भड़काऊ भाषण के मुद्दे में त्यागी को उच्चतम न्यायालय ने उपचार कराने के लिए तीन महीने की ज़मानत दी है। इससे पहले त्यागी के वकील ने दिल रोग के उपचार के लिए ज़मानत की मांग की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने ज़मानत मंज़ूर करते हुए आदेश दिया की ज़मानत के दौरान वह कोई भड़काऊ भाषण नहीं देंगे।
मंगलवार की सुनवाई से पहले हरिद्वार धर्म संसद मुद्दे से जुड़ी त्यागी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड गवर्नमेंट से उत्तर मांगा था। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा था, चूंकि वे स्वयं संवेदनशील नहीं है, इससे पूरा माहौल खराब हो रहा है। पीठ ने त्यागी की जमानत याचिका पर राज्य गवर्नमेंट और अन्य को नोटिस जारी किया था।
त्यागी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने बोला था कि त्यागी लगभग छह महीने से हिरासत में हैं और वह कई रोंगों से पीड़ित हैं। उन्होंने बोला कि त्यागी के विरूद्ध दर्ज मुद्दे में अधिकतम सजा तीन वर्ष ही है और इन आधारों पर उन्हें बेल दी जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मार्च में उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद त्यागी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
धर्म संसद में हेट स्पीच का सिलसिला
गौरतलब है कि हरिद्वार धर्म संसद में कई साधु संतों ने मुसलमानों के विरूद्ध आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इतना ही नहीं, धर्म संसद में महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा गया। एक साधु कालीचरण महाराज ने तो बापू तक को बुरा भला कह दिया। उन्हें हिरासत में भी लिया गया था। दूसरी ओर मुस्लिम से हिन्दू बने वसीम रिजवी उर्फ त्यागी ने भी आपत्तिजनक बयान दिए थे। हरिद्वार के बाद दिल्ली में धर्म संसद हुई थी और वहां भी भड़काऊ बयान दिए गए।