उत्तर प्रदेश

Amitabh Bachchan Birthday:अमिताभ बच्चन का इलाहाबाद से रहा है गहरा नाता

Amitabh Bachchan Birthday: दुनिया जानती है कि सदी के महानायक अमिताभ बच्‍चन का उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) से गहरा नाता है छोरा गंगा किनारे वाला मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री का शहंशाह बनने से पहले इन गलियों में खेला, घूमा और यहीं से बढ़कर तरक्‍की के आसमान को छू लिया 11 अक्‍टूबर 1942 को अमिताभ का जन्‍म यहीं हुआ था उन्‍होंने और उनके भाई अजिताभ बच्‍चन ने यहां के मशहूर ब्‍वायज हाईस्‍कूल से शुरुआती पढ़ाई की बताते हैं कि ब्‍वायज हाईस्‍कूल में सपा के वरिष्‍ठ नेता रेवती रमण सिंह उनके सीनियर थे अमिताभ पढ़ाई में अच्‍छे होने के साथ-साथ सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़चढ़कर हिस्‍सा लेते थे

अमिताभ को प्रयागराज कभी नहीं भूलता साक्षात्‍कारों में, समारोहों में जब कभी इस शहर का जिक्र आता है वे यहां की यादों को संजोते और साझा करते नज़र आते हैं उनके पिता हरिवंश राय बच्‍चन राष्ट्र के जाने-माने कवि और लेखक थे मां तेजी बच्‍चन सामाजिक कार्यकत्री थीं हरिवंश राय बच्‍चन इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्‍ता भी थे

 

वह हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे अमिताभ की जादुई आवाज में उनके पिता की मशहूर कृति मधुशाला को सुनना एक अलग ही अनुभव देता है कहा जाता है कि हरिवंश राय बच्‍चन के पूर्वज प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज तहसील के बाबूपट्टी गांव से प्रयागराज आए थे जबकि तेजी बच्‍चन पंजाबी खत्री परिवार से थीं

बताते हैं कि प्रयागराज में हरिवंश राय बच्‍चन मुट्ठीगंज कटक की एक गली में रहा करते थे बिग बी का बचपन इन्हीं गलियों में खेलते हुए बीता है अभी की बात करें तो अमिताभ के घर के कुछ हिस्से में उनके दूर के सम्बन्धी रहते हैं  बाकी का कुछ भाग जर्जर स्थिति में है प्रयागराज की वह गली अभी भी अमिताभ बच्चन और उनके पिता हरिवंश राय बच्‍चन के नाते प्रसिद्ध है पुराने लोग बताते हैं कि ब्‍वायज हाईस्‍कूल में पढ़ाई के दौरान अमिताभ कभी-कभार पेन और कापी-किताब खरीदने सिविल लाइंस क्षेत्र की दुकानों पर जाते थे

हर उम्र के दर्शकों के दिलों करते हैं राज
अमिताभ बच्‍चन ने कई पीढ़ियों का मनोरंजन किया है वे आज भी बच्‍चों से लेकर युवा और बुजुर्गों तक के पसंदीदा अदाकार हैं कभी न थकने वाला उनका जज्‍बा, उनकी ऊर्जा हर किसी को प्रेरित करती है  उनका फिल्मी कॅ‍रियर 1969 में मृणाल सेन की फिल्म भुवन शोम में वॉयस नैरेटर के तौर पर प्रारम्भ हुआ 70 के दशक में वह आनंद, जंजीर, रोटी कपड़ा और मकान, दीवार और शोले जैसी फिल्‍मों से एक्टिंग की दुनिया में बुलंदियों पर पहुंचे और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

अपने लंबे फिल्‍मी कॅरियर में अमिताभ ने अमर अकबर एंथोनी, डॉन, त्रिशूल, मुकद्दर का सिकंदर, सुहाग, दोस्ताना, कालिया, लावारिस, नसीब, नमक हलाल, कुली, शराबी, मर्द, नमक हराम, अभिमान, मजबूर, मिली, चुपके चुपके, कभी कभी, काला पत्थर, शान, सिलसिला, शक्ति, शहंशाह, अग्निपथ, कभी खुशी कभी गम, बागबान, ब्लैक, बंटी और बबली, सरकार, चीनी कम, पा और पीकू जैसी एक से बढ़कर एक फिल्‍में कीं

उन्‍होंने हर दौर के दर्शकों को प्रभावित किया और उनके दिलों में अपनी खास स्थान बनाई इस खास स्थान के साथ अमिताभ आज भी बेहतरीन अदाकारी का अपना सिलसिला कायम रखे हुए हैं और दुनिया उनकी दीवानी बनी हुई है बड़ी बात ये कि बड़े पर्दे पर ही नहीं केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) के जरिए अमिताभ ने राष्ट्र के हर घर में अपनी स्थान सुनिश्चित की और करोड़ों दर्शकों के दिलों पर राज कायम किए हुए हैं

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