ये हैं उत्तराखंड के पांच प्रसिद्ध देवी मंदिर, जहां भक्तों की पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं
Five famous Mata Devi Temples: उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश (Rishikesh) योग और ध्यान के साथ ही प्राचीन मंदिर और घाटों के लिए भी मशहूर है। ऋषिकेश घूमने आए पर्यटक यहां के मंदिरों के दर्शन करना नहीं भूलते। यहां कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हम आपको यहां स्थित ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां नवरात्रों में दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रहती हैं।
ऋषिकेश में स्थित कुंजापुरी देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर और नरेंद्र नगर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे कुंजापुरी के साथ ही कुंचा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस जगह पर माता सती के शरीर का ऊपरी भाग यानी कुंजा गिरा था। इस कारण यह मंदिर एक शक्तिपीठ कहलाता है। नवरात्रों में दर्शन करने के लिए यहां भक्तों की लाइन लगी रहती है।
देश के विभिन्न क्षेत्रों में 51 शक्ति पीठ हैं, जिनमें से एक शक्ति पीठ ऋषिकेश में स्थित योगिनी दुर्गा माता मंदिर है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास स्थापित यह मंदिर भी 13 मंजिला का है, जहां मां पार्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर मां सती के वस्त्र और आभूषण गिरे थे, जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया। सभी भक्तगण यहां अपनी इच्छा पूर्ण होने की आस लेकर मां के दरबार में आते है। यहां मां अपने सभी भक्तों की दिल से मांगी गई मुरादें को पूर्ण करती हैं।
तारा माता को 10 महाविद्याओं में से द्वितीय महाविद्या माना गया हैं। महंत प्रकाश गिरी महाराज द्वारा सन् 1965 में बंगाल से प्रज्वलित ज्योति के रूप में तारा माता को ऋषिकेश लाया गया और जिस जगह पर यह ज्योत रखी है। वहीं पर तारा माता की मूर्ति की स्थापना की गई है। इसके बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। यह मंदिर त्रिवेणी घाट के पास ही केवलानंद चौक पर स्थित है। यह न सिर्फ़ प्राचीन बल्कि, ऋषिकेश का अदभुत मंदिर भी है। मंदिर का द्वार भी काफी भव्य प्रतीत होता है, जैसे राजा महाराजाओं के समय में हुआ करता था। वहीं यहां स्थापित तारा माता की मूर्ति भी काफी अद्भुत है।
ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट के पास स्थित गौरी शंकर मंदिर काफी प्राचीन और पूजनीय है। यह मंदिर ऋषि कुब्जा मृग की कुटिया से लगकर बना हुआ है। यहां स्थापित माता पार्वती की मूर्ति प्राचीन है, जिसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। मान्यता है कि मां पार्वती ने कुटिया के पास ही करीब 60,000 साल ऋषि का तप पूर्ण होने का प्रतीक्षा किया था। इसके बाद इस जगह पर गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया गया।
ऋषिकेश से 5 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों के बीच स्थित प्राचीन मन ख़्वाहिश देवी मंदिर एक मशहूर और पूजनीय है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। यहां पर मां मन ख़्वाहिश देवी की पिंडी की विशेष पूजा की जाती है। क्योंकि, मान्यता है कि यहां पर मां मन ख़्वाहिश देवी ने पिंडी के रूप में दर्शन दिए थे, जो स्कंद पुराण में वर्णित है। यह मंदिर जंगल के बीच स्थित है और इसके 5 किलोमीटर के दायरे में कोई दुकान या बाजार नहीं है। इसके आसपास स्थित रानीपोखरी के वासियों की यही कुलदेवी हैं