उत्तर प्रदेश

‘बड़ा मंगल’ उत्सव के लिए तैयार हुआ लखनऊ

लखनऊ . लखनऊ में 28 मई से ‘बड़ा मंगल’ उत्सव की आरंभ होगी, जो लगभग एक महीने तक चलेगा. यह उत्तर प्रदेश की राजधानी का एक खास उत्सव है.

यह त्योहार इसलिए अधिक जरूरी है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब आम चुनाव हो रहे हैं.

हिंदी महीना ज्येष्ठ में मंगलवार, हिंदू देवता, ईश्वर हनुमान को समर्पित है और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है.

शहर की पुलिस यातायात की परेशानी से निपटने के लिए योजना बना रही है, वहीं लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) ने उत्सव को जीरो-वेस्ट इवेंट बनाने का संकल्प लिया है.

लखनऊ नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा, “पिछले वर्ष की तरह, भंडारों (सामुदायिक भोज) के आयोजन से पहले उनका पंजीकरण जरूरी होगा.

‘बड़ा मंगल’ 28 मई से प्रारम्भ होकर 18 जून तक चलेगा.

सिंह ने कहा, “हम गैर सरकारी संगठनों के साथ योगदान कर रहे हैं और यह योजना बनाने के लिए एक बैठक आयोजित की जा रही है कि उत्सव के दौरान जीरो वेस्ट कैसे हो.

पिछले वर्ष भंडारा आयोजित करने वालों के लिए पहले से पंजीकरण कराना जरूरी कर दिया गया था. आयोजकों ने एलएमसी पोर्टल, लखनऊ वन ऐप पर या एलएमसी द्वारा संचालित नियंत्रण कक्ष – 1533 पर कॉल कर पंजीकरण कराया.

आयुक्त ने बल देकर कहा, “इस वर्ष भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी, लेकिन इस बार शून्य अपशिष्ट पर बल दिया जाएगा.

पंजीकरण एक अपेक्षाकृत आसान प्रक्रिया है जिसमें फॉर्म भरने के लिए पुलिस की वेबसाइट पर जाना है.

पंजीकरण के समय नाम, संख्या और खिलाए जाने वाले लोगों की अनुमानित संख्या जैसे विवरण सौंपने होंगे.

पंजीकरण जरूरी हो जाता है ताकि एलएमसी द्वारा कचरा संग्रहण पृथक्करण और निपटान के लिए गाड़ी और दूसरी सुविधाएं प्रदान की जा सके ताकि शहर को साफ सुथरा रखा जाय.

‘बड़ा मंगल’ के दौरान, खासकर हर मंगलवार (और अक्सर शनिवार को भी) लोगों को होने वाली ट्रैफिक परेशानी को देखते हुए, लखनऊ ट्रैफिक पुलिस एक योजना का मसौदा तैयार कर रही है.

पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय) रवीना त्यागी ने कहा, ”जनता की सुविधा के लिए ट्रैफिक प्लान बनाया जा रहा है. हम इस सप्ताह के अंत तक योजनाएं लागू कर देंगे.

‘बड़ा मंगल’ के त्योहार का एक दिलचस्प इतिहास है. यह त्योहार लखनऊ की गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रतीक है और बोला जाता है कि इसकी आरंभ लगभग 400 वर्ष पहले मुगल शासन के दौरान हुई थी.

इतिहासकारों के अनुसार, अलीगंज में हनुमान मंदिर का निर्माण 1798 में नवाब सआदत अली खान द्वारा किया गया था, जब कथित तौर पर उनकी मां आलिया बेगम ने मंदिर बनाने पर बल दिया और नवाब ने उनकी बात मानी.

अवध के आखिरी नवाब, नवाब वाजिद अली शाह ने हनुमान भक्तों के लिए सामुदायिक भोज आयोजित कर परंपरा को जारी रखा.

अलीगंज मंदिर के गुंबद पर एक सितारा और एक अर्धचंद्र है और ”बड़ा मंगल” त्योहार हिंदू-मुस्लिम एकता का एक आदर्श उदाहरण है.

लखनऊ में 9,000 से अधिक छोटे-बड़े हनुमान मंदिर हैं, और भक्त पूरे दिन पूजा-अर्चना करते हैं.

भक्तों ने सभी को निःशुल्क प्रसाद और पानी वितरित करने के लिए शहर भर में बड़े भंडारे लगाए. हलवा-पूरी, आलू-कचौड़ी, छोले-चावल, कढ़ी चावल से लेकर जूस, चाउमीन और कस्टर्ड तक हर किसी को प्रसाद प्रदान किया जाता है.

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