बिहार

150 एनकाउंटर वाले आनंद मिश्रा बोले : मोदी ही लाएंगे रामराज

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और असम के सिंघम के नाम से प्रसिद्ध आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने सरकारी जॉब से त्याग-पत्र देकर बक्सर लोकसभा सीट ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है.

मूल रूप से बिहार के आरा जिले के रहने वाले आनंद मिश्रा 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने महज 22 वर्ष की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली थी. 13 वर्ष के करियर में आनंद मिश्रा ने करीब 150 मुठभेड़ किए हैं.

असम-मेघालय कैडर के अधिकारी आनंद मिश्रा का नाम तेज-तर्रार ऑफिसरों में शुमार होता है, जिनसे क्रिमिनल थर-थर कांपते थे. आनंद मिश्रा की सोशल मीडिया पर भी अच्छी-खासी फॉलोइंग है.

इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोवर्स होने के साथ ही आनंद मिश्रा यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं. आनंद मिश्रा संघ के बाल स्वयंसेवक हैं और आज भी बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हुए हैं.

उन्हें आशा थी कि उन्हें बक्सर लोकसभा सीट से टिकट मिलेगा, लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल तक नहीं किया.

सवाल- चुनाव लड़ने के लिए आपने आईपीएस से त्याग-पत्र दिया, टिकट नहीं मिला, क्यों?
जवाब- ऐसा नहीं है, चुनाव लड़ने के लिए त्याग-पत्र नहीं दिया था. मैं सोशल सर्विस ओरिएंडेट हूं, समय के साथ मैंने एहसास किया कि मेरा झुकाव सोशल सर्विस की तरफ है. जिसका विस्तार कहीं न कहीं सिविल सर्विसेज के कंडक्ट रूल्स और दायरे के बाहर तक जाता है.

उसकी मर्यादा का उल्लंघन न हो, इसलिए मैंने इससे निकलकर फुल टाइम सोशल सर्विस में आने का सोचा. समाज के लिए काम करने के लिए पॉलिटिक्स मेरे लिए मात्र एक प्लेटफार्म है.

सवाल- लेकिन उसके लिए तो एनजीओ जैसे कई सारे रास्ते हैं, तो चुनाव लड़ने का ही निर्णय क्यों?
जवाब- चुनाव एक माध्यम है पॉलिटकली सक्रिय होने का. चुनाव माध्यम है संसद पहुंचने का जहां से मैं अपनी बात तटस्थता से रख सकता हूं. इससे मेरा असर क्षेत्र बड़ा हो सकता है. पॉलिटिक्स एक ऐसा माध्यम है जो आज की तारीख में हमारे जैसे लोगों को जीवंत लोकतंत्र में सबसे बड़ा स्कोप देती है.

सवाल- आप आखिर तक इस आशा में थे कि भाजपा आपको टिकट देगी. आपको ऐसा क्यों लगा कि भाजपा अभी भी परिवर्तन कर सकती है?
जवाब- आप जिस ढंग से देखना चाहेंगे चीजों को, वैसा ही दिखेगा. आपने सोचा कि शायद मैं टिकट के लिए ऐसी बात कर रहा हूं. मैं आज भी उस विचारधारा का हूं. मैं एक सनातनी हूं. मेरी अंतरात्मा में, मैं जानता हूं कि मैं तटस्थ सनातनी हूं. इससे मेरी विचारधारा नहीं बदलेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र को लेकर व्यापक विजन है, जो अनुकरणीय है. कहीं न कहीं मैं उससे भी प्रेरित होकर कि ऐसे में जब राष्ट्र बन रहा है तो मैं कैसे पीछे बैठकर जॉब करता रहूं. मुझे आगे बढ़ना है.

मैं यही समझ कर आया हूं कि इतने बड़े विजन को जमीन पर उतारने के लिए एक मजबूत हाथ, प्रतिबद्ध दिमाग और एक न्योछावर मन चाहिए. मैं जो भी कहता हूं वो टिकट के लिए नहीं कहता हूं. यह मेरी विचारधारा है, जो जीवन भर रहेगी. ये बदलने वाली नहीं है. विचारधारा और देश सेवा दो अलग चीजें हैं जिसे मैं आपस में भ्रमित नहीं करना चाहता.

मेरी विचारधारा ही सिखाती है कि देश सर्वोपरि है. पुलिस में भी कभी-कभी कुछ लोग कहते थे कि ये आपकी विचारधारा है तो आप इसके विरुद्ध क्यों लड़ रहे हैं? मैं इसके विरुद्ध नहीं लड़ रहा, मैं बक्सर की तरफ से लड़ रहा हूं.

मैं अपने क्षेत्र के सम्मान और अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ रहा हूं. इसके लिए मुझे मेरी उपस्थिति दर्ज करानी बहुत महत्वपूर्ण है. विचारधारा व्यापक अवधारणा है, लेकिन यदि इसे 2–4 लोग मिलकर हाइजैक कर लेते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं अपने जीवन को किसी और के निर्णयों पर चलने के लिए छोड़ दूं.

सवाल- आप बाल स्वयंसेवर रहे हैं, संघ और भाजपा की विचारधारा से जुड़े हैं. आपने इस विचारधारा के साथ 13 वर्ष जॉब की है जिसमें आपको बिना किसी भेदभाव के सेवा देनी थी. हम आपके कार्यकाल को कैसे देखें?
जवाब- जैसे आप एक धर्म को मानते हैं, लेकिन आपके और भी दोस्त होते हैं. विचारधारा एक पर्सनल चीज है. ये आपकी सोच और अप्रोच को डिसाइड करता है कि मेरा निजी जीवन कैसा होता है. मेरे काम में विचारधारा कभी नहीं आएगी. मेरे अपने स्ट्रिक्ट प्रिंसिपल्स, कंडक्ट रूल्स, संविधान, आईपीसी हैं. सब कुछ कानूनबद्ध है. जब आप खाकी पहनते हैं तो आप किसी जाति, धर्म, समुदाय से ऊपर उठ कर काम करते हैं.

मैंने अपना पूरा टाइम उसी हिसाब से काम किया. जहां मुझे दिखा कि जो कमजोर पड़ रहा है, जो मेरी संविधान और कानून की जानकारी है, उस हिसाब से जहां लगा कि जिसके लिए मुझे खड़ा होना चाहिए, जिसके लिए मुझे तटस्थ स्टैंड लेना चाहिए, मैंने जाति, धर्म, सम्प्रदाय, समुदाय, विचारधारा को साइड रखकर हमेशा स्टैंड लिया. जहां भी मुझे लगा कि ये देश हित, जन हित, समाज भलाई में है, उस पॉइंट को लेकर मैं हमेशा खड़ा रहा.

सवाल- बीजेपी ने आपसे किनारा क्यों कर लिया?
जवाब- मैं नहीं मानता कि किसी ने किसी से किनारा किया. मेरा अस्तित्व भाजपा से नहीं है, मेरा अपना अस्तित्व है. मेरी एक विचारधारा होने से मैं उस विचारधारा का गुलाम नहीं बन गया हूं.

सवाल- बिहार भाजपा नेताओं से मिलने की आपने प्रयास की थी, टिकट का आश्वासन दिया गया था?
जवाब- मैं उनसे मिला. मैं टिकट की बात पर नहीं जाऊंगा, मैं किसी पर कोई दोषारोपण नहीं करना चाहता हूं. लेकिन मैंने जॉइन करने को बोला था, ये मैं आपको ऑन रिकॉर्ड बताता हूं. मैंने प्रारम्भ से ही कितना बोला कि मुझे संगठन के ही काम में लगाइए. मुझे काम दीजिए, मैं देश, बिहार और संगठन के लिए काम करना चाहता हूं. मुझे सुनकर हंसी आती थी कि ऐसे लोग नेतृत्व की बात करते हैं. तब मुझे लगा कि नहीं अब आपको अपने आत्मसम्मान के लिए खड़ा होने की आवश्यकता है.

सवाल- क्या आपको लगता है किसी षड्यंत्र के अनुसार ऐसा किया गया?
जवाब- मैं बहुत छोटा आदमी हूं, मेरे लिए कौन षड्यंत्र करेगा. मैं कहीं किसी के लिए खतरा भी नहीं हूं. यह हो सकता है कि किसी को मेरा पार्टी में आना पसंद नहीं हो कि बेवजह क्यों एक और रोड़ा खड़ा करना या जिसके दिमाग में जो भी आया होगा. आप मुझे मेरी मातृभूमि की सेवा करने से तो नहीं रोक सकते. इसके लिए मैं न तो किसी विचारधार का गुलाम हूं ना ही किसी पार्टी का गुलाम हूं.

सवाल- क्या आपको किसी की तरफ से लड़ने के लिए टिकट का आश्वासन मिला था?
जवाब- मैं किसी को दोषारोपण नहीं करूंगा. जब यह बात उठी थी तो मैंने भी अपनी मंशा जताई थी कि मुझे फुल टाइमर होकर पॉलिटिकल प्लेटफार्म से सोशल वर्क करना है. तो मुझे निश्चित तौर पर कहीं से आश्वासन और ग्रीन सिग्नल मिला था. इसीलिए मैं उस ढंग से आगे बढ़कर अपना काम करने आया. आप, मैं या जानवर भी पहले सेल्फ प्रोटेक्शन मोड में जाते हैं, पहले अपना भलाई देखते हैं.

पॉलिटिक्स बड़ी डायनमिक चीज है. इसीलिए यदि पार्टी को लगता है कि मेरा भलाई उसके भलाई को कॉम्प्रोमाइज करता है, या कहीं भी मेरा भलाई उसके भलाई में बाधा बनता है तो आप अपना भलाई छोड़ कर मेरे भलाई के लिए काम करिए. बड़े लोग हैं, उनकी समझदारी हमसे बेहतर है. उन्हें लगा होगा कि शायद मैं अभी उनके लिए परिपक्व नहीं हूं.

सवाल- आपकी असम के माजुली में मोहन भागवत से आपकी मुलाकात हुई थी, क्या उन्होंने ही ग्रीन सिग्नल दिया था?
जवाब- मैं किसी का नाम नहीं लूंगा. मेरी मुलाकात बहुत लोगों से हुई है. बहुत बड़े लोग हैं, इसलिए मैं किसी पर कुछ नहीं कहूंगा. सौहार्द्रपूर्ण मुलाकात रही, सबका आशीर्वाद रहा. मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि मुझे किसी ने कोई आश्वासन दिया. मैंने अपनी आत्मा और मन की बात मान कर आया.

मैं अपनी स्वयं की क्षमता के बल पर आया हूं क्योंकि यदि किसी को नेता बनना है, नेतृत्व करना है तो आप दूसरे के कंधे पर चढ़ कर नेता बनने की तो ख्वाहिश पर भी सवालिया निशान लग जाएंगे कि आपमें नेतृत्व क्षमता है भी कि नहीं. इसीलिए मैं किसी के दम पर नहीं आया, मैं अपनी ख़्वाहिश से आया हूं. मैं अपने ही आत्म बल और दिल की पुकार सुनकर आया हूं.

सवाल- क्या इस आत्म बल, इस इक्षा शक्ति के साथ भाजपा ने विश्वासघात किया?
जवाब- कोई किसी को विश्वासघात नहीं देता. यदि किसी ने विश्वासघात दिया है, तो मैंने स्वयं को विश्वासघात दिया है. मेरी जो जीवन में मेरे स्वयं के डिसीजन हैं, तो रिस्पांसबिलिटी भी मेरी ही है. मैंने डिसाइड किया था न कि मैं आऊंगा, मुझे कोई जबरदस्ती कॉलर पकड़ कर तो लाया नहीं है. आईपीएस में भी अपने मन से गया था, अपने मन से छोड़ा.

सवाल- बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से आपके कैसे संबंध हैं, उनसे कोई वार्ता हुई क्या?
जवाब- वो बहुत बड़े हैं और मेरे जैसे हजारों-लाखों लोग हैं तो उनमें मेरे बारे में सोचने के लिए भी कितने सेकेंड्स ही मिलेंगे. इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरी किसी से बात हुई या किसी ने मुझे पर्सनली कुछ बोला तो मैं इन सब चीजों पर नहीं जाना चाहूंगा. लेकिन मैंने अपने लेवल से जितना हो सका, सब लोगों से भी मिला और अपनी बात भी रखी.

सवाल- पीएम मोदी या अमित शाह से मुलाकात हुई?
जवाब- नहीं हुई.

सवाल- टिकट न मिलने के बाद भी आप लगातार क्षेत्र में घूम रहे हैं, चुनाव प्रचार कर रहे हैं. क्या आपको निर्दलीय जीत मिलने की कोई आसार नजर आ रही है?

जवाब- बिल्कुल, जो भी लड़ाई में उतरता है तो वह जीतने के लिए लड़ता है. अभी के जो हालात हैं, मैं जो ग्राउंड पर जा रहा हूं, मैं घरों तक पहुंचता हूं, गलियों में घूमता हूं, गांव में जाता हूं. तो वहां जाकर मुझे मोटिवेशन मिलता है.

मेरा जो संकल्प है, मेरी अपने लोगों में जो आस्था है, वो कहीं न कहीं बढ़ती है. मुझे वहां से भरोसा मिलता है. इसलिए मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि मैं क्यों न लड़ूं, मैं क्यों अपने लोगों को विश्वासघात दूं जिन्होंने इतना भरोसा किया.

सवाल- इस्तीफा देने के कुछ महीने पहले से आप अपने क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय नजर आए, क्या राजनीति में आने का मन पहले से बना लिया था आपने?
जवाब- मैं कुछ महीनों से नहीं, कुछ वर्षों से अपने क्षेत्र में सक्रिय था, मैं दिखता नहीं था. मैं इन सब चीजों को बाहर दिखाता भी नहीं था. यहां लगभग हर गांव में मेरे सम्बन्धी हैं.

सवाल- आपको जो समर्थन मिल रहा है वो तो ऑलमोस्ट एनडीए का वोट बैंक होगा, इससे तो एनडीए प्रत्याशी को हानि होगा और महागठबंधन प्रत्याशी को लाभ पहुंचेगा?
जवाब- यह एक नरेटिव है. आप जमीन पर उतरिए. ये जिनके भी इंटेलीजेंस नेटवर्क है, उनसे निवेदन है कि वह जमीन पर आकर इंटेलिजेंस नेटवर्क लगाएं और देखें कि वो कौन हैं. मेरे साथ लोग जाति, धर्म, सम्प्रदाय, समुदाय सबसे उठकर मिल रहे हैं.

खासतौर पर युवा वर्ग जो मुझसे जुड़ रहा है, उनको मुझ में भरोसा दिखता है. मुझमें एक आशा दिखती है, एक विकासशील मानसिकता दिखती है, इसीलिए वह मुझसे जुड़ते हैं. विकास की कोई जाति, धर्म, पार्टी नहीं होती, इसलिए लोग मुझसे जुड़ रहे हैं. अभी कंपटीशन में हम ही हैं, तो कोई क्षति हमें ही पहुंचा रहा है, हम किसी को कोई क्षति नहीं पहुंचा रहे.

सवाल- यानी आपका बोलना है कि एनडीए प्रत्याशी से अधिक चांसेज आपके चुनाव जीतने के हैं?
जवाब: ग्राउंड पर तो यही सच्चाई है. हम किसी के साथ कंपटीशन में नहीं हैं, हम अपने लेन में दौड़ रहे हैं. मेरा कंपटीशन मेरी अपनी मेरिट पर होगा, दूसरे के डिमेरिट से मेरा मेरिट थोड़े ही डिसाइड होगा. मेरा मेरिट मेरी मेहनत से डिसाइड होगा, मेरी मानसिकता से डिसाइड होगा. मैं अपनी मेरिट पर काम कर रहा हूं.

सवाल- पीएम मोदी को आप कप्तान कहते हैं, वो तीसरे टर्म की तैयारी कर रहे हैं. आप उनके 10 वर्ष के कार्यकाल को कैसे देखते हैं?
जवाब- मैं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कार्यकाल को बहुत ही सफल कार्यकाल मानता हूं क्योंकि इस कार्यकाल में राष्ट्र को एक विजन मिला, एक दिशा मिली है, राष्ट्र को आत्म सम्मान मिला है. इस राष्ट्र को भविष्य के लिए मेहनत करने के लिए ऊर्जा मिली है.

पीएम मोदी ने जो विजन और महत्वाकांक्षा राष्ट्र के लिए खड़ा करके दिया है, इसके लिए बहुत मेहनत करने की आवश्यकता है. ठीक अर्थ में हम जिस रामराज की कल्पना करते हैं, हम जिस विकसित हिंदुस्तान की बात करते हैं उसके लिए आपको डेडीकेटेड फोर्स चाहिए.

सवाल- फिर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मणिपुर क्यों नहीं संभल रहा?
जवाब- ऐसा नहीं है कि नहीं संभल रहा. हर चीजों का एक टाइम लाइन होता है. जैसे कि आपको 20 स्टेप पर फर्स्ट फ्लोर मिलना है तो आप 5 स्टेप पर बोलें कि ये तो फ्लोर पहुंचा ही नहीं रहा हमें. तो सबका एक समय होता है. कुछ चीजें होती है जिसके सारे डॉट्स को कनेक्ट करना पड़ता है.

सवाल- मणिपुर जलते हुए एक वर्ष हो गया. मणिपुर मुद्दे के लिए गठित एसआईटी टीम में आप भी शामिल थे. आपकी जांच में क्या आया, किसका गुनाह था?
जवाब- जांच चल रही है, इसलिए उस पर कोई कमेंट नहीं करते हैं. यह एक प्रक्रिया है जिसमें सारे डॉट्स को कनेक्ट करेंगे, तभी चीजें निकल कर सामने आएंगी. अब इन डॉट्स को कितनी गति से कनेक्ट करना चाहिए या गति क्यों नहीं हो रहा है, इसके ऊपर किसी भी तरह का वक्तव्य देने के लिए मैं ठीक आदमी नहीं हूं. मैं अब एसआईटी का हिस्सा नहीं हूं. परिणाम आना अभी बाकी है.

सवाल- मणिपुर अत्याचार मुद्दे में आपको प्राथमिक तौर पर किसकी गलती नजर आई?
जवाब- कोई भी चीज अचानक नहीं होती, उसके पीछे ऐतिहासिक वजहें होती हैं. हम उसको अचानक से नहीं बदल सकते. बाहर से दिखता है कि ये महज कानून प्रबंध की परेशानी है, लेकिन इसके पीछे जो हिस्टॉरिकल बैकग्राउंड है, उसका जो सोशल एनवॉयरमेंट है उन सब चीजों को भी साथ लेकर चलना होता है.

इसके लिए ऑन ग्राउंड एक स्ट्रांग लीडरशिप की आवश्यकता पड़ेगी इस तरह के सिचुएशन को हैंडल करने के लिए, जो कि इतिहास भी समझता हो, प्रजेंट सोशल सेटअप भी समझता हो और उसका फ्यूचर आउटकम भी समझता हो.

सवाल- बाल स्वयंसेवक से आईपीएस बनने तक का आपका यात्रा कैसा रहा?
जवाब- मेरा हमेशा से संयमित जीवन रहा है. बचपन में मैंने शाखा में चरित्र निर्माण की बात सीखी, उसको बड़ा मान कर चला हूं. मेरे आचरण, व्यवहार, कर्म और मेरे किसी भी अप्रोच में संघ का एक बहुत बड़ा इनफ्लुएंस मेरे ऊपर काम करता है.

सवाल- सिविल सर्विस में आना और फिर एक झटके में चले जाना, क्या आपको नहीं लगता कि ये गवर्नमेंट के पैसे, समय और एनर्जी की बर्बादी है? या उस समय सिलेक्ट न हो पाए किसी एक उम्मीदवार के साथ नाइंसाफी है?
जवाब- हर प्रोफेशन में ऐसा है. कितने लोग आईएएस-आईपीएस छोड़ रहे हैं? 0.001 परसेंट. इससे अधिक अट्रीशन दर हर प्रोफेशन में है. जब कोई प्रोफेशन बनाया जाता है तो इसको देख कर चला जाता है. मेरे 13 वर्ष की सर्विस चेक कर लीजिए.

सवाल- आपके कार्यकाल की उपलब्धियां क्या रहीं?
जवाब- पुलिसिंग में बहुत कुछ होता है. मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि मिलिटेंसी के विरुद्ध फाइट, खासतौर पर मेघालय के गारो हिल्स एरिया में, जिसमें अल्फा और जीएनएलए कम्बाइंड था, उसमें मैं ऑपरेशन हिल स्टॉर्म 1 और 2 का कमांडर होने के नाते फ्रंटलाइन पर बहुत सारी बंदूक की लड़ाई झेलीं, प्रत्येक दिन जीवन और मृत्यु देखी. और उससे मैं जिंदा निकल कर आया हूं, ये अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमारे समय में वहां से मिलिटेंसी समाप्त हुई, सारे ग्रुप्स समाप्त करके जब मेघालय शांत हो गया, तो उसे मैं मेरी टीम की बड़ी उपलब्धि मानता हूं.

इसके बाद मैं असम में विजिलेंस और एंटी भ्रष्टाचार में एसपी था, वो एसीबी असम का सबसे सक्रिय टाइम था. चराईदेव जिले में अल्फा का थोड़ा सा प्रकोप था, उन लोगों ने डेमो ब्लास्ट भी किया था, मैंने एसपी रहने के दौरान उनके लोगों को अरैस्ट किया था, वो क्षेत्र भी शांत किया गया. धुबरी जिला पशु तस्करी, अनेक सिडिकेट्स और अपराधी नेटवर्क्स का गढ़ था, मैंने सबकी टांगे टोड़ दी थीं.

नगांव में एसपी रहते हुए हमने एंटी नारकोटिक्स में बहुत सॉलिड काम किया. हमने एंटी नारकोटिक्स स्क्वॉड बनाया था, जिसने एक नया मापदंड स्थापित किया कि किस तरह से एक दिन में 36 रेड तक हो सकती हैं, किस तरह से असम से लेकर दूसरे राज्यों से पूरा सिंडिकेट पकड़ कर लाया जा सकता है.

हमने नारकोटिक्स के विरुद्ध जो अभियान प्रारम्भ किया, वो अभी भी असम में चल रहा है. आपने सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की भी फोटोज़ देखी होंगी जिसमें ड्रग्स के ढोर को आग लगाया जा रहा, बुलडोजर चलाया जा रहा.

सवाल- 22 जनवरी, 2022 को नगांव में कथित ड्रग पेडलर्स पर रेड के दौरान एक पूर्व विद्यार्थी नेता को गोली लगी, जिसके विरुद्ध पूरे असम में विरोध हुआ, आपके स्क्वॉड को डिसबैंड किया गया, क्या कहेंगे?
जवाब- उस समय मैं कोविड पॉजिटिव था, बहुत सारे लोग इस घटना को मुझपर डाल देते हैं लेकिन मैं सक्रिय नहीं था. हमारी एंटी नारकोटिक्स स्क्वॉड बेहतरीन टीम थी, उसे डिसक्रेडिट करने के लिए ड्रग्स माफिया, जिनका बहुत बड़ा नेटवर्क है, जो मुझे बाद में पता भी चला, लेकिन आप इस बारे में अधिक कुछ नहीं कर सकते कि इस घटना को हाईलाईट करने के लिए उन लोगों ने किस तरह से इन्फ्लुएंस किया था.

किस तरह से स्पॉंसर करके छोटे-छोटे प्रोटेस्ट कराए थे, आपको भी पता है कि ये चीजें कैसे काम करती हैं, कैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. उनका मकसद ही था मुझे हटाने का, पूरी इन्क्वायरी में मेरे विरुद्ध क्या मिला, मैं उसका हिस्सा ही नहीं था. हां, टीम को डिसबैंड कर दिया गया, क्योंकि उसे डिसबैंड होना ही था. किसी का इंट्रेस्ट था उसमें, आपको कई सारी चीजें समझनी पड़ेंगी.

सवाल- आपको लगता है कि मुख्यमंत्री हिमंता किसी के इंट्रेस्ट में आए?
जवाब- मुख्यमंत्री का इसमें कोई रोल नहीं है, सीएम को इसमें न खींचा जाए.

सवाल- लेकिन वो राज्य के मुखिया हैं?
जवाब- ये प्रेशर टैक्टिक्स थी. आपके सामने जैसी सिनैरियो बनता है, आप उसी पर इमीडिएट रिएक्ट करते हैं. वो विद्यार्थी नेता थे, नहीं थे, मुझे उस पर कोई टीका टिप्पणी नहीं करनी है. जिसको भी लगा कि ये अधिक हो गया, वहां कुछ इमोशन भी प्ले करते हैं. जो भी डिपार्टमेंटल ऐक्शन होने थे, वो सब कुछ हुए.

सवाल- आपके ऊपर भी ऐक्शन हुआ था, आपको वहां से हटाया गया था?
जवाब- मेरे ऊपर कुछ नहीं हुआ था. मेरा ट्रांसफर हुआ था. ब्यूरोक्रेट्स का ट्रांसफर होना एक सामान्य चीज है.

सवाल- लेकिन ऐसी एक्सट्रीम सिचुएशन में ट्रांसफर होना कार्रवाई के तौर पर ही देखा जाता है?
जवाब- ये एक्सट्रीम इसलिए हुआ क्योंकि मैंने इस घटना पर स्टैंड लिया था. मीडिया आई तो मैंने अपनी टीम के लिए स्टैंड लिया. वो कह रहे थे कि ये गुनेहगार है, मैं बार-बार कह रहा था कि जब तक निर्णय नहीं आ जाता, आप उसको गुनेहगार करार मत करिए. मेरे इस स्टैंड को काट-छांट कर मीडिया में चलाया गया.

सुबह में रिकॉर्डिंग करके रात में चलाया, जैसे कि लाइव चल रहा है. ये चीजें करके एक नैरेटिव बनाया गया. कई बार आपको सिस्टम में कुछ लोग नहीं चाहिए होते हैं, वो सिस्टम को गड़बड़ कर रहे होते हैं, इसलिए उन्हें हटाना होता है. सीएम को बहुत काम है, वो इन चीजों में नहीं जा सकते, उनको दिख रहा है कि प्रॉब्लम है, तो हटा दो.

सवाल- उन्होंने मीडिया में पूछा भी था कि आनंद मिश्रा कौन है?
जवाब- वास्तव में आनंद मिश्रा कौन है. बहुत लोग पूछते चलते हैं कि आनंद मिश्रा कौन है. आनंद मिश्रा कोई नहीं है. लेकिन आनंद मिश्रा का काम…

सवाल- आपके स्टैंड से सीएम काफी नाराज थे, उन्होंने आपके बयान को गैरजरूरी कहा था, हिमंता बिस्वा सरमा ने बोला था कि पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई करे, लेकिन आम जनता को परेशान न करे, क्या बोलेंगे?
जवाब- मैं अपनी इन्फॉरमेशन के आधार पर कहता रहा, मैं अपनी टीम पर कैसे अविश्वास करूं. जिसने नगांव को ड्रग मुक्त करा दिया, अचानक से आप कहते हैं कि वो विलेन है और मैं मान लूं कि वो विलेन है, केवल इसलिए कि एक आदमी घायल हो गया. अननेसेसरी चीजों को बड़ा किया गया कि आपने मुठभेड़ कर दिया, मुझ पर ही डाल दिया जबकि मेरा दूर-दूर तक उससे कोई लेना-देना नहीं.

सवाल- हिमंता बिस्वा सरमा के साथ आपके कैसे संबंध हैं?
जवाब- मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं. सर का हमेशा आशीर्वाद और मार्गदर्शन रहता है. वो वहां के बड़े नेता हैं. एक बड़े भाई की तरह हमेशा पॉजिटिव गाइडेंस दी, कभी भी हतोत्साहित नहीं किया.

सवाल- लेकिन बीते महीनों में आप दोनों के बीच एक कोल्ड वॉर दिखी.
जवाब- एक एसपी और मुख्यमंत्री में क्या कोल्ड वॉर हो सकती है. ये क्या हाईप क्रिएट किया जा रहा है. सभी डिपार्टमेंट्स में 50 एसपी हैं वहां पर.

सवाल- लेकिन चर्चा तो आनंद मिश्रा की ही रहती है न, क्या ये मुख्यमंत्री की नाराजगी की वजह थी?
जवाब- कौन कहता है कि मुख्यमंत्री नाराज थे. 1-2 चीजों को लेकर आप इसे नाराजगी में कन्वर्ट नहीं कर सकते, सार्वजनिक जीवन में बहुत सारी चीजें होती हैं. उन्होंने विधानसभा में तो ये भी बयान दिया था कि ये हमारे सबसे अच्छे ऑफिसरों में से एक है, अच्छा काम कर रहा है, जहां पर भी प्रॉब्लम होगी इसे भेजेंगे. फिर इस तरह के बयानों को क्यों डिसकाउंट किया जा रहा?

सवाल- लेकिन सिस्टम तो हिमंता बिस्वा सरमा का ही है?
जवाब- अगर आप इसको घुमाकर बार-बार मुख्यमंत्री के साथ जोड़ेंगे तो आपकी जो ब्रीफींग है, आप तो वही करेंगे न. उनको पूरा राज्य चलाना है, अब वो स्टेट लीडर नहीं, नेशनल लीडर हैं. एक नेशनल लीडर के तौर पर एक जिले में एक एसपी का क्या चल रहा है, इसी में फंसे रहेंगे तो बाकी बड़े काम कैसे करेंगे वो.

सवाल- क्या बतौर आईपीएस अधिकारी एक नेता के साथ आत्मसम्मान की लड़ाई में ठेस पहुंची और आपने राजनीति में आने का निर्णय लिया?
जवाब- ऐसा नहीं है. मैं 2017 से राजनीति में आने की सोच रहा हूं, तब तक मैं मेघालय के जंगलों में था, जहां मैं मिलिटेंसी से लड़ रहा था. वहां मैं रोज जीवन और मृत्यु से गुजर रहा था. उस बीच मेरी मां की मृत्यु हो गई. तब मुझे जीवन के तुच्छ महत्व के बारे में एहसास हुआ कि जीवन में कुछ रखा नहीं है. किस दिन कौन सी गोली थोड़ी सी इधर-उधर हुई और आपका जीवन खत्म. और ये सब करने में आपके लोग यहां कुर्बान हुए जा रहे हैं.

मुझे समझ आया कि आप इतनी मेहनत कर रहे हैं और आपके करीब के लोग, जिन्होंने आपको बनाने के लिए अपना कितना कुछ कुर्बान किया है, आप उनको क्या वापस दे रहे हैं? जब मैं गांव आता था तो सारे लड़के एक फोटो खींचकर खुश हो जाते थे कि भईया हमारे आईपीएस हैं, मैंने क्या किया उनके लिए? मुझे लगा कि प्लैटफॉर्म बदलना ही पड़ेगा, जो बड़ा हो. मैं ऐसी लिमिटेड जीवन नहीं जी सकता हूं. मुझे जीवन में ऐसा कुछ करना है ताकि मुझसे आशा करने वाले लोगों की आशाएं पूरी कर सकूं.

मेरे अपने बैचमेट्स, सीनियर्स और जूनियर्स का जो नेटवर्क है, आपको नहीं लगता कि वो मुझे अच्छी पब्लिक सर्विस देने में सहायता करेंगे. ये वेस्टेज नहीं है, मैं तो उस ट्रेनिंग को गुणा कर रहा हूं. जो मेरा 13 वर्ष का एक्सपीरिएंस है, जनता को उससे सीधा फायदा मिलेगा, खासतौर पर बिहार जैसे राज्य में. आप कोई भी मैप उठाइए तो हम लाल रंग में नजर आते हैं, किसी सर्वे को उठाइए तो लास्ट में नजर आते हैं. सच पूछिए तो अभी ठीक समय है गवर्नमेंट के मुझपर खर्च और ट्रेनिंग के बेहतर इस्तेमाल का.

जवाब- बिहार को लेकर आपका पॉलिटिकल विजन क्या है, बतौर सांसद कौन से 5 काम करना चाहेंगे?
जवाब- मैं सबसे पहले कानून प्रबंध ठीक करना चाहूंगा क्योंकि उसके आधार पर ही आप आगे बढ़ते हैं. मेरी दूसरी प्रथमिकता स्वास्थ्य प्रबंध होगी. बक्सर के सदर हॉस्पिटल में केवल रेफरल होता है. एजुकेशन, आप 10 के बाद अच्छी पढ़ाई करना चाहते हैं तो आपके पास कोई ऑप्शन नहीं है. बक्सर में ईश्वर राम पढ़ाई करके गए और यहां हमारे बच्चे नहीं पढ़ पा रहे. इम्लॉयमेंट का इशू, हम लेबर प्रोड्यूसिंग फैक्टरी बन गए हैं.

15 हजार की जॉब के लिए कर्नाटक, गुजरात या महाराष्ट्र जाना पड़ता है, वो चीज हम यहां क्यों नहीं जनरेट कर सकते? इसके बाद स्पोर्ट्स फैसिलिटी, शाहाबाद के क्षेत्र में बहुत टैलेंट है, लेकिन वो खो जाता है. इस स्थान पर आपको काफी आर्टिस्ट मिलेंगे, लेकिन गाइडेंस न होने की वजह से दुर्भाग्यवश फूहड़ गाने बन रहे हैं.

यहां बहुत सारे पुराने आर्ट, आर्किटेक्चर, स्कल्पचर, हैंडीक्राफ्ट्स हैं, लेकिन वो कहीं छिप गए हैं. बक्सर में बहुत सारे मंदिर हैं जो पौराणिक काल से अस्तित्व में है, लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं है, इनका उद्धार करके ले आना है. यहां गंगा का पानी नहाने लायक तक नहीं है. जब तक खेती पर काम नहीं करेंगे तब तक बाकी चीजें भी किसी काम की नहीं होंगी.

सवाल- इसके लिए लालू-नीतीश में से किसे उत्तरदायी मानते हैं आप?
जवाब- समस्या पर बात नहीं करते, परेशानी को पहचान कर उसके निवारण पर काम करते हैं. किसने किया, नहीं किया, मुझे नहीं पता, लेकिन परेशानी है. मैं किसी को उत्तरदायी नहीं मानता. हम अपनी किस्मत को उत्तरदायी मानते हैं कि ऐसी सिचुएशन में पड़े हुए हैं. हम अपने को उत्तरदायी मानते हैं कि इसको ठीक करने के लिए हम कुछ नहीं कर रहे?

सवाल- तेजस्वी यादव आपके हमउम्र हैं, कैसा नेता मानते हैं उन्हें?
जवाब- पब्लिक सर्विस के लिए आगे बढ़े हर आदमी में कुछ तो अच्छाई होगी. किसी भी आदमी का आंकलन उसके काम से होना चाहिए, उसका काम ही उसकी पहचान होनी चाहिए. जब उनको मौका मिलेगा तो देखा जाएगा कि कैसा काम करते हैं, तब बात की जाएगी.

सवाल- आपको असम का सिंघम और मुठभेड़ स्पेशलिस्ट बोला जाता है, आपने कितने मुठभेड़ किए?
जवाब- इसके बारे में बात नहीं करते क्योंकि अभी मैं पुलिस में नहीं हूं. मुठभेड़ कोई अचीवमेंट नहीं है. फिल्मी दुनिया है हमारी, सोसाइटी हर चीज को ग्लैमराइज कर देती है. मुठभेड़ को ग्लैमराइज नहीं करना चाहिए, ये अच्छी चीज नहीं होती.

सवाल- लेकिन उसके वीडियो तो आप स्वयं ही सोशल मीडिया पर डालते हैं, जब आप फील्ड पर ऑपरेशन में रहते हैं?
जवाब- कभी नहीं, आप ऐसा एक भी वीडियो नहीं देखेंगे, जो शॉट्स दिखेंगे, वो यहां-वहां के रैंडम शॉट्स हैं. जो लोग उसकी एडिटिंग करते हैं ये उनकी अच्छाई है कि ऐसा दिखता है. लेकिन मेरे काम का एक भी वीडियो आपको नहीं दिखेगा. मैं कभी नहीं कहता कि मैंने ये काम किया, वो काम किया.

कुछ वीडियो जरूर हैं, जो बच्चों को इंस्पायर करने के लिए है. ताकि वो इंसपायर हों कि ऐसी भी साहसिक जीवन हो सकती है. पुलिस का काम इतना अधिक है कि यदि आप सब डालने लगें तो कंट्रोवर्सी हो जाएगी.

सवाल- बक्सर आईपीएस ऑफिसरों के लिए बदकिस्मत रहा है, गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में वीआरएस लिया, टिकट नहीं मिला तो सर्विस रिजॉइन की. 2020 में डीजीपी रहते फिर से वीआरएस लिया, लेकिन तब भी टिकट नहीं मिला, तो साधु बन गए. क्या आप वीआरएस वापस करके सर्विस रिजॉइन करेंगे या फुल टाइम पॉलिटिशियन रहेंगे?
जवाब- लोग एक ही उदाहरण को उठाकर जेनरलाइज कर देते हैं और बोलते हैं कि यहां पर ऐसा होता है. सेव और संतरा दो अलद-अलग फल हैं, दोनों की तुलना क्यों कर रहे हैं. दोनों फल हैं, लेकिन सेव संतरा नहीं हो सकता. सर्विस में भी सब लोग एक जैसे नहीं होते, सबकी भिन्न-भिन्न विशेषताएं और प्राथमिकताएं होती हैं.

मुझसे जब बोला जाता है कि आप वापस जाएंगे, तो मैं यही कहता हूं कि आप अपनी चारित्रिक कमजोरी मुझपर क्यों थोपते हैं? आप मेरी स्थान होते तो जरूर वापस जाने का सोचते. मेरे तो दिमाग में भी ये बात नहीं है, मैं सोच ही नहीं सकता. जब आप समाज के काम में आगे बढ़ जाते हैं और जब आप इस तरह का सोचते हैं तो मुझे स्वयं पर संदेह होगा कि मैं समाज के लिए आया था या स्वयं के लिए आया था!

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