नई फसल की आवक के साथ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि में तेजी से कमी की उम्मीद :गवर्नर शक्तिकांत
मुंबई: आरबीआई भी चिंतित हो गया है क्योंकि जुलाई-अगस्त की अवधि में सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण राष्ट्र में खुदरा मुद्रास्फीति-मूल्य सूचकांक फिर से बढ़ना प्रारम्भ हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के मिनट्स में अल-नीनो और मानसून अनिश्चितता के कारण बढ़ते जोखिम के कारण स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल की एमपीसी बैठक में बोला कि नयी फसल की आवक के साथ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि में तेजी से कमी आने की आशा है, लेकिन अल नीनो की स्थिति, अस्थिर अंतरराष्ट्रीय स्थिति के कारण खाद्य और हेडलाइन मुद्रास्फीति के जोखिम हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतें और फिर से मानसून की अनिश्चित प्रगति…
एमपीसी ने अपने दृष्टिकोण में बोला कि जुलाई में मानसून की प्रगति और खरीफ की बुआई में गौरतलब सुधार हुआ है, लेकिन बारिश के अनियमित प्रसार के असर पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है।
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गयी। खाद्य मुद्रास्फीति उपभोक्ता मूल्य टोकरी का आधा हिस्सा है।
एमपीसी समिति के एक बाहरी सदस्य, जयंत वर्मा ने जून में निराशा व्यक्त करते हुए दो महीने की मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आधार पर जीत की घोषणा करने के विरुद्ध चेतावनी दी थी। वर्मा ने कहा, “अब यह साफ है कि हमारे पास कई महीनों के मुद्रास्फीति के आंकड़े सहनशीलता बैंड से ऊपर होंगे।”
अपनी 8-10 अगस्त की बैठक में, आरबीआई ने खाद्य कीमतों के दबाव का हवाला देते हुए मार्च 2024 को खत्म होने वाले चालू वित्त साल के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान पहले के 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया। जुलाई-सितंबर तिमाही में मुद्रास्फीति 6.2 फीसदी देखी गई, जो पिछले पूर्वानुमान 5.2 फीसदी से काफी अधिक है।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रास्फीति की स्थिति और भूराजनीतिक घटनाओं में अस्थिरता का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बोला कि हिंदुस्तान को घरेलू आपूर्ति के झटके का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सीपीआई में मूल्य संवेदनशील खाद्य पदार्थों में वृद्धि हुई है और मुद्रास्फीति बढ़ रही है।