पिथौरागढ़ किसान सेब की विदेशी प्रजातियों को लगाकर की सफलता प्राप्त
पिथौरागढ़: मनोज खड़ायत की कहानी से हम जानते हैं कि संघर्ष के साथ यदि किसी आदमी में इरादे और उत्साह हो तो वह किसी भी परेशानी का सामना कर सकता है और कामयाबी प्राप्त कर सकता है। पहाड़ के गांवों में रहने वाले लोग अक्सर सोचते हैं कि उन्हें वहां से दूर जाकर अधिक रोजगार के अवसर मिल सकते हैं, लेकिन मनोज ने दिखाया है कि यदि ठीक उत्साह और कोशिश हो तो वे अपने गांव में भी कामयाबी प्राप्त कर सकते हैं।
उनके उत्साह और सरेंडर की वजह से वे सेब की खेती में क्रांति लाएं और अपने क्षेत्र में अलग पहचान बना सके। उनके कामयाबी के कारण उन्हें ‘Apple Man’ के नाम से जाना जाता है जो उन्हें एक सफल किसान के रूप में पहचान दिलाता है। उनकी यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा साधन है जो पहाड़ में रहते हुए अपने सपनों को पूरा करने के लिए उत्साहवान हो रहे हैं। इससे यह संदेश मिलता है कि संघर्ष और ठीक उत्साह के साथ किसी भी कठिन से निपटा जा सकता है और कामयाबी की ओर आगे बढ़ा जा सकता है।
आजीविका को सुधारने में मिल रही है मदद
मनोज बताते हैं कि सेब की खेती के माध्यम से मनोज ने पहाड़ी क्षेत्र के लोगों की आजीविका को सुधारने में जरूरी सहयोग दिया है। उनकी कामयाबी उन्हें हिमाचल के सेब उत्पादन के ढंग पर अगर्वाल जनपद का विकास करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। उन्हें आगे भी समर्थन मिलने से यहां के किसानों को और भी उत्साह मिलेगा और पहाड़ के कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
विदेशी प्रजातियों की भी की है शुरुआत
मनोज जिले के पहले किसान हैं जिन्होंने सेब की विदेशी प्रजातियों को लगाया है और अपने प्रयोग में सफल हुए हैं। और अब अन्य लोगों को भी सेब की खेती में सहायता कर रहे हैं। मनोज ने अपनी मेहनत के दम पर साबित करके दिखा दिया कि पहाड़ में हर चीज होना संभव है अब प्रदेश के नीति निर्माताओं की भी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे प्रगतिशील बागवानों को आगे बढ़ाने की। गवर्नमेंट ने एप्पल मिशन योजना तो चलाई है लेकिन उसमें जारी शर्तों के कारण पहाड़ के लोग उसका फायदा नहीं ले सकते हैं।
पहाड़ में हर खेती है संभव
मनोज, जो पिथौरागढ़ जिले के पहले किसान हैं जिन्होंने सेब की विदेशी प्रजातियों को लगाकर कामयाबी प्राप्त की है, अब अन्य लोगों को भी सेब की खेती में सहायता कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रयोगों में साबित किया है कि पहाड़ में हर तरह की खेती संभव है। प्रदेश के नीति निर्माताओं के लिए यह एक जरूरी जिम्मेदारी है कि वे ऐसे प्रगतिशील बागवानों को आगे बढ़ाने के तरीका और संरचनाएं विकसित करें, ताकि सेब की खेती में रुकावटें कम हो सकें और अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें।
यहां के किसानों की आर्थिक और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर योजना बनाई की जिससे उसका सीधा फायदा हकीकत में जमीन पर काम कर रहे, किसानों को मिल सके। अभी विभाग की कोई भी योजना जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है और इस पर विभागीय अधिकारी जरा भी गम्भीर नहीं दिखाई देते हैं।