बिहार

पूर्व CM साइड हीरो, असली लड़ाई मोदी-लालू के बीच, मुस्लिम बोले…

सीन-1: गया के नौरंगा गांव के मो इस्माइल हसन कहते हैं कि हम भाजपा को वोट दे भी दें तो वे विश्वास नहीं करेंगे. इसलिए हमलोग महागठबंधन को वोट देंगे. नौरंगा की सड़क की हालत 15 सालों से खराब है. जहां सड़क नहीं बननी चाहिए, वहां बार-बार बन रही है. जहां बननी चाहिए, वहां नहीं बन रही.

सीन-2: अजय सिंह भी दुकान चलाते हैं. वे कहते हैं कि हम तो विकास पर ही वोट करेंगे. मेरी नजर में भाजपा ने काफी काम किया है. कौन कहता है जॉब नहीं मिल रही. हम नरेन्द्र मोदी से संतुष्ट हैं.

सीन-3: जट्ठू मांझी कहते हैं कि सभी लोग अपनी जाति के लिए ही मर रहे हैं तो हमलोग भी जात वाले को वोट देंगे. कोई वादा पूरा नहीं करता है. जाति देखकर ही वोट करेंगे चाहे वो विकास करे या नहीं करे.

सीन-4: पुआल से रस्सी बना रहे केदार यादव कहते हैं कि हमलोग के नेता जिसको वोट देने कहेंगे, उसी को देंगे.कोई जात रहे, उससे फर्क नहीं पड़ता है.

गया में ये 4 सीन बताते हैं कि इस वीआईपी सीट पर वोटिंग का पैटर्न क्या होगा? विकास की बात होगी, लेकिन वोट जाति पर ही जाएगा. चर्चा में पीएम मोदी और लालू यादव ही हैं. बाकी उम्मीदवारों का अपना वोट बैंक है यानी सर्वजीत के पास पासवान वोट बैंक की ताकत तो मांझी के पास मांझी वोट बैंक की ताकत.

गया जी, किसी शहर के आगे जी लगाने वाला पहला शहर है. यह हिंदुओं के लिए मोक्ष की धरती और पूरे विश्व के बौद्धों के लिए ज्ञान की धरती है. बिहार में सबसे बड़ी दलित जनसंख्या वाला क्षेत्र है. गया लोकसभा आरक्षित सीट है.

भविष्य में चुनाव न लड़ने की कसम तोड़कर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी यहां से लोकसभा जाने के लिए बेताब हैं. वह NDA के उम्मीदवार हैं. उनकी खूबी यह है कि नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की ताकत उनके साथ है. यहां मांझी जाति का बड़ा वोट बैंक भी है.

दूसरी तरफ, महागठबंधन के कुमार सर्वजीत चुनाव लड़ रहे हैं. पासवान जाति से आते हैं. इनकी ताकत आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद हैं.

जाति- यदि जाति की बात करें तो लालू प्रसाद का यादव और मुस्लिम वोट बैंक कुमार सर्वजीत के पक्ष में एकजुट है. लालू प्रसाद ने औरंगाबाद में अभय कुशवाहा और नवादा में श्रवण कुशवाहा को उतारा है तो उसका असर गया में दिख रहा. कुशवाहा का कुछ वोट टूट कर कुमार सर्वजीत को जा रहा है. पासवान जाति का उनका वोट बैंक सर्वजीत के पास है ही.

जिस तरह यादव, लालू प्रसाद के नाम पर खड़ा है, उसी तरह सवर्ण वोट बैंक मोदी के लिए खड़ा है. नीतीश कुमार का वोट बैंक भी जीतन मांझी के साथ है, लेकिन नीतीश कुमार कहीं सीन में नहीं दिख रहे.

मांझी चर्चित बयान देने वाले नेता रहे हैं. उनके बयानों से सवर्ण समाज आहत होता रहा है, लेकिन सवर्ण समाज प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को देख कर इन्हें वोट कर रहा है. यह समाज साइलेंटली मोदी के विरोध में भी वोट कर सकता है. लेकिन, उन्हें याद है कि नरेंद्र मोदी ने ही पहली बार संविधान संशोधन कर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया. राम मंदिर का मामला वोट में बदलता साफ दिख रहा है. यही वजह है कि राम को काल्पनिक बताने वाले मांझी अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन भी कर आए.

जीतन राम मांझी को अतिपिछड़ी जाति का वोट भी मिल रहा है. अतिपिछड़ी जातियां, ज्यादातर जगहों पर यादवों को पसंद नहीं कर रहीं. इसलिए ऐसे वोटर नरेन्द्र मोदी को पीएम बनाना चाहता है. इसमें बड़ी संख्या में बनिया हैं. जीतन राम मांझी पसंद नहीं भी हैं, फिर भी वोट उन्हीं को देंगे. दलित वोट बैंक में यहां मांझी एक नंबर पर, दूसरे नंबर पर रविदास और तीसरे नंबर पर पासवान हैं.

गया लोकसभा में मुद्दों का वोटिंग पैटर्न पर असर को लेकर किए गए प्रश्न पर वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल कादिर कहते हैं कि बिहार के ज्यादातर हिस्सों में वोट एजेंडा पर नहीं होता है. मगध में तो खास तौर से जातीय समीकरण पर लोग वोट करते हैं. काम के आधार पर वोट होता तो नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में 43 सीट भी नहीं आतीं. काम का कोई एजेंडा नहीं है. जातीय समीकरण में जिसका पलड़ा भारी होगा, जीत उसी की होगी.

अब्दुल कादिर के अनुसार मांझी राम को काल्पनिक पात्र कह चुके हैं. यह रोष चुनाव के दिन तक बना रहता है या नहीं, यह वोटिंग के दिन तक देखना पड़ेगा. इधर, विरोधी कैंडिडेट कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार एलजेपी के कैंडिडेट थे. उनकी मर्डर चुनावी कैंपेन के समय ही हुई थी. रामविलास पासवान तो उन्हें शहीद मानते थे. इसलिए एलजेपी के कार्यकर्ता, उनके लोग पासवान को समर्थन देंगे. इसमें मुझे शक है कि चिराग पासवान एलजेपी के वोट का ट्रांसफर जीतन राम मांझी की तरफ करा पाते हैं कि नहीं.

क्षेत्र के हिसाब से वोटिंग-

गया लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं. शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, बेलागंज, वजीरगंज.

शेरघाटी, बोध गया और बेलागंज से RJD विधायक हैं, जबकि बाराचट्‌टी से हम, गया टाउन और वीरगंज से भाजपा विधायक हैं.

गया टाउन का वोट भाजपा को जाता रहा है. यह वह वोट बैंक है जो भाजपा को यहां बढ़त देता रहा है. शहरी वोटरों का माइंड सेट भाजपा की तरफ है. इसमें बड़ी संख्या बनिया जातियों की है. सवर्णों का झुकाव भी साफ-साफ भाजपा की तरफ है. एनडीए के उम्मीदवार जीतन राम मांझी के चेहरा पर ये दो बड़े वोट बैंक बहुत सहमत नहीं दिख रहे, लेकिन इन्हें जीतन मांझी नहीं नरेंद्र मोदी दिख रहे.

यहां चुनाव में सबसे बड़ी किरदार मांझी समाज ही निभाता रहा है. यही वजह है कि 20 वर्ष में मांझी जाति से ही सांसद हुए. गया लोकसभा में यादव 16 से 18 फीसदी, मुस्लिम 12-13 फीसदी, अतिपिछड़ा 30 (इसमें सबसे अधिक 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या मांझी जाति के हैं), सवर्ण 10 प्रतिशत हैं.

कैसा रहेगा मुकाबला

प्रोफेसर कर्मानंद आर्य सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. वे कहते हैं कि गया हॉट सीट है. दोनों उम्मीदवार यानी जीतन राम मांझी और कुमार सर्वजीत समर्थ हैं. एकतरफा मुकाबला नहीं होगा, दो तरफा ही होगा.

आम लोग क्या सोचते हैं…

बोधगया टाउन में रहने वाले युवा दीपक कुमार कहते हैं कि इस बार का लोकसभा चुनाव एकपक्षीय युद्ध है. बचपन से लेकर अब तक मैंने कांग्रेस पार्टी और भाजपा का उतार-चढ़ाव खूब देखा है. हम चाहते हैं कि हमारा राष्ट्र ऊंचाई को छुए. बिहार को कास्ट सिस्टम ने बर्बाद किया है. बाहर जाने पर कोई हमें बिहारी कह कर मजाक उड़ाता है तो हमें काफी खराब लगता है, दुख होता है.

गया के नौरंगा गांव में मुसलमानों की संख्या अच्छी है. यहां रहने वाले मो इस्माइल हसन कहते हैं- ‘हम भाजपा को वोट दे भी दें तो वे विश्वास नहीं करेंगे. इसलिए हमलोग महागठबंधन को वोट देंगे. नौरंगा की सड़क की हालत 15 सालों से खराब है. जहां सड़क नहीं बननी चाहिए, वहां बार-बार बन रही है. जहां बननी चाहिए, वहां नहीं बन रही.

वहीं, मो गालिब कहते हैं कि ’जनप्रतिनिधियों ने गया की काफी उपेक्षा की है. सड़क की हालत कई जगहों पर ऐसी है कि टोटो वाले, टोटो लेकर गिर जाते हैं. जाम से लोग परेशान रहते हैं.

खेतों में पानी नहीं मिल रहा

गया के मानपुर में गंजास क्षेत्र में कुछ बुजुर्ग बैठे हुए हैं. ये खेती-किसानी करने वाले लोग हैं. देव नंदन प्रसाद कहते हैं कि जब समय आएगा तब वोट के बारे में विचार करेंगे. विकास पर ही वोट करेंगे. अनिल यादव कहते हैं कि विकास को देख कर वोट किया जाएगा. हम लोगों की धान की फसल मारी जाती है. ये जो गेहूं की फसल देख रहे हैं ना आप, यह सिंचाई से नहीं वर्षा के पानी से हुआ है. बहुत परेशानी है, सिंचाई की प्रबंध नहीं है.

मिथुन कहते हैं कि जो विकास किया है, उसको वोट मिलेगा. बिहार में 17 साल से नीतीश कुमार गवर्नमेंट में है, लेकिन 17 महीने में तेजस्वी यादव ने इतनी जॉब दी. पुआल से रस्सी बना रहे केदार यादव कहते हैं कि हम लोग के नेता जिसको वोट देने कहेंगे, उसी को देंगे. कोई जात रहे, उससे फर्क नहीं पड़ता है. इनका रुझान साफ बताता है कि यादव वोट कुमार सर्वजीत को ही जाना है.

84 वर्ष के एक बुजुर्ग कहते हैं कि समय आने पर वोट के बारे में सोचेंगे, अभी से सोच कर क्या करेंगे. देखेंगे कि कौन उम्मीदवार काम करने वाला है, आगे काम करेगा तो उसको वोट देंगे. इतने पीएम बने पर कोई राम मंदिर नहीं बनवा पाए, लेकिन नरेंद्र मोदी ने मंदिर बनवाया.

हम जाति पर ही वोट करेंगे

मानपुर प्रखंड के अमरा गांव में पहाड़ किनारे दलित बस्ती दिखी. गांव के युवा और बुजुर्ग ताश के पत्ते पर जुआ खेल रहे हैं. कैमरा देखकर कोई भागता नहीं है. छिपा कर नहीं खेल रहे हैं. जट्ठू मांझी कहते हैं कि गरीब का वोट लेकर बड़का सब मजा लेते हैं. एक चापाकल तो मिला ही नहीं बस्ती में. इंदिरा आवास, राशन कार्ड मिला. खाने के लिए अनाज दे रहे पर पानी की प्रबंध नहीं है. फिर से वोट मांगने आएंगे और वादा करेंगे, हम लोग इसमें फंस जाते हैं. सभी लोग अपनी जाति के लिए ही मर रहा है तो हम लोग भी जात वाला को वोट देंगे. कोई वादा पूरा नहीं करता है. जाति देखकर ही वोट करेंगे, चाहे वो विकास करे या नहीं करे. विकास का वादा देखकर वोट करके देख लिए.

अच्छा नेता चुनना चाहते हैं

अरविंद सिंह अपनी दुकान चलाते हैं. कहते हैं कि विकास ही एजेंडा है. विकास होगा तो सब कुछ होगा. हर शहर, गांव की परेशानी दूर होनी चाहिए. जाति तो है, लेकिन सब लोग जाति पर ही वोट नहीं देते हैं. बहुत लोग अच्छे नेता को भी चुनना चाहते हैं कि हमारा काम हो. सभी अच्छे से रहें. वोट खरीदने की बात हम भी सुनते हैं, लेकिन देखे नहीं हैं.

मिथुन कहते हैं कि जो विकास किया है, उसको वोट मिलेगा. बिहार में 17 साल से नीतीश कुमार सत्ता में है, लेकिन 17 महीने में तेजस्वी यादव इतनी जॉब दी.

पिछला चुनाव जीतन राम मांझी हार चुके हैं

गया लोकसभा से 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के विजय कुमार मांझी ने हम पार्टी के जीतन राम मांझी को हराया था. विजय मांझी को 4,67,007 वोट मिले थे, जबकि जीतन राम मांझी को 1,52,426 वोट. उस समय जीतन राम मांझी महागठबंधन के साथ थे. आरक्षित सीट घोषित होने के बाद यहां से 1967 में कांग्रेस पार्टी के रामधनी दास सांसद बने. 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजेश कुमार मांझी और 2009 और 2014 में हरि मांझी चुनाव जीते.

दो पूर्व सांसदों की पहले हो चुकी है हत्या

गया में चुनाव प्रचार के समय दो पूर्व सांसदों की मर्डर हो चुकी है. 15 मई 1991को कोंचथाना के कराय मोड़ के पास सांसद ईश्वर चौधरी की मर्डर कर दी गई. वे 1971, 1977 और 1989 में सांसद रहे थे. इसके बाद 22 जनवरी 2005 में विधानसभा चुनाव प्रचार के समय डुमरिया के बिहुआ कला गांव में पूर्ण सांसद राजेश कुमार की मर्डर कर दी गई.

गया लोकसभा में महागठबंधन के प्रत्याशी कुमार सर्वजीत कहते हैं कि संघर्ष के मैदान में यह नहीं देखा जाता है कि हमारा युद्ध किसके साथ है. देखा यह जाता है कि किसी भी तरह जीत करना है. युवाओं और सभी जाति-धर्म के हाथ में निर्णय है. 30 वर्ष में यहां के लोग एक ऐसे आदमी को सांसद चुनने जा रहे हैं जो गया लोकसभा का विकास कर सकता है.

यूथ समझ गए हैं कि जॉब कौन दिला सकता है. आशा दीदी, आंगनवाड़ी दीदी, नाई, कुम्हार को कौन आगे बढ़ाएगा. ऊंची जाति हो या कोई जाति सब के लिए तेजस्वी यादव ने काम किया. जीतन राम मांझी की कोई एक उपलब्धि गया से या बिहार में बता दें.

सर्वजीत कहते हैं, ‘राम के नाम पर वोट मांग रहे हैं और राम को ही काल्पनिक बताते हैं. मैं जानता हूं कि गया लोकसभा में सभी जाति के लोग हमारे साथ हैं. लोग हमसे क्षेत्र में नरेन्द्र मोदी के बारे में प्रश्न करते हैं. कोई कहता है मेरा बेटा इंजीनियरिंग करके 8 वर्ष से बैठा है. कोई कहता है मेरा बेटा एमबीए करके 10 वर्ष से बैठा है. मैं कहता हूं, ईश्वर के साथ नौकरी-रोजगार दोनों महत्वपूर्ण है.

पूर्व सीएम और एनडीए के प्रत्याशी जीतन राम मांझी कहते हैं, गया में कोई भिड़न्त नहीं है. नरेन्द्र मोदी का चमत्कारिक नेतृत्व बोल रहा है, कोई उन पर गड़बड़ी का इल्जाम नहीं लगा सकता है. महर्षि के रूप में सेवा कर रहे हैं. एक तरफ वो हैं, दूसरी तरफ वे हैं जो हत्या, लूट-खसोट, छल-छद्म पर विश्वास करते हैं. हमारा एजेंडा विकास का है. गया ‘टूरिस्ट पाइंट ऑफ व्यू’ के हिसाब के काफी आगे बढ़ सकता है. गंगा का पानी लाने का भागीरथी कोशिश नीतीश कुमार ने किया है पर पर्याप्त फायदा नहीं मिल रहा है.

गया में सतह का पानी तेजी से नीचे जा रहा है. फल्गु नदी की गाद की सफाई करानी है. सोन नदी के बाढ़ के पानी का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा. इस पानी को फल्गु में लाएंगे और नहर निकालकर मोकामा टाल तक ले जाना चाहते हैं.

नदी के दोनों किनारे हम सड़क बनाएंगे, मरीन ड्राइव बनाएंगे. वातावरण ठंडा होगा. चापाकल में पानी भी आएगा. हम थोड़े समय सीएम रहे, विष्णुपद मेला को राजकीय मेला घोषित करवाया. बोधगया में ट्रैफिक थाना खुलवाया. रेलवे ब्रिज को पूरा करवाया. कई पुल बनवाया, लेकिन अभी भी काफी काम बाकी है. गया के बारे में मेरे अंदर स्वप्न है. नरेन्द्र मोदी गया का विकास करेंगे, मेरा विश्वास है. हम मथुरा, अयोध्या, तिरुपति, विश्वनाथ मंदिर गए हैं, दिल से ईश्वर को मानता हूं. हां, तिलक नहीं लगाता हूं.

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