उत्तर प्रदेश

लेमन ग्रास की खेती से कैसे कमाएं बंपर मुनाफा…

बागपत बागपत के दर्जनों किसान इस समय लेमनग्रास की खेती कर तरक्की की इबारत लिखने में लगे हैं किसान उत्पादक संगठन से जुड़े बासोली गांव के 10 किसानों ने लेमनग्रास की खेती को प्रारम्भ कर अच्छी आमद लेना प्रारम्भ कर दिया है और कम खर्चे में अधिक फायदा कमा रहे हैं लेमनग्रास का इस्तेमाल ऑयल बनाने और ग्रीन-टी बनाने में किया जाता है लेमन टी की डिमांड राष्ट्र के प्रत्येक कोने में है और ऑयल की बिक्री भी राष्ट्र के प्रत्येक कोने में की जा रही है इन सभी किसानों को ग्रीन टी के बड़े-बड़े ऑर्डर आ रहे हैं

बासोली गांव निवासी धर्मेंद्र तोमर ने  बोला कि अन्य फसलों से इस फसल से अधिक फायदा मिल जाता है पहले वह गन्ना, धान और अन्य खेती करते थे, जिसमें हानि की आसार अधिक रहती थी लेबर का ना मिलाना, कीट अधिक लगा और गन्ने का पेमेंट समय पर न मिलने और आवारा पशुओं द्वारा खेती में होने वाले हानि से वह काफी परेशान थे, जिसके बाद उन्होंने लेमनग्रास की खेती को प्रारम्भ किया आज के समय में वह काफी अच्छी आमदनी ले रहे हैं

लेमनग्रास को कैसे किया जाता है तैयार
लेमनग्रास एक तरह की मेडिसिन है, जो कई प्रकार से उगाई आती है लेमनग्रास की खेती करने का सोचने के बाद किसानों ने लखनऊ से जाकर इसकी जड़ खरीदी और अपने खेतों को तैयार कर जड़ को लाकर उसमें बुआई प्रारम्भ कर दी यह फसल एक बार बुवाई के बाद 8 से 10 साल तक चलती है वर्ष में 4 से 50 बार इस खेती को ऑयल निकालने और लेमन टी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है

कमाएं बंपर मुनाफा
इस फसल से एक एकड़ में वर्ष में दो से ढाई लाख रुपये सरलता से फायदा मिल जाता है और इसमें कोई कीट नहीं लगता और आवारा पशु भी इसको कोई हानि नहीं पहुंच पाते है कटाई के बाद इसको 40% ग्रीन टी और 60% ऑयल निकालने में इस्तेमाल किया जाता है लेमनग्रास के ऑयल की मूल्य बाजार में 8 हज़ार रूपए किलो होती है

कम पानी से की जाती है लेमनग्रास की खेती
लेमनग्रास की खेती को करने के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती इस खेती को करने लिए के लिए वर्ष में केवल 10 से 12 बार ही फसल की सिंचाई की जाती है बागपत में हो रही इस खेती को देखने के लिए किसान दूर-दूर से आते हैं और इसके बारे में जानकारी लेते हैं लेमनग्रास की खेती की आरंभ में एक एकड़ जमीन पर 25 हजार का खर्च आता है और वर्ष में इस पर 2 से 2.50 लाख की आमदनी होती है एक बार बुवाई के बाद यह फसल 10 से 12 वर्ष तक आमद देती है कटाई के बाद फिर से इसका पौधा कुछ ही दिन में दोबारा तैयार हो जाता है

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