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Consumer Disputes: अब देना पड़ेगा 20 हजार जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

Consumer Court: डिजिटल इण्डिया के दौर में भी एक वर्ग ऐसा है जो औनलाइन सेवाओं पर भरोसा नहीं करता. करता भी है तो काम पूरा होने तक संशय में रहता है. खासकर ऐप बेस्ट टैक्सी सर्विस के कस्टमर्स जो अपने साथ हुई चीटिंग के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. कुछ लोग न्यायालय जाते हैं और न्याय लेकर रहते हैं. अधिकार के लिए लड़ने वाले लोग समाज को सतर्क करते हैं. वो बताते हैं कि गलती की सजा भुगतनी पड़ती है, चाहे वो कितना बड़ा ब्रैंड क्यों न हो? यहां बात उबर (Uber) की जिसने अपने कस्टमर से 8.8 Km दूरी के 1334 रुपये चार्ज किए. बात निकली तो दूर तक गई. कंज्यूमर कमीशन ने उबर पर जुर्माना ठोका.

उबर को अर्थदंड

लोग कहते हैं कि कोर्ट-कचहरी के पचड़े में कौन पड़े? इतना टाइम बर्बाद होता है. गरीब की कौन सुनता है. बड़ी कंपनियां लीगल टीम को करोड़ों रुपया देती हैं. हमारे पास इतना पैसा बोला है कि केस लड़ें. ऐसी अनेक बातों के बीच चंडीगढ़ की कंज्यूमर न्यायालय ने उबर पर 20000 का जुर्माना ठोका है. ये अर्थ दंड ओवर-चार्जिंग यानी आवश्यकता से अधिक पैसा लेने की वजह से लगा है. ओवरचार्जिंग के मुकदमा में निर्णय सुनाते हुए कंज्यूमर न्यायालय ने उबर को 10,000 रुपये चंडीगढ़ निवासी फरियादी को देने और 10,000 रुपये कानूनी सहायता खाते में जमा कराने का आदेश दिया है.

उपभोक्ता की आपबीती

इंडियन एक्सप्रेस की समाचार के मुताबिक चंडीगढ़ निवासी अश्वनी पराशर ने अपने अधिकार में निर्णय आने के बाद कहा कि उन्होंने 8.83 Km के लिए 1,334 रुपये दिए. ये राइड उन्हें 150 रुपये प्रति किमी पड़ी. वाकया 6 अगस्त, 2021 का है. जब करीब 16 मिनट के यात्रा का इतना पेमेंट किया गया. शिकायतकर्ता ने बोला कि उसने अपनी कम्पलेन के संबंध में अगले दिन उबर ऐप (Uber App) और जीमेल के माध्यम से कई बार संपर्क किया लेकिन उनकी कोशिशें बेकार गईं.

काम नहीं आई उबर की दलील

शिकायतकर्ता ने कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन का रुख किया. तब उबर इण्डिया ने पेमेंट को सही बताने की प्रयास की. कंपनी ने अपने उत्तर में कहा, ‘कस्टमर को दिखाया गया अग्रिम किराया 359 रुपये था. यात्रा के दौरान कई बार रूट बदला गया. इसलिए डेस्टिनेशन पर पहुंचने पर किराया 1334 रुपये हो गया.

एक तरफ उबर इण्डिया इल्जाम लगा रही है कि सड़कों पर कुछ तकनीकि दिक्कतों के चलते ड्राइवर को बार-बार रूट बदलना पड़ा. दूसरी ओर इस मुद्दे में उबर इण्डिया ने शिकायतकर्ता को 975 रुपये वापस किए थे.

फर्म ने ये भी बोला कि उबर इण्डिया यह निर्धारित करने में सक्षम नहीं है कि रूट में परिवर्तन शिकायतकर्ता की वजह से हुए या ड्राइवर ने जानबूझकर किए. ये दलील कंज्यूमर कमीशन के सामने काम नहीं आई. फोरम ने बोला कंपनी द्वारा अग्रिम बुकिंग के समय असली तय किराए से अधिक किराया वसूलने की प्रथा एक अनुचित व्यापार व्यवहार है, जिसकी आलोचना की जानी चाहिए. इस मुद्दे में शिकायतकर्ता मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के साथ-साथ मुकदमेबाजी का भी हकदार है. कोई ड्राइवर पार्टनर के साथ छिपे अनुबंध की आड़ में दायित्व से बच नहीं सकता है.

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