उत्तर प्रदेश

रामभक्तों ने रामलला की चरणों में डेढ़ कुंतल वजनी स्वर्ण अक्षरों से अंकित इस रामचरित मानस के किए दर्शन

चैत्र रामनवमी के यजमान की कई महीनों की प्रतीक्षा मंगलवार को पूरी हो गई. राम मंदिर में यजमान की किरदार में कोई और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी रहे. इसके बाद बुधवार की सुबह से रामभक्तों ने रामलला के चरणों में स्थापित इस डेढ़ कुंतल वजनी स्वर्ण अक्षरों से अंकित इस रामचरित मानस के दर्शन किए. इस दौरान सुबह से ही रामलला का दरबार जय श्रीराम के उदघोष से गूंजता रहा.

स्वर्णाक्षरों से लिखने की बात सिर्फ़ मुहावरा नहीं रही, इसे असलियत बनाकर दिखाया है पूर्व आईएएस अधिकारी और उनकी धर्मपत्नी ने. इनके कोशिश से ताम्रपत्र पर उकेरे सोने के अक्षरों वाली रामायण को श्रीरामलला के साथ गर्भ गृह में रखा गया है. इस तरह जन्मदिन पर रामलला को मिलने वाले उपहारों में एक और अनुपम नगीना जुड़ गया है.

मध्यप्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्नी सरस्वती काफी दिनों से स्वर्णाक्षरों वाली रामायण की तैयारी और उसको रामलला के पास नवमी से पहले पहुंचाने के कोशिश में लगे थे. इस संबंध में कई बार श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय और अन्य संबंधित लोगों से मुलाकात कर चुके थे. उनका आग्रह था कि नवरात्र के प्रथम दिन रामचरित मानस गर्भगृह में पहुंच जाय. आखिरकार उनका अनुरोध स्वीकार हुआ.

लगभग चार किलो लगा है सोना  
नवरात्र के प्रथम दिन 25-25 पन्नों की भिन्न-भिन्न पैकिंग में भारी भरकम ताम्रपत्र पर सोने से लिखा यह डेढ़ कुंटल वजनी धातु ग्रंथ राम मंदिर पहुंचाया गया. वहीं नवरात्र की पूर्व रात्रि में इसकी बाइंडिग की गई. पूर्व निर्धारित समय पर इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया. पहले दिन की इस पूजा के यजमान पूर्व आईएएस अधिकारी ही रहे. पहले रामलला से पंद्रह फिट दूर एक पत्थर के आसन में सोने के इस रामायण को रखा गया.

10902 छंदों वाले रामायण के हर पृष्ठ पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी हुई है. इसका कुल वजन 151 किलोग्राम है. इसमें मुख्य रूप से तांबा और लगभग चार किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ कहा जाता है. हर पृष्ठ पर तीन किलोग्राम तांबे का इस्तेमाल है. बुधवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं को सोने की इस अद्वितीय रामायण का भी दर्शन प्राप्त हो रहा है.

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