उत्तराखण्ड

पहाड़ों में कहर बन कर टूटा स्क्रब टाइफस

मानसून के मौसम के दौरान पहाड़ों में खेती करने वाले काश्तकारों में इन दिनों एक बिमारी के लक्षण तेजी से देखने को मिल रहा है इसे आम भाषा में ग्रामीण दिमागी बुखार बोला जाता हैं इसमें सिर दर्द होने से लेकर बुखार और शरीर में कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं वहीं डॉक्टरों का बोलना है कि इस रोग का नाम मेडिकल भाषा में इसे स्क्रब टाइफस कहते है और यह आम तौर पर खेतों में काम करने वाले या गांव में रहने वाले ग्रामीणों, किसानों में देखने को मिल रहा है यदि जल्द ही रोग का इलाज नहीं कराया गया तो इसके दूरगामी रिज़ल्ट देखने को मिल सकते हैं

चिकित्सकों का बोलना है कि स्क्रब टाइफस को रोगी अक्सर गंभीर नहीं मानते है यदि जल्द ही इलाज न कराया जाए तो रोगी को लीवर और किडनी में परेशानी हो सकती है और हालात नाजुक होने की संभावनाएं भी बनी रहती है इन दिनों गढ़वाल क्षेत्र के पर्वतीय जिलों में स्क्रब टसाइफस से ग्रसित रोगियों की भारी संख्या अस्पतालों में पहुंच रही है रोजाना 50 रोगी हॉस्पिटल में भर्ती होते हैं तो इनमे से 10-12 रोगी स्क्रब टाइफ्स से ग्रसित हैं

क्या है स्क्रब टाइफस ?
बेस हॉस्पिटल श्रीनगर के जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर केएस बुटोला बताते हैं कि स्क्रब टाइफस जिसे आम बोलचाल की भाषा में ग्रामीण दिमागी बुखार कह रहे हैं यह माइट और चिगर्स के काटने से उत्पन्न बैक्टीरिया से फैलता है इसमें तेजी से बुखार आना, सिर दर्द होना, जोड़ो में दर्द और मानसिक बदलाव जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं कई रोगी इस रोग को हल्के में लेते हैं, जिसे बाद में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है हालात गंभीर होने पर लीवर और किडनी पर भी इसका गंभीर असर देखने को मिलता है

एंटीबायोटिक की सहायता से समय से हो सकता है इलाज
मेडिसिन विभाग के डॉ बुटोला बताते हैं कि यदि किसी आदमी को स्क्रब टाइफस होने की संभावना है, या लक्षण दिखते हैं तो तुरंत चिकित्सक के पास जांच के लिए पहुंचे यदि रोग की पहचान शीघ्र हो जाए तो इसे एंटीबायोटिक दवा की सहायता से काफी सरलता से ठीक किया जा सकता है स्क्रब टाइफस का इलाज तुरंत असर करता है और रोगी एंटीबायोटिक दवाओं की खुराक लेने के कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि इलाज समय पर नहीं हुआ तो रोगी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है

खेतों में काम के दौरान बरतें ये सावधानियां
डॉ बुटोला आगे बताते हैं कि स्क्रब टाइफस को रोकने का सबसे सरल तरीका झाड़ीदार, खेतों या घने वनस्पति वाले क्षेत्रों में जाने से बचना है लेकिन यदि आप काश्तकार या किसान हैं और आपको ऐसे इलाकों में जाना ओर काम करने की जरूरत है तो ऐसे कपड़े पहनें जो पैरों को अच्छी तरह से ढकें ताकि चिगर्स आपकी त्वचा के सीधे संपर्क में न आ सके किसी भी बाहरी गतिविधि के बाद हमेशा अपने हाथ और पैर अच्छी तरह धोएं, पहले खेतों या नमी वाले इलाकों में जाने से पूर्व अपने कपड़ों या त्वचा पर जैविक कीट प्रतिकारक लगाने का कोशिश करे

हिमालयी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही बिमारी
डॉ केएस बुटोला बताते हैं कि बीते 8-10 वर्षों से ये रोग हिंदुस्तान में देखने को मिली है खास तौर पर उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर जैसे हिमालयी क्षेत्रों में ये रोग अधिक देखने को मिल रही है इसका एक बड़ा कारण इन क्षेत्रों में

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