बिहार का ये डॉक्टर है बच्चों का भगवान
मुजफ्फरपुर:- जब कभी भी किसी घर में जन्मजात विकृतियों (एनोरेस्टल मालफॉर्मेशन) के साथ बच्चा पैदा लेता है, तो उसे पटना, दिल्ली या किसी अन्य बड़े शहर ले जाने की आवश्यकता होती है। जन्मजात विकृतियां काफी घातक होती है। एनोरेस्टल मालफॉर्मेशन को लेकर मुजफ्फरपुर के चाइल्ड सर्जन डाक्टर अजय कुमार से मीडिया ने खास जानकारी ली। डाक्टर अजय ने महज एक साल में ही कई नवजात बच्चों की सर्जरी की है। मुजफ्फरपुर के केजरीवाल हॉस्पिटल के तीसरे मंजिल पर बैठने वाले डाक्टर अजय वैसे तो विभिन्न जन्मजात विकृतियों की सर्जरी करते हैं, लेकिन उन्होंने सबसे अधिक एनोरेस्टल मालफॉर्मेशन यानि आंत नली और मल द्वार नहीं जुड़ने से ग्रसित नवजात बच्चों की सर्जरी की है।
जन्मजात विकृतियों से होती है बच्चों की सबसे अधिक मौत
चाइल्ड सर्जन डाक्टर अजय कुमार ने मीडिया को कहा कि जन्मजात विकृतियों के कारण पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सबसे अधिक मृत्यु होती है। इसमें भी सबसे अधिक मृत्यु एनोरेस्टल मालफॉर्मेशन के कारण होती है। उन्होंने बोला कि जब बच्चे की आंत नली पूरी तरह से विकसित नहीं होती है या मल द्वार से जुड़ी नहीं होती है, तो आप स्वयं सोचें कि वह बच्चा अपनी मां का दूध कैसे पी पाएगा। ऐसी स्थिति में सर्जरी के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं होता है।
वे बताते हैं कि वैसे तो सभी जन्मजात विकृतियां जानलेवा नहीं होती है, लेकिन इसकी एक लम्बी सूची है, जिससे जान जाने की आसार अधिक होती है। इन विकृतियों में एनोरेस्टल मालफॉर्मेशन, इसोफेजियल अटरेसिया, गैस्ट्रोकैसिस, इंटेस्टिनल अटरेसिया शामिल है। इसका उपचार यदि जन्म के तुरंत बाद नहीं किया गया, तो बच्चे की मृत्यु निश्चित है।
देश में महज 1200 प्रैक्टिसिंग चाइल्ड सर्जन
सर्जन डाक्टर अजय ने Local 18 को आगे कहा कि जिन विकृतियों से जान नहीं जाती है, उनसे उन बच्चों की जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। वह सामान्य बच्चों की तरह जीवन नहीं जी पाते हैं। उन्होंने बोला कि अभी भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिन्हें यह मालूम नहीं है कि जन्मजात विकृतियों वाले बच्चों की जान बच सकती है। उन्होंने इस सन्दर्भ में बोला कि अभी राष्ट्र में महज 1200 प्रैक्टिसिंग चाइल्ड सर्जन हैं। उनमें से मात्र 400 ऐसे हैं, जो मुजफ्फरपुर जैसे टियर 2 या टियर 3 शहरों में प्रैक्टिस कर रहे हैं। यदि हम इन शहरों की जनसंख्या को देखें, तो तकरीबन 23 करोड़ बच्चे इन 400 चाइल्ड सर्जन पर निर्भर हैं।