उत्तर प्रदेश

छोटी भाभी ऊषा वर्मा के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरीं

राजनीति में पद हासिल करने के लिए रिश्ताें को सहेजना बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन यह भी सच है कि पद के लिए अक्सर करीबी संबंध समाप्त हो जाते हैं. इसका जिक्र बुधवार को समाजवादी पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन के मौके पर समाजवादी पार्टी कार्यालय परिसर में हुई सभा में उपस्थित एक शख्सियत के चलते हो रहा है. लगभग 20 वर्ष के अंतराल के बाद जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सदस्य अनीता वर्मा अपनी भाभी समाजवादी पार्टी प्रत्याशी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा के मंच पर उपस्थित नजर आईं.

जनपद के कद्दावर नेता रहे परमाईलाल की बेटी अनीता वर्मा अपनी सगी भाभी साल 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं राजेश्वरी देवी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर चर्चा में आई थीं. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद अनीता वर्मा जिला पंचायत अध्यक्ष भी बनीं. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी छोटी भाभी ऊषा वर्मा के विरुद्ध बीजेपी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरीं. यह बात और है कि समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ीं ऊषा ननद को हराने में सफल रहीं.

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अनीता वर्मा तब चर्चा में आईं जब उन्होंने तत्कालीन बावन हरियावां से गोपामऊ में परिवर्तित हुई सीट से बीएसपी विधायक राजेश्वरी का टिकट कटवाकर स्वयं बीएसपी प्रत्याशी बन गईं. इसके बाद राजेश्वरी को न केवल बीएसपी छोड़नी पड़ी, बल्कि क्षेत्र भी बदलना पड़ गया. इस चुनाव में राजेश्वरी सांडी से विधायक बन गई, लेकिन अनीता वर्मा गोपामऊ से हार गईं. मौजूदा समय में अनीता वर्मा टड़ियावां द्वितीय से जिला पंचायत की सदस्य हैं. उनकी क्षेत्र के साथ ही अपने समाज में पकड़ मानी जाती है. बुधवार को समाजवादी पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में वह अपनी दोनों भाभियों राजेश्वरी और ऊषा वर्मा के बीच जनता का अभिवादन करतीं नजर आईं. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित भी किया.

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