उत्तर प्रदेश

गेहूं की बुवाई के समय किसान कुछ बातों का रखें खास ध्यान, बंपर होगी पैदावार

गेहूं रबी सीजन की सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है यही कारण है कि इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी प्रारम्भ कर देते हैं गेहूं की उन्नत किस्मों और वैज्ञानिक विधि से बुवाई कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है इसलिए यह जरूरी है कि प्रत्येक किसान को गेहूं की खेती की नयी जानकारी मिलनी चाहिए जिससे वह गेहूं की अधिक से अधिक उपज कर सकें किसान कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए गेहूं की फसल को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं

अपर जिला कृषि अधिकारी विकास मिश्रा बताते हैं कि किसान भाई को कुछ बातों को ध्यान में रखकर गेहूं की बुवाई करनी चाहिए जैसेखेत की जुताई करते समय पहले कल्टीवेटर का प्रयोग करना चाहिए उसके बाद ही रोटावेटर या हैरो का प्रयोग करना चाहिए इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी वह मिक्स हो जाती है खाद के रूप में अधिकांश कोशिश रहे कि जीवाश्म खादों का प्रयोग हो इसके अतिरिक्त डीएपी पोटाश और यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं किस प्रजाति के गेहूं की बुवाई करनी है यह अपने क्षेत्र के मिट्टी के गुणवत्ता के आधार पर तय करना चाहिए

क्या होगा सिंचाई का समय

गेहूं के अच्छी पैदावार के लिए इसके फसल की सिंचाई समय मुताबिक ही होनी चाहिए जैसा की पहली सिंचाई 21 दिन बाद जब गेहूं ताजा मूल हालत में होती है इसके बाद थोड़ी मात्रा में यूरिया का छिड़काव करना चाहिए गेहूं के खेत में लगने वाले गेहुंसा( फ्लैरिस माइनर) और अन्य खरपतवार नासी का मुनासिब व्यवस्था करना चाहिए जिससे यहगेहूं के विकास में बाधा न बने इस प्रकार के खरपतवारनाशी का प्रयोग पहली सिंचाई के बाद ही होनी चाहिए

बुवाई का ठीक समय

गेहूं की बुवाई का ठीक समय अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे हफ्ते तक होता है इस समय तक बोई गई गेहूं की फसल अगड़ी खेती में आती है और इसकी पैदावार अच्छी होती है फिर भी आप नवंबर के आखिरी हफ्ते में और दिसंबर के प्रथम हफ्ते में गेहूं की बुवाई कर रहे हैं तो अपने क्षेत्र की मिट्टी के मुताबिक उच्च क्वालिटी का ही गेहूं की प्रजाति चुने हो सके तो अपनी मिट्टी का जांच निकट ब्लॉक में करवा सकते हैं

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