सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा से जुड़े मामले पर आया सेबी का बयान
Sahara Refund News: सहारा इंंडिया परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय के मृत्यु के बाद निवेशक परेशान हैं। सहारा में फंसे पैसे को वापस पाने का प्रतीक्षा लाखों लोग कर रहे हैं। इस बीच सहराश्री के मृत्यु के बाद जमाकर्ताओं को लग रहा है कि उनका पैसा डूब गया है, लेकिन उनकी संभावना गलत है। इसके बारे में जानिए सेबी ने क्या कहा…
सेबी के मुताबिक सहारा की दो कंपनियों के अधिकांश बांडधारकों ने रिफंड को लेकर कोई दावा नहीं किया और कुल राशि पिछले वित्त साल 2022-23 में करीब सात लाख रुपये बढ़ गई, जबकि सेबी-सहारा पुनर्भुगतान खातों में इस दौरान शेष राशि 1,087 करोड़ रुपये बढ़ गई।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी को 31 मार्च, 2023 तक 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि लौटाई गई, जिसमें 67.98 करोड़ रुपये की ब्याज राशि भी शामिल है। शेष आवेदन सहारा समूह की दोनों कंपनियों द्वारा मौजूद कराई जानकारी के जरिए उनका कोई पता नहीं लग पाने के कारण बंद कर दिए गए।
सेबी ने अंतिम अपडेट में 31 मार्च 2022 तक 17,526 आवेदनों से संबंधित कुल राशि 138 करोड़ रुपये बताई थी। सेबी के अनुसार, 31 मार्च 2023 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कुल राशि करीब 25,163 करोड़ रुपये है।
सुब्रत रॉय के मृत्यु के बाद भी जारी रहेगा मामला
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने गुरुवार को बोला कि सहारा के संस्थापक सुब्रत रॉय के मृत्यु के बाद भी पूंजी बाजार नियामक समूह के विरुद्ध मुद्दा जारी रखेगा।रिफंड बहुत कम होने के प्रश्न पर बुच ने बोला कि पैसा निवेशकों द्वारा किए गए दावों के सबूत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के जरिए वापस किया गया है।
निवेशकों को सिर्फ़ 138 करोड़ रुपये का रिफंड किया गया है, जबकि सहारा समूह को निवेशकों को रिफंड के लिए सेबी के पास 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने के लिए बोला गया था।
सेबी ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इण्डिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांडों के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था।