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रुस-यूक्रेन के बीच और इजराइल-फिलिस्तीन जंग के बीच सोने-चांदी की दाम ने मारा उछाल, जाने रेट

  1. दुनिया में अभी दो स्थान जंग चल रही है. रुस-यूक्रेन के बीच और इजराइल-फिलिस्तीन के बीच. इन जंगों से बने जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण सोने-चांदी के मूल्य ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए हैं. वहीं ईरान की ओर से इजराइल पर किए मिसाइल अटैक से टेंशन और अधिक बढ़ गई है.

 

ऐसे में सेफ इन्वेस्टमेंट माने जाने वाले सोने-चांदी के मूल्य आज नए ऑलटाइम हाई पर पहुंच सकते हैं. इण्डिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट के मुताबिक, शुक्रवार को 10 ग्राम सोना 1,351 रुपए महंगा होकर पहली बार 73,174 रुपए का हो गया था.

चांदी भी अभी ऑल टाइम हाई पर है. शुक्रवार को एक किलो चांदी का रेट 1,476 रुपए बढ़कर 83,819 रुपए हो गया था. वर्ष 2024 में अब तक सोने के मूल्य 9,872 रुपए बढ़ चुके हैं. 1 जनवरी को सोना 63,302 रुपए पर था. वहीं, चांदी भी 73,395 रुपए प्रति किलोग्राम थी.

युद्ध या मंदी जैसी स्थिति में सोने-चांदी की कीमतें क्यों बढ़ जाती हैं?
कोई भी जंग जियोपॉलिटिकल इक्वेशन्स खराब कर सकती है. ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित कर सकती है, महंगाई बढ़ा सकती है और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में लोगों के भरोसे को कम कर सकती है. ऐसे में कई लोग और यहां तक ​​कि सरकारें भी पोर्टफोलियो में गोल्ड बढ़ाते हैं. डिमांड बढ़ने से दामों में तेजी आती है.

बीते वर्षों में हुई जंग और मंदी में सोने-चांदी का क्या ट्रेंड रहा है?
जंग के दौरान सोने की कीमतों में हमेशा उछाल देखा गया है. 1990-91 के दौरान गल्फ वॉर के दौरान सोने की कीमतों में उछाल आया था, लेकिन यह शॉर्ट टर्म था. इसी तरह 2003 में इराक युद्ध के दौरान सोने की कीमतों में तेजी आई थी.

  • रूस-यूक्रेन जंग के समय भी सोने में तेजी आई. 24 फरवरी 2022 को रूस-यूक्रेन युद्ध प्रारम्भ हुआ था. 7 मार्च 2022 को सोने की कीमतों में लगभग ₹1000/10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई. 22 कैरेट सोने की मूल्य ₹49,400/10 ग्राम और 24 कैरेट सोने की मूल्य ₹53,890/10 ग्राम हो गई.
  • इजराइल-हमास जंग 7 अक्टूबर 2023 को प्रारम्भ हुई थी. तब सोने की मूल्य 57,000 के करीब थी. 1 नवंबर तक मूल्य बढ़कर 61,000 के करीब पहुंच गई. वहीं 1 जनवरी को मूल्य 63,000 और अब 10 ग्राम सोने की मूल्य 73,000 के पार पहुंच गई है.

सोने चांदी को इतना सेफ इन्वेस्टमेंट क्यों माना जाता है?
पेपर करेंसी, सिक्कों या अन्य संपत्तियों के विपरीत, सोने ने सदियों से अपना मूल्य बनाए रखा है. यह इंश्योरेंस की तरह काम करता है. यह आर्थिक संकट में भी अपनी वैल्यू को बनाए रखता है, जिससे निवेशकों की संपत्ति सुरक्षित रहती है.

महंगाी से बचाव: सोना ऐतिहासिक रूप से महंगाई के विरुद्ध बचाता रहा है क्योंकि जीवनयापन की लागत बढ़ने पर इसकी मूल्य बढ़ जाती है. पिछले 50 सालों में, निवेशकों ने उच्च मुद्रास्फीति वाले सालों के दौरान सोने की कीमतों में बढ़ोतरी और शेयर बाजार में गिरावट देखी है.

डीफ्लेशन प्रोटेक्शन: डीफ्लेशन उस स्थिति को बोला जाता है जब कीमतें कम हो जाती हैं, बिजनेस एक्टिविटी धीमी हो जाती है और अर्थव्यवस्था अत्यधिक ऋण के बोझ तले दब जाती है. 1930 के दशक की महामंदी के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की स्थिति को नहीं देखा गया है.

हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में 2008 के वित्तीय संकट के बाद थोड़ा डीफ्लेशन देखा गया था. मंदी के दौरान, सोने की कीमतें बढ़ गई थी. इसका कारण यह था कि लोगों ने नकदी जमा करना चुना और उस समय नकदी रखने का सबसे सुरक्षित जगह सोना और सोने के सिक्के थे.

भूराजनीतिक अनिश्चितता: सोना न सिर्फ़ वित्तीय अनिश्चितता के समय में बल्कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता के समय में भी अपना मूल्य बरकरार रखता है. इसे अक्सर “क्राइसिस कमोडिटी” बोला जाता है क्योंकि जब विश्व में तनाव बढ़ता है तो सोना अक्सर अन्य निवेशों से बेहतर प्रदर्शन करता है.

2023 में 8 हजार रुपए से अधिक महंगा हुआ था सोना
साल 2023 की आरंभ में सोना 54,867 रुपए प्रति ग्राम पर था जो 31 दिसंबर को 63,246 रुपए प्रति ग्राम पर पहुंच गया था. यानी वर्ष 2023 में इसकी मूल्य में 8,379 रुपए (16%) की तेजी आई. वहीं चांदी भी 68,092 रुपए से बढ़कर 73,395 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई.

 

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