बेहद खतरनाक है जापानी इंसेफेलाइटिस का नया वेरिएंट,ये हैं लक्षण

बेहद खतरनाक है जापानी इंसेफेलाइटिस का नया वेरिएंट,ये हैं लक्षण

गोरखपुर में जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) पर रोक तो लगा लेकिन, अब इसका स्वरूप बदल गया है. अब यह रोग चोर हो गई है. जोकि रोगियों के लिए बहुत घातक है. JE के रोगियों में ऐसे लक्षण नहीं मिल रहे हैं, जिससे यह पता चल सके कि रोगी को इंसेफेलाइटिस हुआ है.

डॉक्टरों के मुताबिक, बीते 6 महीने में गोरखपुर में ऐसे 9 रोगी मिले हैं, जिनमें JE के लक्षण नहीं थे. जबकि, डॉक्टरों ने संभावना पर जांच कराई तो इसकी पुष्टि हुई. ऐसे में जानकारों का बोलना है कि यह चिंता का विषय है. यदि लोगों में लक्षण नहीं पता चलेंगे तो उपचार में देरी होगी, जो रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है.

जांच में हो रही पुष्टि
वेक्टर बोर्न डिजीज के प्रभारी ACMO डाक्टर एके चौधरी ने बताया, ऐसे रोगियों के मिलने और JE के नए लक्षणों ने कठिनाई बढ़ा दी है. इस बार जो भी JE के रोगी मिले हैं, उन्हें झटका आने की कम्पलेन हुई है. वह भी खेलने के दौरान.

ऐसी स्थिति में परिजन उपचार के लिए जिला हॉस्पिटल और बीआरडी लेकर पहुंचे हैं, जहां पर क्षेत्र की स्थिति को देखते JE की जांच की गई, तो रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है. राहत की बात यह है कि 8 रोगी स्वस्थ हो गए हैं. जबकि, एक का उपचार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है.

बच्चों को आ रहे झटके, जांच में मिले पॉजिटिव
मझघाट के रहने वाला 5 वर्ष के बच्चे को अचानक झटका आना प्रारम्भ हुआ. परिजन बीआरडी लेकर गए, जहां पर जांच की गई तो उसे बुखार नहीं आ रहे थे. न ही JE का लक्षण था. लेकिन, जेई पीड़ित क्षेत्र की वजह से डॉक्टरों ने जांच कराई तो जेई की पुष्टि हुई.

वहीं, कुसम्ही के 10 वर्ष के बच्चे और फुलवरिया की एक वर्ष की मासूम में भी JE के कोई भी लक्षण नहीं थे. परिजन झटका आने पर बीआरडी में भर्ती कराएं, जांच में दोनों बच्चे जेई पॉजिटिव निकले. खोराबार के जंगल चौरी का रहने वाला 12 वर्ष का बच्चा सीढ़ी से गिरा गया. इस बीच उसे झटके आने लगे. परिजन उपचार के लिए CHC ले गए, जहां से डॉक्टरों ने बीआरडी रेफर कर दिया. एहतियात के तौर पर जांच कराई गई तो JE की पुष्टि हुई है.

संचारी रोग अभियान में ढूंढे जाएंगे हाईग्रेड फीवर के मरीज
CMO डाक्टर आशुतोष कुमार दूबे ने बताया, JE और AES के रोगियों की जांच के लिए संचारी रोग अभियान में हाईग्रेड फीवर के रोगी ढूंढे जाएंगे. इसके लिए एक अप्रैल से अभियान की आरंभ की जाएगी. हाईग्रेड फीवर के रोगियों की इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ETC) पर जांच कराई जाएगी.

कुत्ते, बिल्ली से पनपने वाले बैक्टीरिया से हो रही बीमारी
JE और AES के जो भी रोगी पूर्वांचल में मिल रहे हैं, उनमें 60 प्रतिशत कारण स्क्रबटाइफस हैं, जिसके वाहक चूहा छछूंदर है. इसके अतिरिक्त 15 प्रतिशत कारण लेप्टोस्पायरोसिस के हैं, जिनके कारण कुत्ते, बिल्ली से पनपने वाले बैक्टीरिया है.

बुखार के साथ आए झटका तो हो जाएं सावधान!
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डाक्टर अमरेश सिंह ने बताया, JE और AES के रोगियों में सबसे सामान्य लक्षण तेज बुखार है. यदि यह लक्षण नहीं मिल रहे हैं, तो अधिक घातक है. बताया कि बुखार के साथ यदि बच्चों को झटका आ रहा है तो जेई जांच जरूर कराएं.

ये हैं JE के लक्षण
तेज बुखार आना (हाइग्रेड फीवर), गर्दन में अकड़न, सिर में दर्द, ठंड के साथ कंपकपी, कभी-कभी रोगी कोमा में चला जाना.