उत्तराखण्ड

मंदिर के दर्शन के बाद ही पूरी होती है यात्रा, 10 मई को खुलेंगे कपाट

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से लगे आदि कैलाश मंदिर के कपाट आनें वाले 10 मई को विधि विधान के साथ खोले जाएंगे इसके लिए मंदिर के पुजारियों समेत कुटी गांव के लोगों ने तैयारियां पूरी कर ली है

मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही आदि कैलाश के दर्शन और यात्रा पूरी मानी जाती है यह मंदिर आदि कैलाश के निकट पार्वती ताल के पास बना हुआ है इस स्थान का नाम ज्योलिंगकांग है आदि कैलाश की यात्रा करने वाले शिवभक्तों को इस मंदिर के बारे में पता नहीं होता है और वह बिना यहां पूजा-पाठ किए आदि कैलाश पर्वत को देखकर वापस लौट जाते हैं

यहां माता पार्वती ने किया था ध्यान
यहां के लोगों का मानना है कि ज्योलिंगकांग में स्थित इस मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही आदि कैलाश के दर्शन पवित्र माने गए हैं क्योंकि यही वह स्थल है, जहां माता पार्वती ध्यान में बैठा करती थी इस मंदिर में पूजा कुटी गांव के लोग करते हैं, जो चीन सीमा पर बस अंतिम गांव है

सफल यात्रा के लिए होती है पूजा
यहां के क्षेत्रीय निवासी और पुजारी नरेंद्र सिंह कुटियाल ने जानकारी देते हुए कहा कि धार्मिक मान्यता और विधि विधान के साथ कपाट खुलने के बाद यात्री आदि कैलाश के इस मंदिर में पूजा अर्चना कर सकते हैं उन्होंने कहा कि यहां आने वाले यात्रियों की सफल यात्रा के लिए विशेष प्रकार से पूजा की जाती है कपाट खुलने के बाद ही आदि कैलाश कि यह यात्रा पूरी होती है

प्रधानमंत्री भी यहां लगा चुके हैं ध्यान
बीते साल पीएम मोदी भी यहां ध्यान लगा चुके हैं इसके बाद से राष्ट्र दुनिया के लोगों में आदि कैलाश के प्रति क्रेज भी बड़ा है भारी संख्या में लोग आदि कैलाश के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं इस बार आदि कैलाश यात्रा पिछले वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली है क्योंकि हिंदुओं के सबसे पवित्र जगह कैलाश मानसरोवर के बाद इसे ही माना गया है

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