सरकार ने यहां पान प्रोसेसिंग की लगाई मशीन, जिससे सुपारी से निकाला जा सकता है तेल
लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। बिहार के नालन्दा के इस्लामपुर में बड़े पैमाने पर आम के पेड़ों की खेती होती थी, जिससे सैकड़ों परिवार अपनी जीविका चलाते थे। लेकिन सुपारी की खेती से अधिक फायदा नहीं हुआ, बल्कि किसान दूसरे क्षेत्रों की ओर पलायन कर गये। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब गवर्नमेंट ने यहां पान प्रोसेसिंग मशीन लगाई है, जिससे सुपारी से ऑयल निकाला जा सकता है। बोला जाता है कि सुपारी का ऑयल कई रोंगों के लिए रामबाण उपचार है।
फिलहाल यह प्लांट इस्लामपुर के माघी पान रिसर्च सेंटर में स्थापित किया गया है। यहां सुपारी का ऑयल सरलता से निकाला जाता है, जिसकी बाजार में अच्छी मूल्य पर काफी मांग है। बोला जाता है कि सुपारी का ऑयल बाजार में 50,000 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। जानकारों के अनुसार सुपारी का ऑयल निकालने की सबसे बड़ी मशीन कोलकाता, लखनऊ के बाद बिहार में नालंदा, इस्लामपुर में है। इस मशीन को 5 लाख की लागत से बनाया गया है।
ये हैं सुपारी के ऑयल के फायदे
यह मशीन पान के पत्तों से सुगंधित ऑयल बनाती है। खाद्य पदार्थों में सुपारी यानी सुगंधित ऑयल की मांग सबसे अधिक है। यह एक औषधि भी है। इसके अतिरिक्त पान के पत्तों में 13 प्रकार के आयुर्वेदिक गुण होते हैं, जो वात, पित्त, कफ, मुंह को साफ करने वाले, एंटीसेप्टिक, उत्तेजक, पाचन और पाचन तंत्र, गैस और कई अन्य शारीरिक समस्याओं को दूर करने वाले होते हैं। पत्तियों में अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो कैंसररोधी भी होते हैं।
तीसरी मशीन इस्लामपुर में लगेगी
इस्लामपुर ब्लॉक में पैन रिसर्च सेंटर में काम करने वाले विजय कुमार कहते हैं, इसकी आरंभ 2004 में हुई थी। बाजार में अच्छी मूल्य पर सुपारी ऑयल की काफी मांग रहती है। यह 50 हजार रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। दावा किया कि सुपारी का ऑयल निकालने की सबसे बड़ी मशीन कोलकाता में है, जबकि छोटी मशीन लखनऊ में है। इस्लामपुर में यह तीसरी मशीन है। यह मशीन कुल 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में लगाई जाएगी। इसकी लागत करीब पांच लाख होगी।
100 किलो पत्तियों से डेढ़ लीटर तेल
आगे कहा गया कि इस मशीन में एक बार में 100 किलो सुपारी डाली जाती है। तीन घंटे बाद करीब एक से डेढ़ लीटर सुपारी का ऑयल निकलता है। ऑयल निकालने के बाद जो कचरा बचेगा उसका इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाएगा। इस पौधे में चित्तीदार, विकृत पत्तियाँ तथा पान के पत्ते भी उपयोगी होते हैं, जिन्हें फेंक दिया जाता था।