उत्तर प्रदेश

वर्षों पुराना तालाब,आज इस धरोहर के अस्तित्व पर खतरा मंडराया

 हरदोई हरदोई में एक तालाब है जिसमें सैकड़ों सालों से हजारों कछुए रहते हैं जिसे प्रशासन के द्वारा लोगों के पर्यटन के लिए सौंदर्यीकरण कराकर बेहतर बनाया गया था मगर आज जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते आज इस धरोहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है अब देखना यह है कि इस कछुआ तालाब के फिर से कब दिन बहुरेंगे

हरदोई के तहसील बिलग्राम क्षेत्र में एक गांव ककराखेड़ा है जहां पर एक सालों पुराना तालाब है इस तालाब में 5 हजार से भी अधिक कछुए रहते हैं कई बीघे में फैले इस तालाब को तत्कालीन जिलाधिकारी पुलकित खरे के द्वारा इसका सौंदर्यीकरण कराया गया था जिसके बाद यहां पर लोगों की आवाजाही बढ़ती चली गई और यह तालाब लोगों के लिए एक पर्यटन का केंद्र बन गया था लोग दूर-दूर से यहां आकर कछुओं को देखते थे

खतरे में तालाब का अस्तित्व

हरदोई के इस कछुआ तालाब को तत्कालीन जिलाधिकारी पुलकित खरे के द्वारा इसका सौंदर्यीकरण करा कर पर्यटन स्थल तो बनाया गया था मगर जैसे ही यहां से जिलाधिकारी का स्थानांतरण हुआ उसके बाद से इस तालाब अस्तित्व खतरे में आ गया है यहां पर लोगों के बैठने के लिए बेंच लाइट सीढियां और अन्य कई चीजें बनवाई गईं थी मगर आज के समय मे हरदोई के प्रशासन की उदासीनता के चलते इसका अस्तित्व खतरे में आ चुका है इस तालाब में रहने वाले कछुए भी अपनी किस्मत को कोस रहे होंगे

 

5000 कछुओं का तालाब

हरदोई में कछुआ तालाब के नाम से मशहूर इस तालाब में अलग अलग प्रकार के कछुए लगभग 5000 हजार की संख्या में हैं अब इतनी संख्या में ये कछुए कहां से इस तालाब में आए क्या किसी ने छोड़े या फिर अपने आप ही बढ़ते गए यह कोई नहीं जानता इस तालाब में काफी बड़े बड़े कछुए रहते हैं

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

इस कछुआ तालाब की दयनीय स्थिति के सम्बंध में हरदोई की अपर जिलाधिकारी प्रियंका सिंह से बात करने की प्रयास की तो वह इस संबंध में कुछ भी बोलने से इंकार करती रहीं और यह कहती रहीं कि बिलग्राम तहसील के ऑफिसरों से बात करेंगे वहीं क्षेत्रीय निवासी राजकमल बताते हैं कि जब इसका सौंदर्यीकरण कराया गया था तो यहां लोगों की भीड़ लगी रहती थी मगर जिम्मेदारों की ढिलाई के चलते इसका अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है यहां कोई व्यवस्थाएं नहीं रहीं गांव का गंदा पानी इसी तालाब में छोड़ा जाता है गोबर तालाब में डाला जाता है लोग भैंस तक इसी में नहलाते हैं और यह सब कोई देखने वाला नहीं है शायद यहीं वजह है कि अब कोई यहां आना तक पसंद नहीं करता

 

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