फिच रेटिंग्स ने भारत के आर्थिक वृद्धि अनुमान को 0.70 फीसदी बढ़ाकर की 6.2 फीसदी
Indian Economic Growth: भारतीय इकोनॉमी ग्रोथ के अनुमान में बढ़ोत्तरी हो गया है। फिच रेटिंग एजेंसी ने इस बार ग्रोथ दर (Growth Rate) के अनुमान को बढ़ा दिया है। फिच रेटिंग्स ने हिंदुस्तान के मध्यम अवधि के आर्थिक वृद्धि अनुमान को 0.70 प्रतिशत बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है। रोजगार की स्थिति में सुधार तथा कामकाजी उम्र की जनसंख्या में मामूली वृद्धि की आसार को देखते हुए ग्रोथ अनुमान बढ़ाया गया है। फिच ने सोमवार को एक रिपोर्ट में 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये मध्यम अवधि में संभावित ग्रोथ दर चार प्रतिशत रहने का संभावना व्यक्त किया है।
चीन की आर्थिक ग्रोथ दर में कटौती
बता दें यह पिछले 4.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसका एक प्रमुख कारण चीन के आर्थिक ग्रोथ दर अनुमान में 0.7 प्रतिशत की कटौती है।
रेटिंग एजेंसी ने बोला है कि हमने चीन की… सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के ग्रोथ दर अनुमान को 5.3 प्रतिशत से घटाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया है। हाल के सालों में चीन की वृद्धि रेट में तेजी से कमी आई है। जमीन-जायदाद के क्षेत्र में नरमी से निवेश परिदृश्य पर असर पड़ा है। फिच ने रूस के संभावित वृद्धि रेट अनुमान को भी 0.8 प्रतिशत से घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है।
2020 में आई गिरावट
इसके उलट इसने अपने पिछले अनुमानों की तुलना में ब्राजील, भारत, मेक्सिको, इंडोनेशिया, पोलैंड और तुर्की के लिये ग्रोथ अनुमान को बढ़ाया है। फिच ने बोला कि हिंदुस्तान के लिये आर्थिक वृद्धि अनुमान बढ़ाने का कारण श्रम बल भागीदारी रेट में अच्छा सुधार है। वर्ष 2020 में इसमें अच्छी-खासी गिरावट आई थी।
0.2 प्रतिशत बढ़ाया
रेटिंग एजेंसी ने बोला है कि हमने हिंदुस्तान का आर्थिक ग्रोथ अनुमान 0.7 प्रतिशत बढ़ा दिया है। वहीं ब्राजील, तुर्की और इंडोनेशिया के लिये अनुमान को 0.2 प्रतिशत बढ़ाया गया है।
6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद
भारत के मुद्दे में आर्थिक वृद्धि रेट पिछले अनुमान से 0.7 प्रतिशत अधिक यानी 6.2 प्रतिशत रहने की आशा है। इसका कारण रोजगार रेट में सुधार और कामकाजी जनसंख्या में प्रतिशत का अनुमान है। हिंदुस्तान का श्रम उत्पादकता अनुमान भी अधिक है। फिच ने मध्यम अवधि 2023 से 2027 को माना है।
महिलाओं के बीच कम है दर
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, भागीदारी रेट में नकारात्मक ग्रोथ के अनुमान को देखते हुए हिंदुस्तान की अनुमानित श्रम आपूर्ति ग्रोथ भी 2019 की तुलना में कम है। हालांकि, भागीदारी रेट अपनी Covid-19 महामारी की नरमी से उबर गई है, लेकिन यह 2000 के दशक की आरंभ में दर्ज स्तर से काफी नीचे बनी हुई है। स्त्रियों के बीच रोजगार रेट कम है।