उत्तर प्रदेश

श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए बम धमाके की कहानी सुने प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी

श्रमजीवी एक्सप्रेस में जब बम धमाका हुआ था, तब आसपास के ग्रामीण मददगार बनकर सामने आए थे. राहत-बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. अब दो आतंकवादियों को मृत्यु की सजा मिली है. लिहाजा, तत्कालीन प्रत्यक्षदर्शियों ने खुशी जताई. उनका बोलना था कि वह मंजर याद आता है तो रूह कांप जाती है. हर तरफ मृत-शरीर पड़ी थी. घायल कराह रहे थे. घटना के कई दिन बाद तक यात्रियों के परिजन आते रहे और अपनों के बारे में जानकारी लेने का कोशिश करते थे.

हादसा इतना भयावह था कि ट्रेन की बोगियों ने गोल आकार ले लिया था. हर तरफ बस चीख- पुकार मची हुई थी. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो गया.जगत कुमार, बछुआर.

दाढ़ी की दुकान है. एक आदमी की सेविंग कर रहे थे, तभी धमाका हुआ था. हाथ से छुरा गिर पड़ा था. फिर पता चला कि विस्फोट हुआ है. मौके पर पहुंचा तो वहां पर घायलों की सहायता में जुट गया. घटना देखकर कलेजा फट गया था. तत्कालीन डीएम अनुराग यादव भी राहत-बचाव कार्य में जुटे थे. – राधेश्याम शर्मा, तुरकौली.

.घर के बाहर बैठा था. घर रेलवे लाइन के नजदीक ही है. चाय पीते समय एकाएक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई पड़ी. हाथ से कप गिर पड़ा. मौके पर गया तो कुछ लोग बाहर गिरकर तड़प रहे थे. बहुतों के हाथ-पैर टूट गए थे.शेषनाथ मिश्र, बछुआर.

धमाके की सूचना पर मौके पर पहुंचकर लोगों की हर संभव सहायता कर रहे थे. घायलों को पिकअप पर लादकर सीएचसी सिंगरामऊ पहुंचाया गया था. चाय-पानी की प्रबंध की गई थी. उस दिन अंधेरा था . मौसम खराब था.– संजय यादव, बछुआर.

साइकिल सीख रहा था. तभी विस्फोट हुआ और गिर पड़ा. घरवाले मौके पर जाने से इंकार कर रहे थे परंतु लोगों की पहुंचकर सहायता किया. महेंद्र प्रजापति, बछुआर.

उस दिन की घटना रूह कंपा देती है. दो दिनों तक शवों की पहचान और घायलों की पहचान की जाती रही. ट्रेन हरिहरपुर रेलवे क्राॅसिंग के बीचोबीच खड़ी थी, जिससे एनएच 56 पर वाहनों की लंबी कतार लग गई थी. -रमेश चंद्र मिश्र, बछुआर.

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