बेटी ने किया ये काम, एक दिन की बनी कनाडा की राजदूत
जमुई। जब 16 वर्ष की थी तब पिता ने विवाह कर देने की प्रयास की। बेटी ने जब इंकार किया तो पिता ने धमकी दी कि यदि विवाह नहीं की तो खुदकुशी कर लेंगे। इसके बाद लड़की अपने पिता से भी लड़ गई। ये कहानी है बचपन में अपने बाल शादी को ठुकरा कर समाज के लिए प्रेरणा बनी बेबी कुमारी की। बेबी की कहानी काफी संघर्षों से भरी है। इससे पहले आपको हम ये बताएं कि बेबी की कहानी क्या है, आपको ये बता दें कि बेबी कुमारी मूलतः जमुई जिले की रहने वाली हैं, जिसे निर्वाचन आयोग के द्वारा स्वीप आइकॉन बनाया गया है। बेबी कुमारी की पहचान बाल शादी रोकने और स्त्री उत्थान के क्षेत्र में काम करने को लेकर है। बेबी कुमारी जमुई जिला के खैरा प्रखंड क्षेत्र के टिटहियां गांव की रहने वाली है।
बेबी की उम्र जब 16 वर्ष की हुई तब बेबी के पिता ने उसकी विवाह लगा दी, लेकिन बेबी पढ़ना चाहती थी। लेकिन उनके पिता ने उसे धमकी दी कि वह विवाह कर ले, यदि वह ऐसा नहीं करेगी तो उसके पिता खुदकुशी कर लेंगे। इसके बाद भी जब बेबी नहीं मानी तब बाप-बेटी के बीच ही ठन गई। झगड़े और विवाद के बाद निर्णय इस बात पर हुआ कि बेबी के पिता उसे एक वर्ष देने के लिए राजी हो गए। उस साल बेबी मैट्रिक की परीक्षा दे रही थी। बेबी ने कहा कि किसी तरह मैट्रिक की परीक्षा पास की। पिता को यह लगा कि बिना किसी संसाधन के परीक्षा कैसे पास कर सकेंगी, लेकिन उसने परीक्षा में भाग लिया और सेकंड डिवीजन से परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।
डेढ़ दर्जन से अधिक शादियां रुकवा चुकी है बेबी
बेबी ने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद बाल शादी के क्षेत्र में काम करने लगी और अब तक वह डेढ़ दर्जन से भी अधिक बाल शादी रुकवा चुकी हैं। बेबी को एक दिन के लिए कनाडा का राजदूत भी बनाया गया था। बेबी नक्सल प्रभावित गांव में रहती है, जहां शिक्षा काफी देर से पहुंची। जिस कारण उसके गांव में शिक्षित लोगों की कमी थी। बेबी के इस कोशिश से अब उसके गांव में लड़कियां पढ़ने लगी है और अब वहां पर शिक्षा का माहौल है। बेबी अपने गांव में स्नातक पास करने वाली पहली महिला है। उसे निर्वाचन आयोग के द्वारा स्वीप आइकॉन बनाया गया है, इसके पहले बेबी एक दिन के लिए कनाडा के राजदूत का पद भी संभाल चुकी है।