उत्तर प्रदेश

घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिया यह बड़ा फैसला

Allahabad High Court on unmarried daughter: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में साफ किया है कि घर की अविवाहित बेटियां भी माता-पिता से गुजारा भत्ता की हकदार हैं न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी बोला है कि, चाहे यह लड़कियां किसी भी धर्म या उम्र की हों राष्ट्र के घरेलू अत्याचार अधिनियम (Domestic Violence Act) के अनुसार परिजनों को उन्हें गुजरा भत्ता देना ही होगा

पिता और सौतेली मां करते थे तीन बहनों से घरेलू अत्याचार

दरअसल, यह मुद्दा तीन बहनों का है उनका इल्जाम था कि उनके पिता और उनकी सौतेली मां उनके याथ घरेलू अत्याचार करती हैं उच्च न्यायालय से पहले यह मुद्दा निचली न्यायालय में पहुंचा था जहां निचली अदालत ने माता-पिता को तीनों लड़कियों को गुजारा भत्ता देने का अंतरिम आदेश जारी किया था निचलीअदालत के इसी आदेश को लड़कियों के पिता Naimullah Sheikh ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने अब खारिज कर दिया है उच्च न्यायालय के इस आदेश से अब इस तरह के अन्य मामलों की सुनवाई और फैसलों में तेजी आएगी

पिता का तर्क लड़कियां बालिग और जॉब करती हैं

सुनवाई के दौरान लड़कियों के वकील ने हाई कोर्ट को कहा कि उसके पिता और सौतेली मां उनके के साथ घरेलू अत्याचार करती हैं वह उनके साथ अभ्रद भाषा का प्रयोग करते हैं और हाथापाई पर उतारो हो जाते हैं इस सब से  वह तीनों बहनें परेशान हैं ऐसे में उनके पिता को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उन्हें Domestic Violence Act के अनुसार गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए वहीं,लड़कियों के पिता की तरफ से न्यायालय में पेश हुए वकील ने तर्क दिया था कि तीनों लड़कियां बालिग हैं इतना ही नहीं वह जॉब करती हैं और अपना खर्च स्वयं उठा सकती हैं ऐसे में निचली न्यायालय का यह निर्देश कि माता-पिता उन्हें किसी प्रकार का गुजरा भत्ता दें मान्य नहीं है और उसे खारिज किया जाए

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