भूस्खलन से डर के साए में जीने के लिए मजबूर हैं इस ग्रामीण के लोग
चमोली के गोपेश्वर से लगभग 22 किमी की दूरी पर स्थित कौंज-पोथनी गांव के ग्रामीण आपदा समाप्त होने के बाद भी आपदा का दंश झेल रहे हैं। आज भी उनका जीवन पटरी पर नहीं आ पाया है। गांव के निचले हिस्से में लगातार भूस्खलन जारी है। जिससे ग्रामीण डर के साए में जीने के लिए आज भी विवश हैं और स्थाई निवारण के लिए विस्थापन की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि 13 अगस्त की रात चमोली जिले के कई इलाकों के लिए बहुत घातक साबित हुई जिसमें से एक कौंज पोथनी गांव भी था, क्योंकि इस दिन गांव में अतिवृष्टि से भारी तबाही हुई थी। गांव को जोड़ने वाला पैदल पुल और ग्रामीणों की कई हेक्टेयर भूमि बह गई थी। लेकिन गांव में भूस्खलन का सिलसिला अभी भी जारी है जिससे ग्रामीणों की चिंता और अधिक बढ़ गई है।
भूस्खलन से डर के साए में जीने के लिए विवश हैं ग्रामीण
ग्राम प्रधान कुंदन सिंह ने कहा कि गांव में टूटे रास्तों से आवाजाही करने में लगातार जोखिम बना हुआ है। अभी भी ऊपर बड़े-बड़े पत्थर अटके हुए हैं, जो कभी भी नीचे आकर भारी तबाही मचा सकते हैं, इससे लोगों में डर बना हुआ है साथ ही कहा कि गांव के सिंचित खेत भी धीरे-धीरे भूस्खलन की जद में आ रहे हैं जिससे ग्रामीणों को बहुत हानि हो रहा है।
वहीं गांव की स्त्री मंगल दल की अध्यक्षा दीपा देवी ने बोला कि गांव के निचले हिस्से में लगातार भूस्खलन जारी है। केवल इतना ही नहीं अब तो धूप में भी भूस्खलन हो रहा है। जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने गांव को विस्थापित करने की मांग उठाई है।
जिला प्रशासन टीम ने किया स्थलीय निरीक्षण
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी चमोली नंदकिशोर जोशी ने कहा कि कौंज गांव में गदेरे से भूस्खलन हो रहा है। साथ ही प्रशासन की टीम ने गांव का स्थलीय निरीक्षण भी कर लिया है। ग्रामीणों को भारी बारिश के दौरान सुरक्षित स्थानों में शरण लेने के लिए बोला गया है। मौसम सामान्य होने पर भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी गई है।