आज सातवे दिन उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे एक भी मजदूर नहीं निकल सके बाहर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 श्रमिकों की जान बचाने का ऑपरेशन चल रहा है, युद्ध स्तर पर कोशिशें की जा रही हैं और हर रोज ये आस लगाई जाती है कि आज अच्छी-खबर आएगी। आज 7वां दिन है लेकिन उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे एक भी मजदूर को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है।
मिल गया जान बचाने का रास्ता?
मलबे के बीच श्रमिकों की वापसी का रास्ता बनाया जा रहा है लेकिन ड्रिलिंग के काम में लगी अमेरिकन हैवी ऑगर्स मशीन के रास्ते में चट्टान लगातार मुसीबत बन रही है जिस वजह से रेस्क्यू की गति धीमी पड़ती जा रही है। रेस्क्यू के लिए मशीन के सहारे जिस पाइप को डाला जा रहा है वो बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। शुक्रवार को ड्रिलिंग के काम में लगी अमेरिकन हैवी ऑगर्स मशीन के रास्ते में चट्टान आने से कई बार रेस्क्यू बंद करना पड़ा। करीब 3 घंटे की ड्रिलिंग के बाद ऑगर्स मशीन को रेस्ट दिया गया। हालांकि सिल्क्यारा टनल में अबकर 24 मीटर के करीब पाइप जा चुका है और मशीन को कुल 60-70 मीटर तक ड्रिलिंग करनी है। जिसे लेकर इंदौर से एक और आधुनिक मशीन मंगाई गई है। नयी ऑगर्स मशीन कल देर रात देहरादून के जौलीग्रांट पहुंची जहां से उत्तरकाशी तक सड़क के रास्ते लाने में करीब 12 घंटे का समय लगेगा तो वहीं इन सबके बीच टनल के अंदर 2 श्रमिकों की तबीयत खराब हो गई है जिसके बाद से टेंशन और अधिक बढ़ रही है।
इंदौर से नयी ऑगर्स मशीन आज आएगी उत्तरकाशी
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इंदौर से नयी ऑगर्स मशीन उत्तरकाशी लाई जा रही है। वहीं पहले लाई गई अमेरिकी ऑगर्स मशीन ने 24 मीटर ड्रिलिंग की गई है जिसमें 6-6 मीटर के 4 पाइप मलबे के अंदर डाले गए हैं। मशीन को कुल 60-70 मीटर तक ड्रिलिंग करनी है। 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुए हादसे में टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी जिसमें मजदूर अंदर फंस गए हैं। 2340 मीटर की लंबाई वाले टनल में मलबा 60-70 मीटर तक फैला गया है।
मजदूरों के परिवार की बढ़ी चिंता
टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू के लिए गवर्नमेंट की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। पहले ही दिन से सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी स्वयं एक्शन मोड में हैं और रेस्क्यू से जुड़ी हर जानकारी पर धामी की नजर है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे-वैसे श्रमिकों के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है और अब जब 2 श्रमिकों की तबीयत बिगड़ने की समाचार आई है तब उनका गुस्सा फूटने लगा है।
- जिन 2 श्रमिकों की तबीयत खराब हुई है, उनमें एक को अस्थमा जबकि दूसरे को डायबिटीज है।
- खाना-पानी भेजने वाले पाइप से इनकी दवाई नियमित भेजी जा रही हैं
- अंदर फंसे लोगों की बात उनके परिजन और रेस्क्यू में लगे अफसरों से सुबह-शाम करवाई जा रही है
- टनल के अंदर श्रमिकों को खाने के लिए भुने और अंकुरित चने बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स और चिप्स भेजे जा रहे हैं
- इसके साथ ही ग्लूकोज और पानी की सप्लाई भी की जा रही है
परिजन लगातार कर रहे संवाद
सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों में से कई लोगों के परिजन साइट पर ही हैं। प्रशासन की टीमें और परिजन श्रमिकों से लगातार संवाद कर रहे हैं। वहीं, मजदूर भी एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहे हैं। ड्रिलिंग मशीन से मलबे के बीच से रास्ता बनाकर श्रमिकों को निकालने की प्रयास हो रही है लेकिन 60 से 70 मीटर की खुदाई का ये काम कब तक पूरा होगा, इस पर दावे के साथ कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।