उत्तर प्रदेश

जीवन में कभी नहीं किया तंबाकू का सेवन, इस शख्स को ऐसा कैंसर हुआ कि पूरा मुंह हुआ लॉक

एक शख्स को ऐसा कैंसर हुआ कि पूरा मुंह एक तरह से लॉक हो गया. डॉक्टरों ने सर्जरी की और रेडियोथेरेपी के ज़रिए कैंसर को हराया गया. 52 वर्षीय शख्स ने जब अपनी कहानी बयां की तो चिकित्सक भी हैरत में पड़ गए. इस शख्स ने जीवन में कभी तम्बाकू का सेवन नहीं किया. लेकिन कैंसर ऐसा हुआ कि चम्मच से पानी पीना भी दूभर हो रहा था. डॉक्टरों ने कहा कि मुंह का कैंसर सबसे आम कैंसर हो गया है, लेकिन ये मुकदमा एक रेयर मुकदमा था, क्योंकि मरीज़ ने जीवन में कभी तम्बाकू को छुआ तक नहीं था.

मेरठ पहुंचे मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटपड़गंज के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (सिर और गर्दन) के वरिष्ठ निदेशक डाक्टर सौरभ अरोड़ा ने कहा कि 42 साल के संजीव त्यागी के एक शख्स को बाएं बक्कल म्यूकोसा (भीतरी गाल) में स्टेज 3 कैंसर का पता चला था. जिससे इनका मुंह एक तरह से लॉक हो गया था. केवल चम्मच के सहारे ही कुछ खा-पी पा रहे थे. असहनीय दर्द भी था. उन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और पोस्ट-ऑपरेटिव रेडियोथेरेपी की गई. उन्होंने मैक्सिल्लेक्टोमी, बायीं गर्दन के विच्छेदन और पुनर्निर्माण के साथ बाएं मौखिक समग्र उच्छेदन का सफलतापूर्वक संचालन किया. एक निःशुल्क एएलटी फ्लैप का इस्तेमाल करके आंशिक मैक्सिल्लेक्टोमी गुनाह के पुनर्निर्माण के लिए प्लास्टिक सर्जरी का सहारा लिया गया था. सर्जरी के बाद रोगी को निगलने और स्पीच थेरेपी से आराम मिलता है जो इलाज का एक जरूरी हिस्सा है.

डॉक्टर सौरभ ने कहा कि अब मरीज़ कैंसर मुक्त जीवन जी रहे हैं. चिकित्सक सौरभ बताते हैं कि आमतौर पर मुंह का कैंसर तम्बाकू के सेवन की वजह से अधिक देखने में आता है. लेकिन इस मुकदमा में शख्स ने जीवन में कभी तम्बाकू का सेवन नहीं किया था.उन्होंने बोला कि बीस प्रतिशत ऐसे केसेज़ आते हैं जो रेयर कहलाते हैं. वहीं कैंसर को मात दे चुके शख्स का बोलना है कि उन्हें दोबारा ज़िन्दगी मिली है. वो उस दौर को याद कर सिहर उठते हैं.

कैंसर के उपचार और जीवनशैली में थोड़े से परिवर्तन और समय पर निदान के साथ इसे रोकने के उपायों के बारे में समझना और जागरूकता फैलाना जरूरी है. शीघ्र पता लगाने का संदेश फैलाना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और देर से निदान किया जाता है. कैंसर के उपचार में रोबोटिक सर्जरी जैसी उन्नत तकनीक के साथ, पोस्ट-ऑपरेटिव कोर्स काफी सरल हो गया है.

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