बताया जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय विस्तार में हुई इस हाई लेवल बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार प्रभारी विनोद तावड़े भी शामिल हुए। तावड़े को पार्टी की बैठक के लिए शनिवार को पटना भी पहुंचना है।
सूत्रों की मानें तो, बैठक में नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में वापसी के फ़ॉर्मूले के साथ-साथ इस बात पर भी विचार मंथन किया गया कि एनडीए के वर्तमान सहयोगी दलों को कैसे मनाकर साथ रखा जाए।
दरअसल, बीजेपी आलाकमान आनें वाले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना चाहता है। ऐसे में पार्टी का यह मानना है कि नीतीश कुमार के फिर से साथ आने से निश्चित तौर पर एनडीए गठबंधन को लाभ होगा। लेकिन, इसके साथ ही बीजेपी चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगियों को भी खोना नहीं चाहती है।
अगर नीतीश कुमार फिर से एनडीए गठबंधन में वापस आते हैं तो बीजेपी को यह भी देखना पड़ेगा कि उनकी पूरी पार्टी, खासतौर से उनके पूरे विधायक जेडीयू के साथ बने रहते हैं या नहीं क्योंकि गवर्नमेंट बनाने के लिए जेडीयू का एकजुट रहना महत्वपूर्ण है।
इससे पहले गुरुवार को भी अमित शाह ने अपने आवास पर पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, बिहार के प्रदेश संगठन महासचिव भीखूभाई दलसानिया, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के साथ लगभग पौने दो घंटे तक बिहार के हालात पर विचार मंथन किया था।