्त पेय पदार्थ और मिठाइयाँ बच्चों के आहार में आम कारण हैं.

3. किडनी के कार्य पर प्रभाव:
किडनी रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ़िल्टर करने में जरूरी किरदार निभाती है. हालाँकि, नमक और चीनी से भरपूर आहार किडनी की कार्यप्रणाली को ख़राब कर सकता है, जिससे क्रोनिक किडनी बीमारी (सीकेडी) और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

संकट को संबोधित करना

1. जन जागरूकता अभियान:
बच्चों के गुर्दे के स्वास्थ्य पर अस्वास्थ्यकर आहार संबंधी आदतों के नुकसानदायक प्रभावों के बारे में माता-पिता और देखभाल करने वालों को शिक्षित करना सर्वोपरि है. सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल और विद्यालय कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने में जरूरी किरदार निभा सकते हैं.

2. स्वस्थ भोजन की आदतों को बढ़ावा देना:
बच्चों को फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करने से नमक और चीनी के सेवन से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सकता है. मीठे स्नैक्स में मज़ेदार और पौष्टिक विकल्पों को शामिल करने से जरूरी अंतर आ सकता है.

3. विद्यालयों और समुदायों के साथ सहयोग:
स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने और उच्च सोडियम और उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को सीमित करने वाली नीतियों को लागू करने के लिए विद्यालयों और सामुदायिक संगठनों के साथ योगदान करने से बच्चों के लिए स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए एक सहायक वातावरण तैयार किया जा सकता है. निष्कर्षतः, बच्चों के गुर्दे के स्वास्थ्य पर अस्वास्थ्यकर आहार, जिसमें अत्यधिक नमक और चीनी का सेवन शामिल है, के नुकसानदायक असर को कम करके आंका नहीं जा सकता है. इस बढ़ते संकट को दूर करने और हमारी युवा पीढ़ी की भलाई की रक्षा के लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक स्तर पर तुरन्त कार्रवाई की जरूरत है.

 

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