उत्तराखण्ड

उत्तराखंड का वेडिंग डेस्टिनेशन बनेगा देवी का यह मंदिर

अलकनंदा नदी के बीचों-बीच स्थित उत्तराखंड के चारों धाम की रक्षक मां धारी देवी का मंदिर जल्द ही वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में नजर आएगा धारी देवी मंदिर के पुराने मंदिर को शादी प्रागंण के रूप में विकसित किया जा रहा है उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल से महज 16 किमी दूर अलकनंदा नदी के बीच पिलर पर बना धारी देवी मंदिर अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्व है विवाह के पवित्र बंधन में बंधने के लिए हो या विवाह के बाद यहां बड़ी संख्या में जोड़े पहुंचते हैं और माता रानी का आशीर्वाद लेते हैं मंदिर में विवाह करने आने वालों के लिए पर्याप्त स्थान न होने के चलते मंदिर के पुजारी न्यास ने यह पहल प्रारम्भ की है अभी तक रुद्रप्रयाग जिले का त्रियुगीनारायण मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब धारी देवी मंदिर भी इसमें शामिल होने वाला है

हाल में हुए उत्तराखंड ग्लोबल समिट के उद्घाटन सत्र में पीएम मोदी ने देशवासियों से शादियों के लिए विदेश जाने के बजाय उत्तराखंड आने का आह्वान किया था उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां विवाह की जा सकती है, लेकिन प्रचार-प्रसार न होने के चलते इनकी जानकारी बहुत कम लोगों को है सिर्फ़ त्रियुगीनारायण मंदिर ही वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता था

शादी का विशेष महत्व

पुजारी न्यास के प्रबंधक रमेश चंद्र पाण्डेय जानकारी देते हुए बताते हैं कि धारी देवी मंदिर में विवाह करने के लिए प्रदेश भर से लोग पहुंचते हैं, लिहाजा यहां विवाह प्रांगण बनाया जा रहा है मां धारी के द्वार सक्षम और असक्षम लोग विवाह करने पहुंचते हैं यहां विवाह करने का एक विशेष महत्व भी है यहां विवाह करने से खुशहाल दांपत्य जीवन मिलता है ऐसे में जिस जगह पर मां धारी देवी अस्थाई रूप से विराजमान थीं, उस जगह पर नया ढांचा खड़ा कर विवाह का प्रागंण और भंडारण गृह बनाने का निर्णय लिया गया है

इस जगह पर मूर्ति हुई थी अपलिफ्ट

2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से 16 जून 2013 को मां धारी देवी की प्रतिमा को अपलिफ्ट कर दिया गया था बीते नौ वर्षों से मां अस्थायी जगह में विराजमान रही 28 जनवरी 2023 को मां धारी देवी अपने मूल जगह के ऊपर बने भव्य मंदिर में विराजमान हो गईं जिसके बाद इस जगह को अब विवाह प्रांगण के रूप में तैयार किया जा रहा है, जिससे कि यहां विवाह के लिए पहुंचने वालों को किसी तरह की परेशानी न हो यहां विवाह के लिए औनलाइन रजिस्ट्रेशन जैसी कोई प्रबंध नहीं है विवाह के लिए मंदिर समिति की रसीद कटानी होती है इसकी धनराशि आप अपनी इच्छानुसार तय कर सकते हैं

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