उत्तर प्रदेश

यहां आने के बाद हुई संतान प्राप्ति,माता को खून चढ़ाकर प्रसन्न करते हैं भक्त

 देश भर में मां दुर्गा के बहुत सारे मंदिर हैं जिनमें से कुछ मंदिर बहुत प्रसिद्ध, प्राचीन और खास हैं हर मंदिर के संबंध में कोई न कोई कथा और करिश्मा जुड़ा हुआ है जिले के दुबहर में स्थित मां दुर्गा का अति प्राचीन मंदिर स्थापित हैइस मंदिर का इतिहास इसी गांव की रहने वाली एक कुंवारी कन्या से जुड़ा है जो अंग्रेजो के प्रताड़ना के कारण धरती के अंदर समा गई यह कुंवारी कन्या दोनवार वंश की थी आज भी इस वंश के लोग माता के दरबार में अपना रक्त चढ़ाते हैं

मंदिर के पुजारी प्रभुनाथ दुबे बताते हैं कि यह आदि शक्ति दुर्गा है इसी गांव की रहने वाली एक कुंवारी कन्या से इस मंदिर का इतिहास जुड़ा है यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी होती है कई लोगों को यहां आने के बाद संतान प्राप्ति हुई तो वहीं कई लोग अधिकारी पद को प्राप्त हुए हैं जहां मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके चरणों में भक्तों का खून चढ़ाया जाता है श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से सिर झुकाने वाले हर आदमी की मन्नत पूरी होती है

 

ऐसे हुआ इस मंदिर का निर्माण

इस दुबहर गांव की रहने वाली दोनवार वंश की एक कुंवारी कन्या थी जिसको अंग्रेजों ने प्रताड़ित करने का कोशिश किया तो इस कुंवारी कन्या ने अपना इज्जत बचाने के लिए धरती माता से अनुरोध किया की हे मां मेरी इज्जत को बचाओ और अपने अंदर जगह दो इस कुंवारी कन्या के इस सच्ची कथन के बाद धरती फटी और उसमें यह कुंवारी कन्या समा गई लगभग एक महीना के बाद अपने वंशजों के सपने में आकर इस कुंवारी कन्या ने बोला कि इस स्थान पर मैं हूं यहां मां दुर्गा का स्थापना कर पूजा याचना कीजिए मैं हर किसी का कल्याण करूंगी इसके बाद एक छोटे से मंदिर बनाकर इनका पूजा होने लगा मनोकामनाएं पूरी होने के दौरान लोगों की आस्था इतनी बढ़ती चली गई कि आज यह धार्मिक स्थल अन्य जनपदों में भी विख्यात हो गया है

माता को खून चढ़ाकर प्रसन्न करते हैं भक्त

दोनवार वंश की कुंवारी कन्या के नाम पर स्थापित यह मां दुर्गा का मंदिर लाखों लोगों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है डब्लू सिंह और नीतीश सिंह ने कहा कि आज माता के सपने के मुताबिक स्थापित इस मंदिर में दोनवार समाज के पुरुष लोग यहां पर बलि के रूप में अपने बाजू का रक्त चढ़ाते हैं मान्यता है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं की मुरादे पूरी होती है आज तक इस सच्चे दरबार से कोई खाली नहीं गया माता ने हर किसी का झोली भर दिया

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