उत्तर प्रदेश

माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, इन जगहों पर 144 लागू

कई दिनों से बांदा कारावास में बंद चल रहे माफिया मुख्तार अंसारी को गुरुवार की शाम हार्ट अटैक पड़ने के बाद मृत्यु हो गई. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. उपचार के दौरान मुख्तार अंसारी ने दम तोड़ दिया. हालांकि अभी प्रशासन की ओर से मृत्यु की पुष्टि नहीं हुई है. मुख्तार अंसारी की इस हफ्ते दूसरी बार तबीयत बिगड़ी थी. इससे पहले भी उनकी तबीयत खराब हो चुकी है. इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया था. चेकअप के बाद वापस कारावास भेजा गया था, जहां गुरुवार को एक बार फिर उनकी तबीयत खराब हो गई. डॉक्टरों ने चेकअप के दौरान हार्ट अटैक की बात कही. इसके बाद एंबुलेंस के जरिए उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था. मुख्तार की मृत्यु से कारावास प्रशासन में हड़कंप मच गया. मुख्तार की मृत्यु के बाद मेडिकल कॉलेज को पूरी छावनी में परिवर्तित कर दिया गया है. पुलिस और प्रशासन के भी कई अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं.

बतादें कि इससे पहले मुख्तार की सोमवार रात हालत बिगड़ी थी, जिस पर जिला हॉस्पिटल से तीन चिकित्सक बुलाए गए थे. पेट दर्द और फूलने की कम्पलेन के साथ मोशन नहीं हो रहा था. रात पौने चार बजे उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. यहां 14 घंटे आईसीयू में रखने के बाद मंगलवार शाम सवा छह बजे डिस्चार्ज कर दिया गया था. इसके बाद उसे फिर से कारावास में शिफ्ट कर दिया गया था. बुधवार दोपहर मुख्तार की फिर हालत बिगड़ी तो जिला हॉस्पिटल से चिकित्सक बुलाए गए. एनिमा आदि लगाने के बाद मुख्तार को राहत मिली. गुरुवार दोपहर को मुख्तार को अचानक पेट और सीने में दर्द की कम्पलेन हुई. इस पर जिला हॉस्पिटल से फिर चिकित्सक बुलाए गए. शाम करीब आठ बजे मुख्तार के सीने में तेज दर्द हुआ और उसकी हालत बिगड़ गई. कहा जा रहा है कि उसे हार्ट अटैक पड़ा है. मेडिकल कॉलेज में उसका उपचार किया जा रहा है.

मुख्तार के भाई अफजाल ने लगाया था षड्यंत्र का आरोप

बांदा कारावास में बंद मुख्तार की तबीयत खराब होने पर उनके भाई अफजाल अंसारी ने मारने का इल्जाम लगाया था. मीडिया से वार्ता के दौरान अफजाल ने बोला था कि मुख्तार को मारने की षड्यंत्र कई वर्षों से रची जा रही है. अफजाल ने बोला था कि एक बार गाजीपुर में ही बम बनाते समय विस्फोट हो गया, जिसमें एक मृत्यु भी हो गई थी. दिल्ली पुलिस ने एक क्रिमिनल को पकड़ा था जिसने कबूल किया था कि उसे पांच करोड़ रुपये मुख्तार को उड़ाने के लिए दिए गए थे. इसके अतिरिक्त भी कई घटनाएं हैं जिसमें मुख्तार को मारने की प्रयास की गई. सांसद ने बोला था कि यह सब बृजेश सिंह को बचाने के लिए किया जा रहा है. क्योंकि 2001 में उसरी चट्टीकांड में मुख्तार पर हुए हमले में बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के विरुद्ध न्यायालय में मुद्दा चल रहा है. इन लोगों को सजा न हो, इसके लिए घटना के 22 वर्ष बाद मुख्तार और उस मुकदमा में शामिल गवाहों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया. गवर्नमेंट जानती है कि उसरी चट्टीकांड के मुकदमा में यदि बृजेश को बचाना है तो मुख्तार को समाप्त करना होगा. मुकदमे में गवाही देने से पहले मुख्तार को मारने की षड्यंत्र है.

कोर्ट से अपनी जान की सुरक्षा की कई बार गुहार लगा चुका था मुख्तार

बांदा कारावास में बंद मुख्तार अंसारी पर गैंगेस्टर के कई मुकदमे चल रहे हैं. मुख्तार को हमेशा ही अपनी जान जाने का खतरा सताता रहता था. इसी के चलते वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी पर आता था. इस दौरान मुख्तार न्यायालय से जान का खतरा बताते हुए कई बार सुरक्षा की गुहार भी लगा चुका था. आठ दिन पहले बाराबंकी की एमपी एमएलए न्यायालय में माफिया मुख्तार अंसारी को पेश होना था, हालांकि वह पेश नहीं हुआ था. उसने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय में पत्र दाखिल किया. मुख्तार ने न्यायालय में दाखिल पत्र में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था. मुख्तार ने बोला था कि कारावास में उसे खाने में जहर देकर मारने का कोशिश किया गया है. जहर के कारण हालत काफी गंभीर है. पूरे शरीर के नसों में दर्द हो रहा है. बांदा कारावास में जान का खतरा बताते हुए उसने मेडिकल बोर्ड का गठन कर बेहतर उपचार का निवेदन किया था.

कोर्ट को दिए पत्र में लिखी थी जहर देने की बात

मुख्तार अंसारी ने अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन के माघ्यम से कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें मुख्तार ने बोला था कि बांदा कारावास में बीते 19 मार्च को जो उन्हें भोजन दिया गया था उसमें जहर मिला था. भोजन करने के बाद प्रार्थी की हालत बहुत ही खराब हो गई. हाथ पैर ही नहीं पूरे शरीर की नसों में दर्द है, ऐसा लगता है कि उसकी मौत हो जाएगी. उसने बोला कि इस घटना के 40 दिन पहले भी उसे खाने में विषाक्त पद्वार्थ मिला कर दिया गया था. उसे कारावास स्टाफ द्वारा खाना टेस्ट करके दिया जाता था. उक्त खाना खाने वाले कारावास कर्मचारी भी बीमार हुए थे. मुख्तार ने बांदा कारावास में जान का खतरा बताते हुए बोला कि उसके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है.

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