400 साल से भी ज्यादा पुराना है भगवान राम का ये मंदिर
रामनवमी को लेकर प्रभु रामचंद्र की नगरी अयोध्या राममय हो चुकी है। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में आपको कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर और कई प्राचीन धरोहर देखने को मिलेगी, जिनका अपना ऐतिहासिक प्रमाण रहा है। हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जहां ईश्वर राम के शिला रूपी चरण देखने को मिलते हैं। उत्तराखंड अल्मोड़ा के मल्ला महल में रामशिला मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि ये मंदिर करीब 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इस मंदिर में रामनवमी के दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटना प्रारम्भ हो जाती है।
कैसे स्थापित हुआ ये मंदिर?
अल्मोड़ा के मल्ला महल में राजा रुद्रचंद ने 1588 में राम शिला मंदिर की स्थापना की थी। राजा ने राजमहल के पास ही ईश्वर राम के चरणों को स्थापित किया। ताकि वह ईश्वर राम के चरणों की श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकें।
पुजारी प्रमोद पाठक ने कहा कि यह मंदिर चंद वंश राजाओं के द्वारा बसाया गया था। यहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है। काफी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। ईश्वर राम की शिला रूपी चरण पादुकाओं को श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अतिरिक्त लोग अपनी इच्छा भी लेकर यहां आते हैं। जिसकी इच्छा पूरी जाती है तो यहां दोबारा से आकर ईश्वर के दरबार में पूजा अर्चना करते हैं। राम नवमी पर आज सुबह 4 बजे से ही भक्तों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पर आकर पूजा कर रहे हैं।श्रद्धालु भगवती जोशी ने कहा कि वह काफी वर्ष से इस मंदिर में आ रही हैं। प्रभु रामचंद्र सभी के लिए एक आस्था का प्रतीक है। वह इस मंदिर में अपने पूरे परिवार के साथ आई हैं। उन्होंने यहां पर पूजा अर्चना की। श्रद्धालु लीला बोरा ने कहा कि सभी राम जन्मभूमि अयोध्या नहीं जा सकते, लेकिन अल्मोड़ा के रामशिला मंदिर आकर ईश्वर रामचंद्र की चरण पादुका के दर्शन कर रहे हैं। वह भी पिछले कई सालों से इस मंदिर में आ रही हैं। इस मंदिर में लोगों की आस्था आज भी बरकरार है