बिहार

अब डिजाइनर कपड़े तैयार करेंगी बिहार की महिलाएं

बिहार के गया में कई वर्ष से चादर, दरी, बेडशीट, कार्पेट, गमछा आदि का निर्माण किया जा रहा है बाकायदा यहां पर क्राफ्ट हैंडलूम विलेज रामपुर के नाम से एक गांव भी है, जहां हैंडलूम से इन वस्त्र को बनाया जाता है यहां बने इन वस्त्र की डिमांड तो है लेकिन डिजाइन में थोड़ी कमी रहने के कारण अपनी पहचान स्थापित नहीं कर सका है बेहतर और सुन्दर डिजाइन के लिए हिंदुस्तान गवर्नमेंट के टेक्सटाइल मंत्रालय के द्वारा बोधगया क्षेत्र के 30 स्त्रियों को 60 दिन का डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट वर्कशॉप कराई जा रही है, ताकि यहां के बुनकर समाज से जुड़े लोग बेहतर डिजाइन के वस्त्र तैयार करें और देश-दुनिया में यहां का नाम हो

बोधगया में स्थित बाल ज्योति संस्था के योगदान से क्षेत्र की स्त्रियों को ट्रेनिंग दी जा रही है ट्रेनिंग में स्त्रियों को हथकरघा चलाने से लेकर धागा तैयार करना और कपड़े पर डिजाइन बनाने के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह ट्रेनिंग 30 जनवरी से 30 मार्च तक चलेगी बोला जा रहा है हथकरघा से नए डिजाइन सीखने के बाद इनके द्वारा तैयार किए जाने वाले वस्त्र की डिमांड भी बढ़ेगी और इनके आय में भी बढ़ोतरी होगी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही स्त्रियों को टेक्सटाइल मंत्रालय के द्वारा दैनिक भत्ते के रूप में 300 रुपये भी दिए जा रहे हैं 

दिल्ली से आई टीम दे रही है ट्रेनिंग
महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए दिल्ली से टीम आई हुई है और स्त्रियों को एक-एक कर हर चीज की जानकारी दे रहे हैं दिल्ली से आए डिजाइनर सौरभ मिश्रा बताते हैं कि स्त्रियों को हैंडलूम से तैयार वस्त्र में डिजाइन और कैसे बेहतर बनाया जाए, इस संबंध में जानकारी दे रहे हैं बाजार को देखते हुए उस तरह का प्रोडक्ट तैयार करने, कलर कॉम्बिनेशन आदि पर बल दिया जा रहा है ताकि ऐसे वस्त्र की डिमांड बढे इन्होंने कहा कि अभी दरी को कार्पेट के डिजाइन में ले जा रहे हैं और इसके मिक्सर पर ब्लॉक पेंटिंग, स्क्रीन पेंटिंग, वॉल हैंगिंग तैयार की जा रही है

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