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OTT रिव्यू ‘हीरामंडी’: सोनाक्षी सिन्हा के करियर की है बेस्ट परफॉर्मेंस

संजय लीला भंसाली वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ के जरिए ओटीटी पर डेब्यू कर रहे हैं. यह सीरीज 1940 के दशक के लाहौर हीरामंडी के तवायफों की कहानी है. जिसमें दिखाया गया है कि राष्ट्र को आजाद कराने में तवायफों का भी कितना बड़ा सहयोग रहा है. लेकिन तारीखों में उन्हें दर्ज नहीं किया गया. मीडिया ने इस सीरीज को 5 में से 3.5 स्टार दी है.

 

सीरीज की कहानी क्या है?

सीरीज की कहानी एक ऐसे शाही मोहल्ले हीरामंडी की है, जहां तवायफों के पास पावर है. सीरीज की कहानी मल्लिकाजान नाम की तवायफ के इर्द – गिर्द घूमती है. यह भूमिका मनीषा कोइराला ने निभाया है. मल्लिकाजान का उनकी भतीजी फरीदन से एक अलग ही जंग चल रही है. मल्लिकाजान की बेटी आलमजेब को शायरी करने का बहुत शौक है. वो इस पेशे से दूर जाना चाहती है. लेकिन मल्लिकाजान शायरी से नफरत करती हैं. वो चाहती हैं कि आलमजेब भी उसी फील्ड में आ जाए. मल्लिकाजान की दूसरी बेटी बिब्बोजान आजादी की जंग लड़ रहे लोगों की सहायता करती है. सीरीज में वफा, बेवफाई और नफरत की कहानियों के बीच में आजादी की जंग दिखाई गई है.

हीरामंडी में केवल नवाबों का आना जाना है. लेकिन जैसे ही नवाबों को पता चलता है कि हीरामंडी की तवायफें उनके पैसों से स्वतंत्रता सेनानियों की सहायता करती हैं. वे हीरामंडी में आना जाना बंद कर देते हैं. नवाबों का मानना है कि यदि वे हीरामंडी को बसा सकते हैं तो उसे उजाड़ भी सकते हैं. उस समय स्वतंत्रता सेनानी उनकी नजर में बागी थे. नवाबों के हीरामंडी में ना आने के निर्णय से वहां की तवायफों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. पहले वे चोरी छुपे स्वतंत्रता सेनानियों की सहायता करती थी. बाद में खुले आम इंकलाब का नारा लगाते हुए आजादी की लड़ाई में कूद पड़ती हैं.

स्टार कास्ट की अभिनय कैसी है?

संजय लीला भंसाली की विशेषता यह होती है कि उनकी फिल्मों में स्त्री भूमिका उभरकर नजर आती हैं. इस सीरीज में भी यही नजर आया है. सीरीज में भी स्त्री भूमिका को बहुत ही स्ट्रांग ढंग से पेश किया है. मल्लिकाजान के भूमिका में जितना पावरफुल मनीषा कोइराला लगी हैं. उतना ही लज्जो के भूमिका में ऋचा चड्ढा का दर्द भरा भूमिका उभर कर आया है. टूटे हुए सच्चे दिल के आशिक उनके भूमिका से स्वयं को कनेक्ट करेंगे.

सोनाक्षी सिन्हा ने फरीदन का भूमिका निभाया है. उनके करियर की अब तक का यह बेस्ट परफार्मेंस है. सीरीज में सोनाक्षी सिन्हा ने मनीषा कोइराला को जबरदस्त भिड़न्त दी है. मल्लिकाजान की बेटी बिब्बोजान की किरदार में अदिति राव हैदरी बहुत ही खूबसूरत और संजीदा लगी हैं. संजय लीला भंसाली की भांजी शर्मीन सहगल ने मल्लिकाजान की दूसरी बेटी आलमजेब की किरदार में थोड़ा सा कमजोर नजर आई हैं. वहीदा के भूमिका में संजीदा शेख की मेहनत नजर आती है.

महिला किरदारों के अतिरिक्त यदि सीरीज के पुरुष किरदारों की बात करें तो ताजदार के भूमिका में ताहा शाह बदुशा का पॉजिटिव रोल है. वह भी आजादी की लड़ाई में शामिल हैं. ताहा शाह बदुशा ने अपने भूमिका को अच्छे से निभाया है. वली मोहम्मद के रूप में फरदीन खान बहुत लंबे समय के बाद वापसी कर रहें हैं. फरदीन ने भी अपने भूमिका को बहुत अच्छे ढंग से निभाया है. जहां तक शेखर सुमन और शोध सुमन की बात है, तो शेखर सुमन ने जुल्फिकार और शोध सुमन ने जोरावर का भूमिका निभाया है. दोनों का भूमिका छोटा और कमजोर है.

डायरेक्शन कैसा है?

संजय लीला भंसाली का डायरेक्शन बहुत ही कमाल का है. भंसाली अपने ग्रैंड सेट्स और कॉस्टयूम के साथ बढ़िया कहानियों को पर्दे पर उतारने के लिए जाने जाते हैं. इस चीज को उन्होंने सीरीज में मेंटेन किया है. जिस कालखंड को वो दिखाना चाह रहे हैं, उसे दिखाने में काफी हद तक सफल रहे हैं. सिनेमैटोग्राफर ने बहुत अच्छा काम किया है. आठ एपिसोड की यह सीरीज 45 मिनट से लेकर एक घंटे की है. आरंभ के पांच एपिसोड में स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर हैं, लेकिन पांच एपिसोड के बाद सीरीज अपनी अच्छी पकड़ बनती हैं. जब हर भूमिका का रहस्य खुलासा होता है. लेकिन सीरीज के पुरुष भूमिका को देखकर ऐसा लगता है कि स्त्री किरदारों के बीच थोड़े से धूमिल हो रहे हैं.

म्यूजिक कैसा है?

संजय लीला भंसाली की फिल्मों की विशेषता यह होती है कि उनकी फिल्मों के गाने बहुत अच्छे होते हैं. एक बार सुनने के बाद गाने जुबान पर आ जाते हैं. लेकिन इस सीरीज का ऐसा कोई गीत नहीं, जिसे सुनने के बाद याद रहे. सीरीज के म्यूजिक डायरेक्टर भंसाली स्वयं ही हैं. अच्छे म्यूजिक की इस सीरीज में थोड़ी कमी महसूस होती है. हां, सीरीज का बैकग्राउन्ड म्यूजिक बहुत ही बहुत बढ़िया है. जो सीन्स को कारगर बनाने में बहुत सहायक हुए हैं.

फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?

भंसाली इस सीरीज के जरिए ऐसे अनसंग वाॅरियर की कहानी लेकर आए हैं, जिन्हें इतिहास के तारीखों में स्थान नहीं मिली. राष्ट्र की आजादी में हीरामंडी की तवायफों ने कुर्बानी दी. समय ने उनकी कुर्बानी को भुला दिया. यदि आप संजय लीला भंसाली के फैन हैं. उनकी फिल्मों को पसंद करते हैं तो इस सीरीज को एक बार जरूर नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है.

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