उत्तराखण्ड

नेपाल ने भारत से आयात होने वाले सामान पर बढ़ाया टैक्स

पिथौरागढ़. नेपाल बॉर्डर पर भारतीय कारोबार को अब खासा हानि हो सकता है. असल में नेपाल ने हिंदुस्तान से आयात होने वाले सामान पर टैक्स बड़ा दिया है. टैक्स बढ़ने से जहां नेपाल के लोग हिंदुस्तान से कम खरीददारी करने को विवश हैं, वहीं भारतीय बाजारों पर संकट भी मंडरा गया है. उत्तराखंड में नेपाल से हिंदुस्तान का 275 किलोमीटर का बॉर्डर सटा है. इस बॉर्डर पर हिंदुस्तान और नेपाल की दर्जनों व्यापारिक मंडियां उपस्थित हैं. बॉर्डर की इन मंडियों का कारोबार दोनों राष्ट्रों लोगों पर टिका है.

भारत के लोग जहां नेपाल से अपनी आवश्यकता का सामान खरीदते हैं, वहीं नेपाली नागरिक भी भारतीय मंडियों को जमकर गुलजार किए रहते हैं लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. असल में नेपाल के नए फरमान से ये संकट खड़ा हुआ है. नेपाल ने तय किया है कि हिंदुस्तान से आने वाले सौ रूपये से अधिक के सामान पर टैक्स लिया जाएगा. नेपाल बॉर्डर पर धारचूला में कारोबार करर हे शालू दताल का बोलना है कि नए नियम से दोनों राष्ट्रों का कोराबार खासा प्रभावित होगा. बेहतर होगा कि नेपाल गवर्नमेंट अपने फरमान को वापस ले ले.

पहले 5 सौ रूपये से अधिक के सामान पर लगता था टैक्स

पिथौरागढ़ के तवाघाट से लेकर चम्पावत के बनबसा तक की मंडियां नए नियम से सीधे प्रभावित हैं. पहले नेपाल गवर्नमेंट 5 सौ से अधिक के सामान पर टैक्स लिया करती थी लेकिन अब इसकी सीमा घटकर सौ रूपये तक जा पहुंची है. टैक्स बढ़ने से नेपाल में भारतीय सामान नेपालियों के लिए मंहगा हो रहा है, ऐसे में तय है कि इसकी खरीददारी भी कम होगी. सामान की खरीददारी कम होने से नेपाल बॉर्डर पर बसे हजारों भारतीय कारोबारियों पर भी संकट गहरा गया है.

दशकों से चल रहा है दोनों राष्ट्रों के बीच का व्यापार

नेपाल में सीमा शुल्क वस्तुओं के हिसाब से तय होता है. पिथौरागढ़ के जिला व्यापार संघ के अध्यक्ष पवन जोशी का बोलना है कि नेपाल गवर्नमेंट को अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए. इससे हिंदुस्तान के व्यापारियों को तो हानि होगा ही साथ ही नेपाल के नागरिक भी महत्वपूर्ण चीजों के लिए तरस जाएंगे. उत्तराखंड के 275 किलोमीटर के बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच दशकों से व्यापार होता आया है लेकिन अब बदले हालात में काफी कुछ बदलना भी तय है. ऐसे में जहां नेपाली नागरिकों को महत्वपूर्ण चीजों के लिए अधिक जेब खर्च करनी पड़ रही है, वहीं भारतीय व्यापार पर भी सीधे चोट पड़ रही है.

नए फरमान का नेपाल के साथ ही हिंदुस्तान में भी विरोध है. ऐसे अब ये देखना है कि नेपाल गवर्नमेंट अपने निर्णय को वापस लेती है या फिर स्वयं की आमदनी बढ़ाने के लिए नए फरमान पर अड़ी रहती है.

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